नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ बड़ा प्रचार अभियान चलाने की रणनीति तैयार की है. महीने भर से इसकी तैयारी चल रही है और अब 2 जुलाई को मोर्चा की महत्वपूर्ण बैठक में इसको अंतिम रूप दिया जाएगा. मिशन यूपी-उत्तराखंड के तहत किसान मोर्चा चरणबद्ध तरीके से दोनों राज्यों के गांव-गांव तक अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश करेगा, जिसकी शुरुआत सितम्बर के पहले हफ्ते में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी किसान रैली से होगी. 


2 जुलाई की बैठक में योजना पर मुहर लगने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेता अगले दिन दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मिशन यूपी-उत्तराखंड का एलान करेंगे. सितम्बर में होने वाली बड़ी किसान पंचायत के अलावा पूरी योजना का खुलासा किया जाएगा. दिल्ली के बाद लखनऊ और देहरादून में भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की योजना है. एक सूत्र के मुताबिक जुलाई और अगस्त में यूपी-उत्तराखंड के हर जिले में किसान मोर्चा के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. बारिश का मौसम खत्म होने के बाद सभाएं की जाएंगी. दर्जन भर बड़ी रैली करने की योजना है. इसके अलावा छोटी-छोटी सभाओं और ट्रैक्टर यात्राओं का भी प्लान है. 


इस बारे में पूछे जाने पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "तैयारी चल रही है. गांवों में तैयारी चल रही. सभी जगह जाएंगे. काम फतह कर वापस आएंगे. बड़ी-बड़ी पंचायत करेंगे. सितंबर में मुजफ्फरनगर में बड़ी पंचायत करेंगे. अपने खास अंदाज में टिकैत ने कहा कि बीजेपी को बंगाल वाला डोज यूपी में भी देंगे. लोग इंतजार कर रहे हैं इंजेक्शन लगाने का. लोगों को सब पता है.


मोर्चा के एक बड़े नेता ने बताया कि हम महीने भर से योजना बना रहे हैं. केंद्र सरकार की हठधर्मिता के कारण बंगाल के बाद अब हम यूपी-उत्तराखंड चुनाव में लोगों से बीजेपी को हराने के लिए अपील करेंगे. पश्चिम बंगाल में हमारे पास छह हफ्ते थे यूपी में हमारे पास छह महीने हैं. हम पूरी योजना बना कर गांव-गांव तक जाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान की शुरुआत में मुख्य लक्ष्य किसान आंदोलन के मुद्दों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचाने का होगा. चुनाव नजदीक आने पर हम लोगों से बीजेपी को सजा देने के लिए कहेंगे. हम समझते हैं कि यूपी से ही केंद्र सरकार पर दबाव बनेगा.  


यूपी और उत्तराखंड के साथ ही होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर भी संयुक्त किसान मोर्चा मंथन कर रहा है. चुकी पंजाब में बीजेपी मुख्य मुकाबले से ही बाहर है इसलिए मोर्चा के सामने दुविधा है कि पंजाब चुनाव में उसकी क्या भूमिका हो? मोर्चा ने पंजाब के किसान संगठनों से रणनीति तय करने को कहा है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पंजाब को लेकर रणनीति अभी बन रही है. 


मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान संगठन बीते सात महीने से दिल्ली की तीन सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. इसका नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है जिसमें करीब 500 छोटे-बड़े किसान संगठन शामिल हैं. जनवरी के बाद इन किसान संगठनों की सरकार से बातचीत नहीं हुई है. सरकार कानूनों को स्थगित करने को तैयार है, लेकिन किसान संगठन सरकार से कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. 


माना जा रहा है कि छह महीने बाद होने वाले यूपी, उत्तराखंड और पंजाब विधानसभा चुनाव पर इस आंदोलन का असर देखने को मिलेगा. किसान मोर्चा यूपी-उत्तराखंड में बीजेपी को हराने के लिए अभियान चलाने वाला है. इस आंदोलन की वजह से पहले ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के जाट वोटबैंक में सेंध लग चुकी है. देखना है कि इसकी काट के लिए बीजेपी की रणनीति क्या होती है.


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