नई दिल्ली: देश में रोज कहीं ना कहीं कोई आम आदमी ट्रेन से यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा देता है. रेल एक्सीडेंट में मरने वालों के परिजनों को भारतीय रेल मुआवजा बांटती है. इसी मुआवजे को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक रेवले में मुआवजे को लेकर भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा खेल चल रहा है.


एबीपी न्यूज़ के पास रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के कन्नन की रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी के नाम लिखी गई एक चिट्ठी और जांच रिपोर्ट है. इसमें दर्ज है कि किस तरह रेल दुर्घटना में मारे गए आम लोगों के परिजनों को रेलवे की तरफ से दिया जाने वाला करोड़ों रुपए का मुआवजा भ्रष्टचारियों की जेब में जा रहा है.


पीड़ित परिवार की आपबीती से समझें खेल
बिहार की राजधानी पटना में धनरुईआ थाना क्षेत्र के लरहा गांव के रहने वाले राजकमल साल 2011 में ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी. नियम के मुताबिक यात्रा के दौरान ट्रेन से गिरने पर मौत होने या जख्मी होने पर, ट्रेन पर चढ़ते या उतरते वक्त दुर्घटना में मौत होने या घायल होने पर और रेलवे परिसर के भीतर किसी हादसे में मौत या जख्मी होने पर पीड़ित या पीड़ित के परिजनों को मुआवजा मिलता है.


इस आधार पर राजकमल के पिता हरिलाल को मुआवजा मिलना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हरिलाल ने बताया कि कोई पैसा नहीं मिला, वकील ने एक फोटो स्टेट दिया था और कहा था कि एफडी हो गया है, 2027 में मिलेगा.


राजकमल के परिवार को रेल दुर्घटना के 7 साल बाद भी मुआवजे की मदद नहीं मिल पाई. रेलवे के मुताबिक राजकमल की पत्नी और बेटी को 3 लाख 16 हजार 353 रुपए का मुआवजा दिया गया, बैंक से पूरा पैसा निकाल भी लिया गया.


कैसे हो रहा है भ्रष्टाचार का खेल?
रेलवे के रिकॉर्ड के मुताबिक पटना में पंजाब नेशनल बैंक की कछुआरा शाखा के अकाउंट में राजमकल के परिजनों का कुल 6,32,706 रुपए का मुआवजा दिया गया. सच ये है कि हरिलाल ने मुआवजे के लिए क्लेम करते वक्त पटना में सेंट्रल बैंक की रुकनपुर ब्रांच का अपना खाता नंबर दिया था. राजकमल के पिता हरिलाल ने बताया, ''खाता रेलवे क्लेम के वकील ने खुलवाया था. उन्होंने कहा था कि इस अकाउंट में पैसा फिक्स है 2027 में मिलेगा. हमें पता नहीं क्या राज है.''


मुआवजे को लेकर नियम क्या कहता है?
नियम के मुताबिक रेल दुर्घटना में मृतक के परिजनों को 1 साल के भीतर मुआवजे के लिए क्लेम करना होता है. मृतक जहां से ट्रेन में बैठा हो, जहां जा रहा हो या जहां हादसा हुआ हो तीनों जगहों में से किसी एक जगह के रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में मुआवजे की अपील की जा सकती है.


राजकमल के मामले में क्या हुआ?
रेलवे से मुआवजा लेने के लिए पीड़ित परिवार ने अपना एक अकाउंट नंबर दिया. पड़ताल में सामने आया कि पटना रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में मुआवजे के घोटाले का खेल चल रहा था. पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के नाम पर वकील-रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल कर्मचारी और बैंक कर्मचारियों की सांठगांठ से घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था.


कम पढ़े लिखे गरीब लोगों को बरगलाकर मुआवजा पाने के लिए एक नया बैंक अकाउंट बनवाया जाता. वकील फिर मुआवजे के लिए फॉर्म में पीड़ित का अकाउंट हटाकर नया बैंक अकाउंट नंबर डालते. मुआवजे का पैसा जैसे ही दूसरे बैंक अकाउंट में आता, उसे पीड़ित परिवार की जगह कोई और निकाल लेता. पीड़ित परिवार का मुआवजा नए अकाउंट से निकालकर तुरंत बंद करा दिया गया.


क्या कहते हैं आंकड़े?
2015 से 2017 के बीच पटना रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में ही 950 मौतों के मुआवजे में घोटाले का आरोप है. 950 मौत के मामलों में सिर्फ 12 केस ऐसे रहे जिनमें सही खाते में मुआवजे का पैसा ट्रांसफर हुआ बाकी 938 मौतों का मुआवजा उन खातों में गया जिनका जिक्र पहले नहीं था.


2016 में रेल एक्सीडेंट में 27,779 लोगों की मौत
देश में हर दिन ट्रेन की चपेट में आने से 76 लोगों की मौत हो रही है. 2016 में रेल एक्सीडेंट में 27,779 लोगों की मौत हुई थी. सालाना रेल हादसे में 19% मौत ट्रेन से चढ़ने उतरने के दौरान होती है. देश में रेल हादसे में मौत का दूसरा बड़ा कारण ट्रेन से गिरना है.