बेंगलुरु के कार्डियक सर्जन डॉ देवी शेट्टी की अध्यक्षता में कोविड 19 की तीसरी लहर से निपटने के उपायों का सुझाव देने के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति ने स्कूल जाने वाले हर बच्चे के लिए 2 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा के साथ स्कूलों को फिर से खोलने की जोरदार सिफारिश की है. इस कड़ी में कोविड 19 की तीसरी लहर को रोकने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने शनिवार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है. साथ ही इसमें विशेष आवश्यकताओं और स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है. वहीं पैनल के एक सदस्य ने बताया कि उन्होंने राज्य के प्रायोजित किए जाने वाले स्कूल जाने वाले प्रत्येक बच्चे को 2 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा की सिफारिश की है. दरअसल कुछ देशों में ऐसा ही आजमाया गया है. इस तरह से माता-पिता में उनके बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए विश्वास पैदा किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों के संक्रमण का केंद्र बनने की संभावना दुनिया में कहीं भी साबित नहीं हुई है. इसलिए स्कूल को फिर से खोलने के लिए वैज्ञानिक और निश्चित मार्गदर्शन देने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि स्कूली शिक्षा के सामान्यीकरण को प्राप्त करने में कोई भी देरी कोविड 19 की तुलना में ज्यादा हानिकारक होगी.


डिजिटल लर्निंग से नहीं मिला अच्छा रिजल्ट


रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल लर्निंग ने उम्मीद से कम रिजल्ट दिया है और सीखने और शैक्षिक असमानता में भी बड़ा अंतर पैदा किया है, रिपोर्ट में बच्चों के सीखने, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलुओं के अनुकूलन के लिए तर्क दिया गया है.


स्कूल खुलने से खतरे में है बच्चों का भविष्य


रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल फिर से खुलने में और देरी बच्चों को कुपोषण, बाल श्रम, बाल विवाह, बाल तस्करी और भीख मांगने की ओर धकेल सकती है. जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है. वहीं मास्क, स्वच्छता और परिसर के अच्छे वेंटिलेशन पर जागरूकता अभियान सभी स्कूलों में चलाए जाने  चाहिए, जिससे संक्रामण का खतरा कम रहेगा.


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