एबीपी के खास कार्यक्रम 'प्रेस कॉन्फ्रेंस' में अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने राज्यसभा टिकट  कई तीखे सवालों के जवाब दिए. 


सवाल : आजकल आप क्या कर रहे हैं ?
जवाब: मैं सियासत और सामाजिक कार्यों में व्यस्त हूं. मैं ज्यादातर दस्तकार, शिल्पकार और अपने देश की स्वदेशी विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की तरफ काम कर रहा हूं. कैसी ये विरासत स्वदेशी से स्वावलंबन की ओर बढ़ सके इस पर काम कर रहा हूं. 


सवाल: बीजेपी ने राज्यसभा में दोबारा मौका क्यों नहीं दिया ?
जवाब: 'सितारों के आगे जहाँ और भी हैं, अभी वक्त के इंतहा और भी हैं'. फिक्र करने की कोई बात नहीं है. पार्टी का जो भी निर्णय होता है वो बेहतरी के लिए होता है. 


सवाल: रामपुर से चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे या टिकट नहीं दिया गया ?
जवाब:  रामपुर से चुनाव लड़ने की खबरें अखबारी बातें हैं. ये मैं सिर्फ मीडिया में ही सुना है. मेरी न ही ऐसी कोई इच्छा है और न ही कोई अपेक्षा है.


सवाल: आपने पार्टी आलाकमान से अपनी भूमिका के बारे में पूछा ?
जवाब: पार्टी पूछकर रोल नहीं देती है. मैं पिछले 17 सालों से सियासत में हूं.  मैंने चुनाव लड़ा, जीता, हारा. जिस समय भी जो जिम्मेदारी पार्टी ने दी वो मैंने पूरी की है. 


सवाल: क्या पार्टी आपके महत्व को समझ नहीं पाई?
जवाब: नहीं पार्टी ने बहुत कुछ दिया है. मैं आशावादी व्यक्ति हूं. अभी जो कुछ होगा वो बेहतर होगा. 


सवाल: क्या राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुनाव में उतरेंगे ?
जवाब: राष्ट्रपति पद के लिए नहीं सोचा है. ये जिम्मेदारियां अलग अलग लोगों के लिए बनी हुई हैं.


सवाल: क्या नूपुर शर्मा पर कार्रवाई में बीजेपी ने देर कर दी ?
जवाब: मेरे पास मिस्र की यूनिवर्सिटी के एक उलेमा का फोन आया है. उस वक्त मैंने कहा कि ये पार्टी और सरकार का रुख नहीं है. मेरा ईमान हिंदुस्तान के प्रति है. हम किसी भी धर्म का अपमान नहीं करते हैं. 


सवाल: बीजेपी ने नूपुर पर कार्रवाई के लिए इंतजार क्यों किया ?
जवाब: बीजेपी और सरकार के किसी नुमाइंदे ने इस वाक्य को जस्टिफाई किया क्या ? जो भी उपयुक्त कार्रवाई थी वह इस मामले में की गई. पार्टी ने उनके बयान का समर्थन नहीं किया. अगर कोई नबी के बारे में आपत्तिजनक बोलेगा तो मुझे दुख होगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं होगा कि मैं उसका सर काट लूंगा. यह देश संविधान से चलेगा. पाकिस्तान इस मामले में प्रोपेगेंडा शुरू कर देता है. अलकायदा बोलने लगता है. दुख तो तब होता है जब देश के कुछ सियासत के लोग उनके सुर में सुर मिलाने लगते हैं. दुनिया का हर दसवां मुसलमान भारतीय हैं. 


सवाल: पार्टी प्रवक्ता को 'फ्रिंज एलिमेंट' बताना संयोग या प्रयोग ?
जवाब: कुछ लोगों की सेक्युलर शेरवानी और कम्युनल कारस्तानी बहुत मशहूर है. ये देश किसी के सामने झुकने वाला नहीं है. हम सभी सामाजिक वर्गों के साथ हैं. किसी को इन मामलों में ज्ञान देने का अधिकार नहीं है. हम सभी की धार्मिक भावना की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. 


सवाल: क्या बीजेपी प्रवक्ताओं को ट्रेनिंग की जरूरत है ?
जवाब: पार्टी प्रवक्ताओं को हमेशा पार्टी लाइन हमेशा बताई जाती रहती है. कभी-कभी प्रोवेकेशन के कारण स्लिप ऑफ टंग से बचना चाहिए. उकसावे से स्लिप ऑफ टंग हो जाता है. लेकिन उसमें इतना बवाल नहीं मचाया जाना चाहिए. पीएम मोदी को कई इस्लामी देशों से वहां का सर्वोच्च सम्मान मिला. इन दिनों मोदी बैशिंग ही इंडिया बैशिंग की साजिश का रूप ले चुकी है. 


सवाल: क्या राजनीतिक पार्टी विरोध करना बंद कर दें ?
जवाब:  हम राजनीतिक विरोध के खिलाफ नहीं हैं. 


सवाल: नूपुर शर्मा केस में दिल्‍ली पुलिस ने कार्रवाई में देर क्यों की ?
जवाब: नहीं, जिस किसी ने भी देश के सौहार्द, भाईचारे को बिगाड़ने की कोशिश की उन सभी लोगों पर पुलिस ने कार्रवाई की है. किसी के भी धर्म के अपमान की इजाजत नहीं है लेकिन हिंदू धर्म पर हमेशा टिप्पणी की जाती है. सेक्युलरिज्म के नाम पर तो सभी हिंदुत्व पर टिप्पणी करते हैं.   


सवाल: क्या मुसलमान धर्म को लेकर ज्यादा कट्टर हैं ?
जवाब: ज्ञानवापी का उदाहरण सबके सामने हैं.धार्मिक टिप्पणी को अपमान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. संविधान में अधिकार भी हैं और कर्तव्य हैं.  


सवाल: क्या इस्लाम को मानने वाले ज्यादा कट्टर हैं ?
जवाब: इस्लाम अलकायदा नहीं है. इस्लाम तालिबान नहीं हो सकता है. इस्लाम बहुत ओपन रिलीजन है. उसको संकुचित मत बनाइए. इस्लाम का कट्टर स्वरूप मत बनाइए. 


सवाल: भारत की धार्मिक स्वतंत्रता पर उंगली क्यों उठाई जा रही है ?
जवाब: हिंदुस्तान की बेज्जती की बात गलत है. एक घटना से देश की बेज्जती कैसे हो सकती है. यह देश 135 करोड़ लोगों का देश है. इस्लाम अपने आप में रिफार्म है. 


सवाल: आप ये मान रहे हैं कि देश का मुसलमान खुश है ?
जवाब: कुछ लोग सौहार्द बिगाड़ रहे हैं. देश के मुसलमानों को कई तकलीफ नहीं है. भारत में तीन लाख मस्जिदें हैं. सभी मस्जिदें सुरक्षित हैं. मौलानाओं का काम ही बोलना है.