नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर अब राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो रही हैं. जहां एक ओर बीजेपी पूरे दम खम से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरने में लगी है वहीं लेफ्ट और कांग्रेस ने भी अपनी ज़मीन बचाने की कवायद शुरू कर दी है. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बताया है कि राज्य इकाई ने बंगाल चुनाव लेफ्ट के साथ मिलकर लड़ने का प्रस्ताव केन्द्रीय आलाकमान को भेज दिया है.


अधीर रंजन चौधरी ने यह भी बताया कि लेफ्ट के नेताओं के साथ बातचीत के बाद उन्होंने केन्द्रीय आलाकमान को ज़मीनी हकीक़त कि जानकारी दे दी है और साथ हीं कांग्रेस और लेफ्ट के बीच तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ साझा आंदोलन चलाने की भी रणनीति बना ली गई है.


सीपीएम-कांग्रेस के सामने अस्तित्व की लड़ाई


लेफ्ट फ्रंट की अगुवा सीपीएम कि सेंट्रल कमेटी ने पहले ही बंगाल चुनाव कांग्रेस के साथ सीट-शेयरिंग करके यानी मिलकर लड़ने का फैसला कर लिया था. दोनों हीं पक्षों के सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस बार ज़मीनी स्तर पर दोनों पक्षों का कैडर साथ आना चाहता है, क्योंकि दोनो ही पक्षों को पता है कि इस बार लडाई अस्तित्व की है और साथ लड़कर ही कुछ बेहतर प्रदर्शन की संभावना बन सकती है.


साल 2016 विधानसभा चुना भी लेफ्ट और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था, लेकिन साल 2019 लोकसभा चुनाव में ये गठबंधन कुछ सीटों पर तक़रार को लेकर नही हो सका था.


बीजेपी समेत तृणमूल को भी रोकना अनिवार्य- येचुरी


इसपर एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, "हमारा मुख्य उद्देश्य बीजेपी को रोकना है और ऐसे में बीजेपी समेत तृणमूल को भी रोकना अनिवार्य है, ऐसे में अगर बाकी सभी साथ आए तो तृणमूल से नाराज़ सभी वोट सीधे बीजेपी को मिल जाएंगे, जबकि जनता इस बार तृणमूल से भी खासा नाराज़ है. लिहाज़ा सीपीएम ने तय किया है कि गैर-तृणमूल और गैर-बीजेपी वोट ज़्यादा से ज़्यादा एक साथ इक्टठा हो. अब इसपे दूसरे दलों को अपनी राय तय करनी है."


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