जयपुर: राजस्थान में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. मामला अदालत के दरवाजे तक पहुंच चुका है. इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की.
अशोक गहलोत ने कहा, ''कोई व्यक्ति अगर पार्टी में है और वह अलग होना चाहता है तो उसी की प्रक्रिया हमने शुरू की है. कानून के मुताबिक उन्हें नोटिस दिया गया है. मामला अब कोर्ट में है. ''
बागी विधायकों की तरफ से यह कहे जाने पर कि हमने कोई गुनाह नहीं किया फिर क्यों कार्रवाई हुई? इस सवाल पर गहलोत ने कहा, ''जब उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कोर्ट में हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी जैसे वकील खड़े किए हैं. रोहतगी का बीजेपी से संबंध रहा है. दोनों को खड़े करने की कोई जरूरत नहीं थी.''
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी की सह पर सबकुछ हो रहा है. बीजेपी ने मानेसर (यहीं रिसॉर्ट में ठहरे हैं बागी विधायक) में पुलिस लगाई. हरियाणा सरकार देखरेख कर रही है. पूरा खेल बीजेपी का है. इनका (सचिन पायलट) खेल तो कुछ है ही नहीं. शुरुआत में वे चाहते थे कि बीजेपी में शामिल हो जाऊं. इसके लिए प्रयास किए इन्होंने. छह महीना पहले भी कोशिश की लेकिन इनके साथियों ने कहा कि हम बीजेपी में शामिल नहीं होंगे. फिर उन्होंने कहा कि बीजेपी में शामिल नहीं होते हैं तीसरा मोर्चा बनाते हैं. सरकार को गिराएंगे. बीजेपी इसके लिए समर्थन देगी. जो विधायक इस्तीफा देंगे जब उपचुनाव होगा तो उनके सामने कोई भी उम्मीदवार बीजेपी खड़े नहीं करेगी. ये डील हुआ था. बीजेपी के साथ सरकार नीतीश चला सकते हैं तो हम (सचिन पायलट) क्यों नहीं चला सकते हैं. यह सोच थी.''
सीएम गहलोत ने कहा कि ये आरोप मैं नहीं लगा रहा हूं. उनके साथी ही हमें बताते हैं. सभी को मालूम है. राज्यसभा चुनाव के समय हमने 10 दिनों तक विधायकों को होटल में रखा. रात के दो बजे खेल होना था, जो अब हुआ है. सबकुछ तय था. रात को दो बजे गाड़ी रवाना होने वाली थी. अगले दिन 11 तारीख को स्वर्गीय नेता राजेश पायलट की पुण्यतिथि थी. माल्यार्पण होता और कुछ विधायक प्लेन से दिल्ली पहुंचते. फिर सभी मानेसर पहुंचते. हमने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. लेकिन हमारी तरफ से पूरी तैयारी थी. बाद में फिर बीजेपी और सचिन पायलट का खेल शुरू हो गया.
अशोक गहलोत ने कहा, ''इनके (सचिन पायलट) सिर्फ 15 से 17 विधायक थे. उनके पास क्या शक्ति है. ये बात उन्हें मालूम है. उसके बावजूद हमें छोड़कर गए. इतनी उम्र में इतना ज्यादा महत्वाकांक्षी होना ठीक नहीं है. इन्हें सब्र करना था. हां जो अब शिकायतें कर रहे हैं तो मैं कहना चाहता हूं कि जब वह पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो उनके शिकायतों में वो विश्वसनियता नहीं रहेगी जो पार्टी में रहकर शिकायत करते तब होती. उन्हें भरपूर मौका दिया गया. कोई चर्चा ही नहीं हुई. पिछले डेढ़ सालों में सचिवालय पांच से 10 बार गए. सब्र करते तो आगे बहुत कुछ मिलता. धैर्य रखना था.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब सात साल पहले राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो यह सोचकर आए थे कि हमें मुख्यमंत्री बनना है. जगह-जगह इसकी चर्चा करते थे. राहुल गांधी ने बैठकों में कहा कि सचिन पायलट की एनर्जी और अशोक गहलोत का अनुभव प्रदेश के लिए बहुत काम आएगा. क्या ये बात उन्हें समझ नहीं आई? नौजवान पीढ़ी नौजवान पीढ़ी को पसंद करती है. मेरे समय में भी हुआ. इसका इस्तेमाल मैंने पार्टी को मजबूत करने में किया.
ऑडियो टेप मामले में सचिन पायलट से पूछताछ को लेकर अशोक गहलोत ने कहा कि जांच का काम पुलिस करती है. यहां स्वतंत्र रूप से एजेंसियां काम करती हैं.