Expalined: जानिए क्या है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर, कैसे यह NRC और CAA से अलग है
क्या है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) क्या होता है. यह NRC से कैसे अलग है. जानिए सबकुछ
नई दिल्ली: देश में इस वक्त नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर घमासान मचा हुआ है. अब इसी बीच खबर है कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) के नवीनीकरण को भी मंजूरी मिल सकती है. सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते इसे कैबिनेट से मंज़ूरी मिल सकती है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक होनी है.
बताया जा रहा है कि देश में नया NPR नहीं होगा बल्कि पुराने वाले को ही अपडेट किया जाएगा. साल 2011 में जनगणना से पहले एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी. जनगणना की प्रक्रिया के तहत ही साल 2010 में घर घर जाकर पूछताछ की गई थी. उसी के तहत एनपीआर का प्रावधान किया गया था. इसके बाद 2015 में NPR को अपडेट किया गया और इसका डिजिटलीकरण किया गया. अब एक बार फिर इसे अपडेट किया जाएगा. फिलहाल एनपीआर के मसौदे को लेकर स्पष्टीकरण नहीं है.
NPR का उद्देश्य देश के नागरिकों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है. इस डेटा में लोगों को जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी देनी होगी. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के बाद अब नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर भी देश में चर्चा शुरू हो गई है. ऐसे में आइए जान लेते हैं कि आखिर ये नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) क्या है और कैसे ये NRC से अलग हैं.
क्या है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR)
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है. यह नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (ग्राम / उप-टाउन), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है.
क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का उद्देश्य
एनपीआर का उद्देश्य देश में हर सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है. डेटाबेस में जनसांख्यिकीय के साथ-साथ बॉयोमीट्रिक विवरण शामिल होते हैं.
निम्नलिखित जनसांख्यिकीय विवरण आवश्यक है:
-व्यक्ति का नाम -घर के मुखिया से रिश्ता -पिता का नाम -माता का नाम -पति का नाम (यदि विवाहित है) -लिंग -जन्म की तारीख -वैवाहिक स्थिति -जन्म स्थान -राष्ट्रीयता (घोषित के रूप में) -सामान्य निवास का वर्तमान पता -वर्तमान पते पर रहने की अवधि -स्थायी निवास पता -व्यवसाय / गतिविधि -शैक्षणिक योग्यता
क्या होता है NRC
NRC या नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन वह जरिया है जिसके जरिए भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी होनी है. अभी यह प्रक्रिया सिर्फ असम में हुई और वहां एनआरसी की फाइनल लिस्ट पब्लिश हो चुकी है. असम में यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में पूरी हुई है. हालांकि, सरकार का कहना है कि वह पूरे देश में एनआरसी लागू करेगी. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि देश में लागू होने वाली एनआरसी की रूपरेखा असम की एनआरसी के मापदंडों से अलग होगी.
इसके तहत उन लोगों के नाम असम NRC में शामिल हुआ जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं. सरकार का साफ कहना है कि NRC के प्रक्रिया के तहत पूरे देश में अवैध नागरिकों की पहचान की जाएगी. सरकार का कहना है इस प्रक्रिया में सभी धर्मों को शामिल किया जाएगा.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. पहले 'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही लोगों को 11 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.
किन देशों के शरणार्थियों को मिलेगा फायदा? इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. मतलब 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.
देश में कहां-कहां लागू नहीं होगा ये कानून? नागरिकता संशोधन बिल की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं होगा (जो स्वायत्त आदिवासी बहुल क्षेत्रों से संबंधित है), जिनमें असम, मेघायल, त्रिपुरा और के क्षेत्र मिजोरम शामिल हैं. वहीं ये बिल उन राज्यों पर भी लागू नहीं होगा, जहां इनर लाइन परमिट है. जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम.