मैरीग्नेक: भारत ने अपनी आत्मरक्षा के लिए राफेल विमान लिया है, किसी देश पर आक्रमण करने के लिए नहीं. लेकिन राफेल के वायुसेना में शामिल होने से भारत के दुश्मनों के बीच एक संदेश जरूर चला गया है. ये कहना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जिन्होनें फ्रांस में एबीपी न्यूज‌ से खास बातचीत की.


फ्रांस‌ से पहला राफेल लड़ाकू विमान मिलने, शस्त्र पूजा करने और उसमें उड़ान भरने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि राफेल एक बेहद शक्तिशाली एयरक्राफ्ट है. इसकी जरूरत वायुसेना को एक लंबे समय से थी. इसके भारतीय वायुसेना में शामिल होने से देश की ताकत में बड़ा इजाफा होगा.‌


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राफेल में उड़ान भरने के अपने अनुभव के बारे में राजनाथ सिंह ने कहा कि विमान ने सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरी थी, लेकिन उन्हें जोखिम उठाने की आदत है. उन्होंने बताया कि पायलट (फिलीप) ने राफेल की मिसाइल सिस्टम्स के बारे में बताया था कि किस तरह ये विमान एक साथ एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड यानि आसमान से सतह पर एक साथ मिसाइल फायर कर सकता है.


बता दें कि पेरिस से करीब 600 किलोमीटर दूर बोर्दू में दसॉ एविएशन के मैरीग्नेक स्थित फैसेलिटी में राजनाथ सिंह ने फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पारले और दसॉ एविएशन के सीईओ से भारत का पहला राफेल लड़ाकू विमान लिया.‌ इसके बाद राजनाथ सिंह ने खुद राफेल की शस्त्र-पूजा की. एबीपी न्यूज से बातचीत में राजनाथ सिंह ने बताया कि हर साल दशहरा के मौके पर वे लखनऊ में शस्त्र पूजा करते थे.‌ लेकिन इस बार फ्रांस में होने के चलते उन्होनें ये शस्त्र पूजा राफेल के साथ की क्योंकि वो भी एक अचूक हथियार है.


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शस्त्र पूजा करने के बाद राजनाथ सिंह ने भारत के ही राफेल विमान (आरबी-001) में उड़ान भरी. करीब 35 मिनट तक वे हवा में रहे. भारतीय वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया के नाम के दो अक्षरों से ही राफेल का कॉल-साइन आरबी001 दिया गया है. साल 2016 में जब भारत और फ्रांस ने 36 राफेल फाइटर जेट्स का सौदा किया था तो उपवायुसेना प्रमुख होने के नाते वे इस सौदे के लिए बनी कमेटी के प्रमुख भी थे. इसीलिए उनके सम्मान में फ्रांस नए राफेल की सीरिज को आरबी का नाम दिया है. यानि अब जो राफेल मिलेंगे उनके कॉल साइन ऐसे ही होंगे (आरबी--002 इत्यादि). रक्षा मंत्री ने बताया कि अप्रैल 2021 तक भारत को 18 राफेल लड़ाकू विमान मिल जाएंगे और सभी 36 विमान 2022 तक भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो जाएंगे.


भारत को दशहरा और वायुसेना दिवस के मौके पर पहला राफेल विमान तो फ्रांस से मिल गया है लेकिन ये विमान अगले साल मई में भारत पहुंचेंगे.‌ क्योंकि इन भारतीय राफेल विमानों पर अभी भारतीय वायुसेना के पायलट्स और वायुसैनिक फ्रांस में ही मई 2020 तक ट्रैनिंग लेंगे. मई 2020 में ये राफेल लड़ाकू विमान अंबाला स्थित गोल्डन एरो स्कॉवड्रन का हिस्सा बनेंगे. राफेल की दूसरी स्कॉवड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात होगी.


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