Exclusive: सुशांत सिंह राजपूत के साथ रहने वाले सिद्धार्थ पीठानी का CBI को दिया पूरा बयान, यहां पढ़ें
सिद्धार्थ पीठानी ने सीबीआई को दिए बयान में कई अहम जानकारियां दी हैं. आप पूरा बयान यहां पढ़ सकते हैं.
सुशांत केस में सिद्धार्थ पीठानी का बयान सबसे अहम माना जा रहा है. पीठानी से पिछले तीन दिनों से सीबीआई लगातार पूछताछ कर रही है. सिद्धार्थ पीठानी का जांच एजेंसी को दिया बयान EXCLUSIVELY एबीपी न्यूज़ के पास है. आप भी इसे यहां पढ़ सकते हैं...
सिधार्थ पीठानी का पूरा बयान
“मैं सिद्धार्थ पीठानी ऊपर दिए हुए माउंट ब्लैंक के पते पर 20 जनवरी 2020 से सुशांत सिंह राजपूत के साथ रह रहा हूं. मूल रुप से मैं हैदराबाद का निवासी हूं. मेरे पिता लोगो डिजाइनिंग और ग्राफ़िक्स प्रिंटिंग का काम घर से ही करते हैं. फिल्म ऐनिमेशन में मेरी दिलचस्पी होने के कारण मैंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजायनिंग से एफवीसी का प्रशिक्षण लिया है. साल 2019 में कोर्स खत्म हुआ और मैं पढ़ाई के साथ फ़्रीलांसिंग का काम करता था.
साल 2017 में सेक्रड फ़िग डिज़ाइन नाम की कंपनी में मैंने काम शुरु किया. यहां मैं वीडियो डिजाइनिंग, डायरेक्शन का काम करता था. काम के सिलसिले में जब साल 2018 में मैं जयपुर गया तब मेरी मुलाक़ात आयुष शर्मा में हुई. जयपुर से जाने के बाद भी मैं आयुष से संपर्क में रहता था. आयुष और सुशांत सिंह राजपूत अच्छे दोस्त थे. आयुष ने मुझे बताया था कि वो मुंबई में मुझे अच्छा काम देगा और मेरी सारी व्यवस्था भी कर देगा.
अप्रैल 2019 को मैं अकेले ही जयपुर से मुंबई पहुंचा. आयुष ने मेरी बांद्रा स्थित एक होटल में रहने की व्यवस्था की थी. मुंबई पहुंचने के बाद मैंने आयुष से संपर्क किया उसने मुझे दूसरे दिन सुशांत के केप्री हाईट्स के घर पर जाने की बात कही. दूसरे दिन में आयुष के साथ सुशांत के घर गया. तब सुशांत के घर दिपेश सावंत, सैम्युएल हॉकिस, अब्बास, केशव और घर पर काम करने वाले दो और शख़्स थे.
सुशांत बिल्डिंग के 15-16 फ़्लोर पर रहते थे. यहां 5 बेडरूम, 2 हॉल और एक लिफ़्ट थी. उस मीटिंग में हमने सुशांत के ड्रीम 150 प्रोजेक्ट की चर्चा की. इस प्रोजेक्ट में सुशांत, आकांशा, आयुष और मैं काम करनेवाले थे. ये प्रोजेक्ट समाजसेवा, बाल शिक्षा, महिला उद्योग, अंधे बच्चों को कंप्यूटर सिखाना, सॉफ़्टवेयर ट्रेनिंग, रॉजर फेडरर और धोनी के साथ मैच खेलने जैसे ड्रीम पर काम करने के लिए बनाया था. इस मुलाक़ात के बाद मुझे बताया गया कि इस काम के लिए मुझे पैसे नहीं मिलेंगे लेकिन सुशांत हमारा सारा ख्याल रखेगा.
जॉस्टेल होटल में रहते समय एक दिन मैं, सुशांत, आयुष शर्मा, आकांशा, आकांशा की बहन, उसकी दोस्त, सुशांत की बहन प्रियंका, उनके पति सिद्धार्थ, रिया, रिया की दोस्त, कुक केशव और अन्य दो लोग पावना लेक के फार्म हाउस पर पार्टी मनाने गए. यहां तीन चार दिन रहकर हम वापस लौटे. फार्म हाउस पर रिया और सुशांत की बहन प्रियंका के बीच झगड़ा हुआ. उस समय सुशांत ने रिया का साथ दिया. जिससे नाराज़ होकर मुंबई आने के दो तीन बाद प्रियंका और उनके पति सुशांत का घर छोड़कर चले गए. फिर सुशांत ने मुझे और आयुष को उनके घर रहने के लिए कहा.
वहां रहते समय मुझे पता चला कि सुशांत की बहन प्रियंका नौकरों से ठीक से बर्ताव नहीं करती थी. इस वजह से अब्बास, दिपेश सावंत नौकरी छोड़कर भी गए थे. वहां रहते समय मैं सुशांत का दिया हुआ विडियो एडिंटिंग और दूसरा काम करता था. हम कुछ दिन बांद्रा के घर तो कुछ दिन लोनावाला के फार्म पर जाकर काम करते थे.
सुशांत के केप्री हाईट्स स्थित घर पर वहां उन्हें भूत प्रेत होने का आभास होता था. सुशांत ये घर छोड़ना चाहते थे. सुशांत को अक्सर लगता था कि उस घर के गेस्ट हाउस में कोई रहता है. जब रिया और उसका भाई शोविक वहां रहने आए तो उन्हें भी ऐसी चीजें महसूस होती थीं. इन कारणों की वजह सुशांत केप्री हाईट्स का घर छोड़ने का विचार करने लगे.
सुशांत के घर पर सैम्युल हॉकिप नाम का शख़्स भी रहता था. वो सुशांत के घर का काम संभालता था. एक दिन सुशांत ने सैम्युल से घर खर्चे के बारे में हिसाब मांगा तो वो दे नहीं सका, जिस पर सुशांत ने उसे सुना दिया. इसके बाद सैम्युल घर छोड़कर चला गया. सुशांत भी दुखी हो गए थे. फिर जून 2019 में मैं, सुशांत, रिया, आकांशा, आनंदी, आयुष और आयुष का दोस्त हिमांशु लद्दाख गए. इसके बाद सुशांत ने आकांशा की जगह पर आनंदी को अपनी सेलिब्रिटी मैनेजर बनाया.
लद्दाक से आने के बाद सुशांत को घर पर ठीक नहीं लग रहा था. इस वजह से वो मुंबई के ही वॉटर स्टोन रिसॉर्ट में रिया के साथ रहने लगे. सुशांत ने इस क्लब की मेम्बरशिप ले रखी थी. वो दोनों वहां स्विमिंग, टेनिस, बैंडमिंटन, जिम किया करते थे. सुशांत इसके अलावा हमारे साथ उनके पावना लेक के फार्म हाउस पर ज़्यादा समय बिताने लगे थे. इस तरह सुशांत हम पर भी बहुत खर्च किया करते थे. इस दौरान सुशांत ने टायटन, बाटा जैसे एड किए थे. काम के समय सुशांत के साथ मैं, बॉडी गार्ड साहिल और मैनेजर रहा करते थे.
अगस्त और सितंबर 2019 के दौरान सुशांत का काम पर से ध्यान हटने लगा था. वो ज़्यादा समय अपनी दोस्त रिया के साथ बिताने लगे थे. वो अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 150 ड्रीम से भी दूर जाने लगे. वो अक्सर वॉटर स्टोन रिसॉर्ट में रहने लगे. इसी दौरान रिया और सुशांत ने अपने यूरोप ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए स्विटजरलैंड, फ्रांस और दूसरे देशों में घूमने का प्लान बनाया. इस टूर के लिए सुशांत ने किसी और को साथ नहीं ले जाने का निर्णय लिया जिससे नाराज़ होकर आयुष वापस जॉस्टेल होटल में रहने चला गया. कुछ दिनों बाद मैं भी आयुष के पास रहने चला गया. मेरे पिता ने मुझे फ़ोन कर बताया कि बिज़नेस नहीं चलने की वजह से घर चलाना मुश्किल हो गया है. मेरे पिता ने मुझसे पैसे मांगे. मैं अक्टूबर 2019 को पिता की मदद करने अपने घर हैदराबाद गया. जाते समय मैंने सुशांत से कहा कि हैदराबाद में सब ठीक करके मैं जल्द लौट आऊंगा. हैदराबाद पहुंचने के पांच दिन बाद मुझे ईनोवरा इंडिया कंपनी में क्रिएटिव डायरेक्ट की नौकरी मिल गई और मुझे 45000 महिना तनख़्वाह ऑफ़र की गई. मैं अहमदाबाद में इस कंपनी में काम करने लगा. तभी मैंने इंस्टाग्राम पर सुशांत और रिया के यूरोप टूर की तस्वीरें देखी.
जनवरी 2020 को मुझे सुशांत का फिर फ़ोन आया, सुशांत ने मुझे बताया कि वो एक्टिंग छोड़कर दोबारा ड्रीम 150 प्रोजेक्ट पर काम शुरु करने वाले है. मैंने सुशांत से अपने घर की हालात और नौकरी करने की वजह बताई. सुशांत ने कहा कि वो मुझे काम के लिए तनख़्वाह देंगे. साथ ही सुशांत ने मुझे बताया कि उनकी हालात फ़िलहाल ठीक नहीं उन्हें मेरे साथ की जरुरत है. मैं फ़ौरन अहमदाबाद से मुंबई सुशांत के घर पहुंचा. जब मैं सुशांत के बेडरूम में पहुंचा तो सुशांत मुझसे गले लगकर रोने लगा. रोते रोते उसने मुझे बताया कि वो एक्टिंग छोड़कर घर का सब कुछ बेचकर पावना के फार्म पर रहने जानेवाले है. इसके साथ ही सुशांत ने बताया कि अब महिने के घर का खर्च का बजट केवल 30000 में पूरा करना है. सुशांत ने आगे कहा कि वो पावना के फार्म हाउस में खेती करने वाले हैं.
सुशांत ने मुझे उनके बेडरूम के पास वाले कमरे में रहने के लिए कहा और ये भी बताया कि तीन दिनों में दिपेश भी वहां मेरे साथ रहने आनेवाली है. मैंने सुशांत से रिया के बारे में पूछा तो सुशांत ने रोते रोते मुझे बताया कि मुझे सब छोड़कर चले गए. इसपर मैंने सुशांत के साथ रहकर उसका ख्याल रखने की बात कहकर उन्हें शांत किया. मैंने सुशांत के हाउस मैनेजर मिरांडा से रिया के बारे में पूछताछ की तो मिरांडा ने बताया कि रिया सुशांत के कार्ड से शॉपिंग करती थी. घर का सामान मुझे बेचने के लिए कहा गया. हाउस मैनेजर मिरांडा और श्रृति मोदी ये दोनों सुशांत के घर पर सुबह 10 बजे पहुंचकर शाम 6 बजे वापस जाते. दो दिन बाद दिपेश भी सुशांत के घर रहने आ गया.
कुछ दिन बाद रिया वापस सुशांत के घर लौटी. इस समय रिया ने मुझसे कहा कि अब से मैं, वो और दिपेश मिलकर सुशांत का ख्याल रखेंगे. जनवरी के आख़री हफ़्ते में सुशांत ने मुझ से कहा कि वो चंडीगढ़ अपनी बहन के घर एक महीना रहने के लिए जाना चाहते हैं. इसके बाद मैं, सुशांत, बॉडी गार्ड साहिल सागर और सुशांत की बहन मितू रेंज रोवर से निकले और तीन दिन बाद वहां पहुंचे. इस सफ़र के दौरान हमने अहमदाबाद और गुडगांव के होटलों में स्टे किया. गुड़गांव में ठहरते समय सुशांत को सांस लेने में तक़लीफ होने लगी, वो टेंशन में थे और घबराया हुआ महसूस कर रहे थे. तभी मैंने डॉक्टर केर्सी चावड़ा की दी दवाई सुशांत को दी और वह ठीक महसूस करने लगे.
दूसरे दिन सुशांत की चंडीगढ़ की बहन नीतू ने मुझे घर बुलाकर सुशांत की सारी जानकारी ली. मैंने उन्हें सब बता दिया. मैंने नीतू दीदी को डॉ केर्सी चावड़ा द्वारा दी दवाई की पूरी जानकारी और दवाई दिखाई और हम गेस्ट हाउस में रहने चले गए. दूसरे दिन सुशांत ने मुझे फोन कर के वापस मुंबई जाने की बात कहकर मुझे घर पर बुला लिया. जब मैं नीतू दीदी के घर पहुंचा तो सुशांत की तबीयत एकदम ठीक लग रही थी. नीतू दीदी ने मुझे सुशांत की तबीयत का ख्य़ाल रखने के लिए कहा और फिर मैं, सुशांत और बॉडी गार्ड वापस मुंबई के लिए रवाना हुए.
मुंबई में आने के बाद मैं डॉ केर्सी चावड़ा द्वारा दी गई दवाई समय पर सुशांत को दिया करता था. सुशांत ने रेगुलर वर्क आउट भी शुरू किया. सुशांत पहले जैसा अच्छा महसूस करने लगे थे. इसके बाद सुशांत रिया के साथ रहने लगे. उसी समय डायरेक्टर आनंद गांधी और कंपनी जाफ़री ने सुशांत को फ़िल्म ऑफ़र की.
सुशांत ठीक महसूस करने लगे थे इसीलिए दवाई बंद करने की बात कही. तब मैंने उन्हें इस तरह अचानक दवाई ना बंद करने की सलाह दी. अप्रैल महीने के आख़री हफ़्ते में सुशांत की तबीयत फिर से बिगड़ने लगी. वो हमसे दूर रहने लगे लेकिन तब रिया उनके साथ थी. सुशांत की तबीयत जून महिने के पहले हफ़्ते में और बिगड़ गई. वो अकेले ही रूम में रहने लगे, हमारे साथ बात करना भी बंद कर दिया. इसलिए हम सब ने रिया और सुशांत को अकेले छोड़ दिया. पूरे लॉकडाउन में रिया सुशांत के साथ ही थी.
8 जून की सुबह 11.30 बजे रिया अपना बैग भरकर घर से जाने लगी. रिया ने मुझ से सुशांत का ख्याल रखने के लिए कहा. उस समय सुशांत ने रिया से गले मिलकर, हाथ दिखाकर बाय किया. कुछ देर बाद सुशांत की बहन मितू घर पर पहुंची. मितू दीदी सुशांत से खाना खाने का आग्रह कर रही थी लेकिन सुशांत ने ज़्यादा खाना नहीं खाया. वो सुशांत को हमारे साथ घुल मिलने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुशांत ने रुचि नहीं दिखाई. मितू दीदी जब घर पर थी तब सुशांत बार बार पुरानी बातें याद करके रोने लगते थे.
उसी दौरान सुशांत को दिशा के मौत की खबर मिली. ये खबर सुनते ही सुशांत बेचैन हो गए. उसके बाद सुशांत कॉर्नर स्टोन नाम की कंपनी के मैनेजर उदय से लगातार बात करने लगे. श्रृति मोदी से पैर में चोट आने की वजह से इस कंपनी ने दिशा को कुछ दिनों के लिए सुशांत की सेलिब्रिटी मैनेजर का काम देखने के लिए भेजा था. 9 जून को दिशा की आत्महत्या के बाद सुशांत की असिस्टेंट मैनेजर की आत्महत्या की खबर हर जगह आने से सुशांत बेहद तनाव में आ गए थे. इस टेंशन की वजह से सुशांत ने उस रात मुझे उनके साथ बेडरूम में सोने के लिए कहा और दिशा की मौत की पल पल की जानकारी देने के लिए कहा. मैं सुशांत को उस मामले की सारी जानकारी देता रहा. फिर दूसरे दिन सुशांत ने मुझसे उनके पुराने वीडियो, रिकॉर्डिंग, और डेटा डिलीट करने के लिए कहा .
12 जून को मितू को अपनी बेटी की याद आई और वो वापस अपने घर चली गईं. उनके लिए गाड़ी का बंदोबस्त मैंने किया. 13 जून को बिल भरने में मैंने सुशांत की मदद की. उस रात सुशांत बिना खाना खाए मैंगो जूस पीकर सो गए.
14 जून को सुबह 10-10.30 के बीच मैं हॉल में आया और सिस्टम पर काम करने लगा. 10.30 बजे के करीब केशव ने मुझसे कहा कि सुशांत सर दरवाज़ा नहीं खोल रहे. ये बात मैंने दिपेश को बताई. हम दोनों ने जाकर दरवाज़ा खटखटाया लेकिन सुशांत ने दरवाज़ा नहीं खोला. तभी मुझे मितू दीदी का फ़ोन आया. उन्होंने कहा कि मैंनें सुशांत को फ़ोन किया रिंग बजी लेकिन वो फ़ोन नहीं उठा रहा. हमने उन्हें भी बताया कि हम भी कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो दरवाज़ा नहीं खोल रहे.
मैंने मितू दीदी को घर बुलाया. मैंने दिपेश को वॉचमैन से कहकर चाबीवाले को बुलाने को कहा लेकिन वॉचमैन ने ठीक से मदद नहीं की. फिर मैंने गूगल से रफीक चाबीवाले का नंबर निकालकर दोपहर 1.06 मिनिट पर संपर्क किया. उसने मुझे दो हज़ार रुपये मांगे. रफ़ीक के कहने पर मैंने उसे लॉक का फ़ोटो और घर का पता व्हाट्एप पर भेजा. फिर मैंने मितू दीदी को फ़ोन कर चाबीवाले को बुलाने की जानकारी दी. उन्होंने मुझे जल्द घर पहुंचने की बात कही. दोपहर 1.20 मिनिट पर रफ़ीक अपने एक साथी के साथ वहां पहुंचा. उसने लॉक देखकर चाबी नहीं बनने की बात कही तो मैंने उसे लॉक तोड़ने के लिए कहा. रफ़ीक ने कुछ मिनटों में लॉक तोड़ा. मैंने उसे दो हज़ार रुपये देकर जाने के लिए कहा.
इसके बाद मैं और दिपेश सुशांत के कमरे में गए. कमरे में अंधेरा था, दिपेश ने कमरे की लाइट जलाई तो हमने सुशांत को हरे रंग के कपड़े से पंखे पर लटका हुआ पाया. सुशांत के पैर बेड के बगल में थे तभी मैंने ये बात मितू दीदी को बताई. फिर मैंने अपने फ़ोन से 108 पर कॉल कर घटना की जानकारी दी.
इसके तुरंत बाद मुझे चंडीगढ़ से नीतू दीदी का कॉल आया, मैंने उन्हें सारी जानकारी दी, उन्होंने तुरंत मेरा फ़ोन काट दिया. उनका मुझे फिर फ़ोन आया. नीतू दीदी ने मुझे सुशांत के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि सुशांत लटका हुआ है और उसकी मौत हो गई है. फ़ोन पर मुझे पीछे से सुशांत के जीजा ओपी सिंह की आवाज सुनाई दी, उन्होंने हमें सुशांत को नीचे उतारने के लिए कहा. नीतू दीदी ने भी वही कहा. फिर मैंने नीरज से चाकू लाने के लिए कहा, मैंने चाकू से सुशांत के गले पर लगा कपड़ा काटा, फिर मैंने और दिपेश ने बेड पर चढ़कर सुशांत को नीचे बेड पर लेटा दिया.
उसी समय मितू दीदी वहां पहुंची, उन्होंने मुझसे सुशांत ज़िंदा है क्या पूछा और मुझे सुशांत को ठीक से बेड पर रखने के लिए कहा. फिर मैंने, दिपेश और निरज ने सुशांत को ठीक से बेड पर रखा. सुशांत के गले में लगा कपड़ा निकाला. हमने सुशांत को सीपीआर देने की कोशिश की लेकिन उसने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया. उसके बाद बांद्रा पुलिस पहुंच गई."
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