बुधवार को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एबीपी संवाददाता नीरज राजपूत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. हाल ही में चीनी सेना से हुई झड़पें, कोरोना वायरस के बाद की दुनिया में चीन की चाल को असफल बनाने, कश्मीर में आतंकवाद, पाकिस्तान का आतंकवाद को प्रोत्साहन करने और रक्षा-क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनने पर इस खास इंटरव्यू में सेना प्रमुख से सवाल-जवाब हुए.
पहला सवाल: जनरल नरवणे, ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है तब भारतीय सेना सरहद पर दुश्मनों से लड़ रही है, चाहे फिर वो एलओसी और या फिर कश्मीर में आतंकवाद. लेकिन पिछले एक हफ्ते में चीन सीमी पर जो कुछ हुआ वो बेहद ही टेंशन देने वाला है. पहले लद्दाख में और फिर सिक्किम में चीन सेना से फेस-ऑफ हुआ और झड़प भी हुई. ऐसे में क्या ऐसा लग रहा है कि चीन की ये रणनीति है भारत को बॉर्डर पर घेरने की ?
जवाब: ये फेस-ऑफ पहले भी हुए हैं. इनसे निपटने के लिए प्रोटोकॉल हैं. हम बातचीत करते हैं स्थानीय (फील्ड) कमांडर्स के स्तर पर और सैन्य डेलीगेशन लेवल पर भी और इनसे निपट लेते हैं. ये जो अभी पूर्वी-लद्दाख और सिक्किम में फेस-ऑफ हुए, ये इत्तेफाक है कि एक साथ हुएं, इनमें कोई कनेक्शन नहीं है. हम इसमें नहीं पड़े नेशनल लेवल या इंटरनेशनल लेवल पर. ये अक्सर होते रहते हैं क्योंकि उनके (चीन) के सैनिक भी बॉर्डर पर तैनात हैं और हमारे भी. ऐसे में पैट्रोलिंग के दौरीन दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के सामने आ जाते हैं, तो फेस-ऑफ होते रहते है.
दूसरा सवाल: कोरोना वायरस चीन से निकला है, और माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के बाद जो वर्ल्ड-ऑर्डर होगा उसमें चीन का बेहद आक्रमक व्यवहार देखने को मिल सकता है अपने पड़ोसी देशों से...खासतौर से जब भारत का इतिहास रहा हैलचीन के साथ '62 युद्ध और हाल ही में डोकलम विवाद का. ऐसे में क्या भारत को बहुत सचेत रहने की जरूरत है ?
जवाब: आपको पता है कि हमारा एक वेस्टर्न-बॉर्डर है (पाकिस्तान से सटा हुआ) और दूसरा है नार्थन बॉर्डर (चीन से लगा हुआ). ऐसे में हमें चारों तरफ देखना है. हमारी तैयारी है... हमारी कड़ी नजर जो भी घटनाएं दोनों बॉर्डर्स पर रहती है और उसके अनुसार अपने प्लान बनाते हैं, ताकि हमारा जो टास्क (कर्तव्य) है उसे ठीक प्रकार से करते रहें.
तीसरा सवाल: हमारा एक और मोर्चा है कश्मीर में, और वो है आतंकवाद. धारा 370 हटने के बाद कुछ महीनों तक घाटी में शांति रही. लेकिन गर्मी का मौसम आते हैं वहां आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं. इन घटनाओं में भारतीय सेना को भी भारी नुकसान हुआ है. हंडवारा एनकाउंटर में एक कमांडिंग ऑफिसर और मेजर सहित कुल पांच सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई. तो क्या ऐसा लगता है कि कश्मीर में आतंकवाद लौट आया है या ये एक सेट-पैटर्न है कि हर साल गर्मी आने पर आतंकी घटनाऐं बढ़ जाती हैं.
जवाब: सर्दियों के महीनों में थोड़ी शांति थी. लेकिन ये हर साल का पैटर्न है कि जैसे ही मौसम अच्छा होता है, बर्फ पिंघलती है, एलओसी पर दर्रों से आतंकी घुसपैठ बढ़ जाती है और उसके साथ ही आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी भी हो जाती है. लेकिन इसके खिलाफ हमारी स्ट्रेटेजी है जिसके तहत हम इंटेलीजेंस-इनपुट के आधार पर अपने सीआई-सीटी ग्रिड यानि काउंटर-इनसर्जेसी एंड काउंटर टेरेरिज्म ग्रिड में बदलाव करते रहते हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि जो दो-तीन एनकाउंटर हुए उनमें हम उन्हें (आतंकियों) को घेर पाएं फिर चाहे वो एलओसी पर हो या फिर हिंटरलैंड (यानि घाटी के अंदर) और हमें सफलताएं भी मिली. हमने आतंकी कमांडर्स को मार गिराया है. ये तो होता रहेगा. लेकिन आतंकबाद की पूरी बात करें तो जरूर सुधार आया है.
चौथा सवाल: कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने में कितना हाथ है क्योंकि हम देख रहे हैं कि एलओसी पर लगातार पाकिस्तानी सेना की तरफ से फायरिंग (युद्धविराम का उल्लंघन) और घुसपैठ हो रही है ?
जवाब: इसमें तो कोई शक नहीं कि पाकिस्तान का हाथ है. आतंकवाद सरहद पार से ही आ रहा है. एलओसी के उस-पार 10-12 आतंकी कैंप हैं जहां लांच पैड्स हैं, जहां से आतंकी किसी तरह एलओसी पार करने की फिराक में हैं ताकि जे एंड के (जम्मू एंड कश्मीर) में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे सकें. लेकिन जैसा मैने कहा कि, हमारी कड़ी नजर है इस पर और हम उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे.
पांचवा सवाल: कल (मंगलवार) को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया तो उन्होनें देश को 'आत्मनिर्भर' होने का आह्वान किया. लेकिन भारतीय सेना कैसे आत्मनिर्भर कैसे बनेगी, क्योंकि हमारा देश तो दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है, वो भी तब जबकि हम एक मोर्चे पर चीन से लड़ रहें, एक पर पाकिस्तान से और तीसरा कश्मीर में आतंकवाद ?
जवाब: हम 'मेक इन इंडिया' को पूरा समर्थन कर रहे हैं ताकि रक्षा क्षेत्र में हम सेल्फ-रिलाएंस यानि आत्म-निर्भर बन सकें. मैं आपको बता सकता हूं कि इंडियन आर्मी के जो फिलहाल ऑर्डर हैं वो 70-75 प्रतिशत भारतीय कंपनियों के हैं. इसलिए हम मेक इन इंडिया और आत्म-निर्भरता पर हमेशा जोर देते रहेंगे.