नई दिल्ली: लॉकडाउन के चलते देश भर में दूध की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. आलम यहां तक आ पहुंचा है कि दूध के भाव तकरीबन बोतलबंद पानी के बराबर हो गए हैं. राजधानी दिल्ली से तकरीबन 85 किलोमीटर की दूरी पर दूध 21-22 रुपये लीटर बिक रहा है. शहरों में भले ही दूध आपको आज भी लगभग 55 रुपये लीटर ही मिल रहा होगा. लेकिन, ग्रामीण भारत में लॉकडाउन ने दूध किसानों और डेरी संचालकों की कमर तोड़ कर रख दी है.
अगर आप एक लीटर बोतलबंद पानी खरीदते हैं, तो उसके लिए आपको कम से कम 20 रुपये चुकाने पड़ते हैं. लेकिन, अगर आप राजधानी दिल्ली से लगभग 85 किलोमीटर दूर मेरठ जिले के हर्रा गांव में पहुंचेंगे तो एक लीटर दूध आपको 21-22 रुपये में मिल जाएगा.
हर्रा गांव के रहने वाले नूर मोहम्मद के पास लगभग 100 भैंस और गाय की डेयरी है. इस डेयरी में रोजाना 900 से 950 लीटर दूध उत्पादन होता है. नूर मोहम्मद बताते हैं कि लॉकडाउन ने हालत खराब कर दी है. जो दूध पहले 47-48 रुपये लीटर में बिक रहा था, उसके भाव अब महज 21-22 रुपये लीटर ही मिल रहे हैं.
भैंसों को पिलाना पड़ा दूध
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के तुरंत बाद तो हालात ये हो गए थे कि 2 टाइम (सुबह, शाम) दूध किसी ने खरीदा ही नहीं. लिहाजा, मजबूरी में दूध वापस भैंसों को ही पिलाना पड़ा. लॉकडाउन की वजह से मिठाई की दुकान, ढाबे, रेस्टोरेंट, होटल सब बंद हैं. ऐसे में बाजार में दूध का कोई खरीदार ही नहीं है. दुधारू पशुओं के लिए खल, चोकर की कीमतें बेइंतहा बढ़ गयी हैं.
पशुओं का fodder का जो 50 किलो का कट्टा पहले 850 रुपये का मिलता था, वो अब 1200 का मिल रहा है. ऐसे में पशुओं को सिर्फ सूखा भूसा ही खिलाया जा रहा है. नूर मोहम्मद ने बताया कि इस पूरे इलाके में 20 किलोमीटर में कोई फैक्ट्री नहीं है जहां मिल्क पाउडर बनता हो. जहां बनता है, वहां अब 20-22 रुपये लीटर वो दूध खरीद रहे हैं.
260 का चारा, 120 का दूध
नूर मोहम्मद के इन दावों को जांचने के लिए हमने उनसे सीधे पूछ लिया कि एक भैंस का खर्च कितना है और दूध बेचकर कमाई कितनी? तपाक से जवाब भी आ गया, जिसे सुनकर हम भी चौंक गए. उन्होंने बताया एक भैंस पर दिन भर खाने का खर्च लगभग 260 रुपये और दूध बिकता है 120 रुपये का. नूर मोहम्मद कहते हैं कि
दूध भी गया, जानवर भी गया और इनके साथ हम भी गए. ऐसे में आत्महत्या करें तो दिक्कत, ना करें तो दिक्कत. जब दूध पानी से भी सस्ता हो जाये, तो क्या करें?
प्लांट से पड़ताल
नूर मोहम्मद के दावों की सच्चाई जानने हम गांव के कलेक्शन सेन्टर पर पहुंचे जहां हमें आरिफ मिले. उन्होंने भी यही कहानी दोहराई. आरिफ ने बताया कि पहले फैट की मात्रा के हिसाब से दूध 42 से 50 रुपये लीटर हम लोग खरीदते थे. लेकिन, अब ये भाव 25 रुपये लीटर हो गए हैं. इसमें भी कोई फैक्ट्री कभी 24 रुपये तो कभी इससे भी कम देती है. पहले फैक्ट्री वाले खुद फोन कर दूध के रेट बढ़ाते थे. अब, हमें मिन्नतें करनी पड़ती हैं. पहले हर 7 दिन में फैक्ट्री मालिक भुगतान करते थे. अब 3 हफ्ते से कोई पेमेंट नहीं दिया है. इसलिए, हम आगे किसानों और डेयरी मालिकों को पैसे नहीं दे पा रहे.
बड़ी डेरी कंपनियों को मुनाफा
यहां समझने वाली बात ये है कि दूध अब न तो होटल-रेस्टोरेंट, न ही ढाबे और न ही मिठाई वालों को यहां जा रहा है. ऐसे में आपूर्ति उतनी ही है. लिहाजा, बड़ी डेरी कंपनियां इस मौके का पूरा फायदा उठा रही हैं. शहरों में ग्राहकों को दूध 55-56 रुपये लीटर ही बेचा जा रहा है और किसानों को दूध की कीमत 50 से 60 % कम दी जा रही है.
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