नई दिल्ली: तेजस बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के चैयरमैन आर. माधवन का मानना है कि स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस पड़ोसी देशों के फाइटर जेट्स से एडवांस है. साथ ही आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े की रीढ़ की हड्डी बन जाएगा. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में आर. माधवन ने कहा कि भले ही एलसीए तेजस को पुराने पड़ चुके मिग फाइटर जेट्स का रिप्लेसमेंट माना जाता हो, लेकिन एलसीए-मार्क1ए पाकिस्तान के एफ-16 या फिर चीन के जरिए तैयार किए गए जेएफ-17 से कहीं ज्यादा एडवांस है. एचएएल के चैयरमैन के मुताबिक, मार्क-1ए वर्जन में वियोंड विजयुल रेंज मिसाइल, आएसा रडार, इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सूट और एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग जैसी तकनीक एक उन्नत और घातक फाइटर जेट बनाती हैं.


बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में वायुसेना के लिए 83 एलसीए मार्क-1 फाइटर जेट्स का सौदा किया है. डील की कुल कीमत करीब 48 हजार करोड़ है. ये मार्क-1ए फॉर-प्लस जेनरेशन फाइटर जेट हैं, जो पहले वाले (40) तेजस विमान से ज्यादा एडवांस और घातक हैं. आर. माधवन के मुताबिक कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की हरी झंडी मिलने के बाद माना जा रहा है कि इस महीने वायुसेना और एचएएल में इन 83 विमानों के लिए करार हो जाएगा.


नए फीचर


पहला मार्क-1ए फाइटर जेट वायुसेना को 36 महीने के भीतर डिलीवर कर दिया जाएगा और सभी 83 एयरक्राफ्ट 2028-29 तक वायुसेना को मिल जाएंगे. एलसीए तेजस इस बार गणतंत्र दिवस परेड में वायुसेना की झांकी में भी अपनी खास एंटी-रेडिएशन मिसाइल रूद्रम के साथ दिखाई पड़ेगा. एलसीए मार्क वन-ए में ईडब्लू यानी इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सूट है. इसके जरिए अगर तेजस पर कोई मिसाइल लॉक होती है तो पायलट को कॉकपिट में लगे सेंसर से तुरंत पता चल जाएगा. नए तेजस में रडार वॉर्निंग सिस्टम भी होगा यानि दुश्मन के रडार की पकड़ में आते ही पायलट को अलर्ट चला जाएगा. मार्क वन-ए में खास आइसा रडार लगी होंगी जो तेजस की क्षमताओं को और अधिक बढ़ा देंगी, जिससे दुश्मन की रडार में आसानी से न आ पाए‌.


मार्क-2


आर माधवन ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि मार्क-1ए के बाद तेजस का एक और वर्जन मार्क-2 भी बनाया जाएगा, जो मार्क-1ए से भारी होगा और उसके लोड ले जाने की क्षमता भी ज्यादा होगी. इसके अलावा एचएएल ने स्वदेशी स्टेल्थ एयरक्राफ्ट, एमका यानि एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट पर भी काम शुरू कर दिया है, जो पहला टू-इन यानि दो इंजन वाला फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट है. ये सब मिलाकर एलसीए-तेजस भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े की 'बैकबोन' बन जाएंगे.


इन 83 एलसीए मार्क-1ए में 73 फाइटर जेट्स हैं और 10 ट्रैनर एयरक्राफ्ट्स हैं. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इन फाइटर जेट्स की समय से डिलीवरी हो सके, इसके लिए एचएएल के बेंगलुरू और नासिक फैसेलिटी में सेकेंड लाइन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स तैयार की जाएंगी. एचएएल के सीएमडी के मुताबिक, सरकार के साल 2025 तक 35 हजार करोड़ के हथियारों के निर्यात के लक्ष्य में हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी क्योंकि मित्र देशों की तरफ से एलसीए मार्क-1ए फाइटर जेट्स के साथ-साथ एचएएल के जरिए तैयार किए जा रहे हेलीकॉप्टर्स में काफी दिलचस्पी है. एचएएल के हेलीकॉप्टर्स को न केवल एशिया बल्कि इंडो-पैसेफिक और अफ्रीकी देश भी खरीदना चाहते हैं.


एचएएल के हेलीकॉप्टर्स प्लान के बारे में सीएमडी ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष यानि मार्च के महीने तक वायुसेना के साथ 16 लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर यानि एलसीएच का सौदा होने की उम्मीद है क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने भी इसको लेकर अपनी सालाना रिपोर्ट में जिक्र किया है. ये एलसीएच हेलीकॉप्टर, पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तैनात किए जाएंगे. यहां तक की करार से पहले ही एचएएल ने दो ऐसी हेलीकॉप्टर्स को वायुसेना की तरफ से पूर्वी लद्दाख में तैनात कर दिया है.


समय से डिलीवरी


थलसेना और वायुसेना के पुराने पड़ चुके चीता-चेतक हेलीकॉप्टर्स की रिप्लेसमेंट के लिए भी एचएएल ने एक नया हेलीकॉप्टर, एलयूएच यानि लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर तैयार कर लिया है और अगले साल यानि अगस्त 2022 से इसका प्रोडेक्शन शुरू हो जाएगा. थलसेना और वायुसेना के लिए 200 एलयूएच हेलीकॉप्टर बनाए जाने हैं. इस सवाल पर कि एचएएल अपने एयरक्राफ्ट्स और हेलीकॉप्टर्स की समय से डिलीवरी नहीं कर पाता है. आर माधवन ने कहा कि पहले ऐसा जरूर होता था. पहले एचएएल को विदेशी मैन्युफैक्चरर से स्पेयर-पार्ट्स मिलने में काफी दिक्कत होती थी लेकिन अब परिस्थिति बदल चुकी है. अब एलसीए तेजस की समय से डिलीवरी हो रही है. एएलएच-ध्रुव हेलीकॉप्टर्स की भी समय से डिलीवरी हो रही है.


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