नई दिल्ली: राम मंदिर निर्माण को लेकर गठित किए गए ट्रस्ट, राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक 19 फरवरी को दिल्ली में होनी है. यह बैठक राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पते R 20, ग्रेटर कैलाश पार्ट 1 में होनी है. बैठक से पहले रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की.
वासुदेवानन्द सरस्वती ने कहा कि बैठक का एजेंडा तय नहीं है. ये पहली बैठक है और ये एक औपचारिक बैठक होगी, सभी का आपस में परिचय होगा और उसके बाद आपस में बातचीत करके तय किया जाएगा कि क्या-क्या निर्णय लेने हैं. बैठक के बाद विचार बिंदु बनेगा और उस पर आगे कार्रवाई होगी.
सदस्यों के नामांकन के मुद्दे पर वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि "पहली बैठक में केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों का नामांकन अभी तक नहीं हुआ है वह नामांकन भी शीघ्र हो जाएगा 2 सदस्यों का नामांकन ट्रस्ट के सदस्यों को बहुमत के आधार पर करना है, मेरा मानना है इसके लिए राम जन्मभूमि न्यास के नृत्य गोपाल दास जी महाराज और विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय का नाम होना चाहिए लेकिन मैं अभी कुछ कह नहीं सकता यह ट्रस्ट के सभी सदस्यों को मिलकर तय करना है मंशा तो मेरी भी है कि इन्हीं दोनों के नाम का नामांकन हो लेकिन बैठक में जो लोग तय करेंगे वहीं निश्चित होगा".
राम मंदिर की निर्माण की तिथि तय करने को लेकर शंकराचार्य का कहना है कि "मेरा प्रयास होगा कि राम मंदिर निर्माण की तिथि जल्द से जल्दी तय करके निर्माण का कार्य करने वालों को तिथि तय करके सूचित कर देना चाहिए. वासुदेवानंद सरस्वती कहते हैं "नव संवत्सर के बाद कोई भी तिथि शुभ मुहूर्त देखकर निश्चित कर देना चाहिए राम जन्म नवमी है हनुमान जयंती है और अगर बीच में कोई मुहूर्त नहीं मिलता है तो अक्षय तृतीया है इससे पहले ही राम मंदिर निर्माण की तिथि तय कर लेना चाहिए". साथ में वे जोड़ते हैं मंदिर निर्माण के लिए मुहूर्त देखना पड़ेगा, निर्माण के लिए मुहूर्त तय करके ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है जो दिन तिथि शुभ मिलेगी उसी दिन निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
रामजन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य वासुदेवानन्द ने कहा, "यह कहा जाता है कि भगवान बद्रीनाथ का पट अक्षय तृतीया को खुलता है लेकिन उसके बावजूद मुहूर्त देखकर ही पट खोले जाते हैं इसी तरह से राम मंदिर निर्माण के लिए मुहूर्त देखकर ही निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा". उन्होंने कहा कि जब तक सभी सदस्यों की सहमति नहीं होगी तब तक कोई तारीख के बारे में बताना ठीक नहीं है.
ट्रस्ट के गठन के बाद उपजे नाराजगी के सुर पर बोलते हुए वे कहते हैं" सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को दायित्व दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का निर्माण करें, अब भारत सरकार ने अपने विधि वेधताओ से सहमति लेकर के ट्रस्ट का निर्माण किया है ट्रस्ट को कार्य कर देने देना चाहिए इसमें वैमनस्य नहीं पैदा होना चाहिए.
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सबसे वरिष्ठ सदस्य वासुदेवानंद सरस्वती कहते हैं "राम मंदिर निर्माण के लिए जो नक्शा बना है भारतीय शिल्प कला का परिचायक है, और पूरे देश में उसका प्रचार प्रसार हुआ है उसी पर विश्वास करके भारत की जनता ने सवा सवा सौ रुपए राम जन्मभूमि न्यास को देकर के 8 करोड़ रुपए एकत्रित किया था. 30 करोड़ रुपए का पत्थर बनकर तैयार हो गया है. एक करोड़ नौ हजार रुपये उसमें से बचे हुए हैं, वह ट्रस्ट के न्यास के खाते में है, हम तो चाहते हैं कि उसी नक्शे से मंदिर निर्माण होना चाहिए वह भारतीय पद्धति के नागर शैली की शिल्प कला का उदाहरण है और उस नक्शे में हमें कोई दोष भी नहीं दिखाई पड़ रहा है.
राम जन्मभूमि न्यास के भविष्य को लेकर कहते हैं "राम जन्मभूमि न्यास की अब कोई आवश्यकता नहीं है, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का ट्रस्ट काम करना शुरू कर देगा तो न्यास को भंग किया जा सकता है और न्यास का विलय भी तभी हो सकता है जब सभी सदस्य राम जन्म भूमि ट्रस्ट में शामिल कर लिया जाए, तो ऐसा लगता है कि राम जन्मभूमि न्यास को भंग किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि राम मंदिर निर्माण का काम शुरू होने से कम से कम 2 साल के अंदर उसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा, भव्य रूप देने में कुछ और वक्त लग सकता है.
राम मंदिर निर्माण के लिए फिर से शिलान्यास की आवश्यकता है या नहीं इस पर शंकराचार्य का कहना है "मेरे विचार से प्रथक से शिलान्यास करने की आवश्यकता नहीं है पूर्व में हुए शिलान्यास कर्ता भी ट्रस्ट में ही है और सदस्य हैं और इसलिए निर्माण कार्य को अब शुरू कर देना चाहिए, अब प्रथक से शिलान्यास की कोई जरूरत नहीं है भूमि पूजन करने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है.
मंदिर निर्माण की पहली हिटकॉन रखे इस पर वे कहते हैं इसके लिए सभी का स्वागत है "मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो तो कोई भी पहली ईंट रखे, दलित भी रख सकता है, कोई बहुत बड़ा महात्मा रख दे, या कोई बहुत छोटा किसान रखें, कोई बहुत बड़ा नेता रखें या कोई सामान्य ट्रस्ट का कार्यकर्ता रखें या सामान्य जनता रखें, सभी मंदिर की पहली ईंट रख सकते हैं सबका कर्तव्य मंदिर की सेवा करना है भगवान की सेवा करना है.
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