नई दिल्ली: राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि फैसले लेने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाना चाहिए. केंद्र का काम गाइड करना है. ये समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है. ये देश की सुरक्षा का मामला है. हमने जो अब तक मेहनत की है, अगर ज्यादा ढील दे दी गई तो सारी मेहनत बेकार चली जाएगी. लॉकडाउन को लेकर उन्होंने कहा कि इसकी जो उपयोगिता थी वहां काफी हद तक हम पहुंच चुके हैं. अब ज्यादा सख्त लॉकडाउन करेंगे तो नुकसान ज्यादा और फायदा कम हो सकता है.


आज रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होने वाले संबोधन को लेकर उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोई फैसला लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो रेड जोन है या जहां पर संक्रमण फैला हुआ है वहां पर किसी भी तरह का कोई मूवमेंट नहीं होने देना चाहिए. जो भी मूवमेंट हो वो सिर्फ ग्रीन जोन में होने चाहिए.


सचिन पायलट ने कहा कि गनीमत ये है कि अभी तक इंफेक्शन गांवों तक नहीं फैला है, ये शहरों तक ही सीमित है. अभी मजदूरों की आवाजाही होने वाली है, ऐसे में हमें बहुत सावधानी से कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘’मैं नहीं जानता आज प्रधानमंत्री रात को क्या घोषणा करेंगे लेकिन जो भी वो करें...लोगों की सुरक्षा हमारे लिए प्राथमिकता है और उसके बाद ही अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना प्राथमिकता है.’’


सोमवार को हुई पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि हमारी राज्य सरकार ने मौजूदा स्थिति को मीटिंग में रखा. बैठक में ये मांग की गई कि स्टेट स्पेसिफिक फंडिंग हो. कोरोना से मुकाबला सिर्फ दिल्ली में नहीं हो रहा है...ये शहरों, जिलों और अलग-अलग ब्लॉक में हो रहा है.


डिप्टी सीएम ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां राज्यों के अंदर पूरी तरह से खत्म हो गई हैं. जीएसटी के पैसे नहीं मिल रहे हैं और एक्साइज का रेवेन्यू खत्म हो गया है. जब तक हम अपने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को संसाधन नहीं देंगे, कोरोना से लड़ना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा, ‘’जब तक राज्यों को आर्थिक तौर पर मदद नहीं मिलेगी, इस स्थिति से जीतना कठिन होगा.’’


सचिन पायलट ने दावा किया कि राजस्थान में रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. यहां डबलिंग रेट 18 दिन है. हमने पूरे साधन लगाकर ये कोशिश की है कि इस पर काबू पाया जाए. लेकिन फिर भी लगातार आंकड़े बढ़ रहे हैं. हमारे जो मजदूर हैं उनको लेकर केंद्र सरकार को कोई ठोस नीति बनानी पड़ेगी.


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