ICMR Advisory on COVID-19 Testing: भारत में पिछले कुछ दिनों से लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे है. इस बीच ICMR ने टेस्टिंग के लिए नई एडवाइजरी जारी की है जिसके मुताबिक अब संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए व्यक्तियों को जांच की जरूरत नहीं है. बशर्ते वे जोखिम वाली श्रेणी में हों. एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रा करने वाले व्यक्तियों को भी जांच कराने की जरूरत नहीं है. लक्षण वाले मरीजों, जिनकी घर या सेल्फ टेस्ट रिपोर्ट (Self Test Report) निगेटिव आई है उन्हें आरएटी (RAT) या आरटी-पीसीआर (RT-PCR) जांच करानी चाहिए.
ICMR की नई एडवाइजरी के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आनेवाले लोगों को टेस्टिंग की जरूरत नहीं, अगर वो असिम्प्टोमैटिक हैं. उन्हें तभी जरूरत होगी अगर व्यक्ति कोई बीमारी हो या ज्यादा बुजुर्ग हो. आईसीएमआर के इस फैसले को जानकार सही बता रहे है. इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ संजय राय के मुताबिक ये फैसला सही है.
एक्सपर्ट्स ने फैसले को बताया सही
डॉ संजय राय के मुताबिक बिना लक्षण वाले मरीज को टेस्ट की जरूरत नहीं. शुरू में जब ये वायरस आया था तब उस वक़्त ये फैसला इसलिए लिया गया था ताकि बीमारी को फैलने से रोक दें. बिना लक्षण वाले भी बीमारी फैला सकते थे लेकिन कांटेक्ट ट्रेसिंग से कुछ खास हासिल नहीं हो रहा था. वहीं सिर्फ टेस्ट इस्तेमाल हो रहा था जिसपर बहुत ज्यादा खर्च और हेल्थ स्टाफ लग रहा था.
IPHA अध्यक्ष डॉ संजय राय ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि बहुत सही समय पर इन्होंने यह गाइडलाइन जारी की है. अगर आप देखे तो कोई भी एक्टिविटी अगर हम करते हैं तो उसका एक उद्देश्य होना चाहिए जैसे इसका उद्देश्य कांटेक्ट ट्रेसिंग का उद्देश्य था कि हमें यह पता करना था कि जो भी लोग शायद इंफेक्शन है उन्हें पकड़ लेना ताकि वह आगे इस बीमारी को न फैलाएं. कांटेक्ट ट्रेसिंग में जिले के स्वास्थ्य अधिकारी आशा हेल्थ वर्कर सब शामिल होते हैं, तो उसमें यह पाया गया कि ज्यादातर लोगों को हम पकड़ नहीं पाते. यह पता कैसे चलता है वह पता चलता है सीरो सर्वे से.’
डॉ संजय राय ने आगे कहा, ‘100 से 200 करोड़ रुपये खर्च होते है टेस्ट किट पर. साइंस इवॉल्व होता है उसपर निर्णय लेना चाहिए. बड़े सही समय ICMR ने ये निर्णय लिया है. हमने IPHA की तरफ से डेढ़ साल पहले भेजा था. उस वक़्त देख कर लग रहा था कि कांटेक्ट ट्रेसिंग बहुत एफेक्टिविटी नहीं है क्योंकि जो केस हो रहे है उसका एक फीसदी डिटेक्ट नहीं कर पा रहे है तो क्या 99 फीसदी लोग नहीं फैला रहे है. पहले सीरो सर्वे का अगर उदाहरण ले तो वह साल 2020 के मई में हुआ था ICMR द्वारा उस समय ओवरऑल इन्फेक्शन रेट पाया गया था 0.73%. आप 137 करोड़ की आबादी पर उसको अगर देखो तो 1 करोड़ 10 लाख हो जाता है जबकि उस समय 36 हजार से कम केस आए थे. लेकिन उस समय यह मकसद था कि जल्दी से जल्दी इंक्शन को रोक दिया जाए लेकिन बाद में जब एविडेंस आया तो हम ने यह पाया कि हम रोक नहीं पा रहे हैं. तो ये काफी एविडेंस के बाद ये निर्णय लिया गया है.’
‘टेस्ट का कोई उद्देश्य नहीं रह जाता’
कुछ ऐसा ही कहना है में कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ पुनीत मिश्रा का. उनके मुताबिक भी ये फैसला सही है. उनका कहना है कि अभी जो एविडेंस है उसके मुताबिक व्यक्ति संक्रमण से पांच से सात दिन में ठीक हो जाता है. वहीं ज्यादातर लोगों को लक्षण ही नहीं आते है. ऐसे में टेस्ट का कोई उद्देश्य नहीं रह जाता है. जिन्हें है उनका टेस्ट और ट्रीटमेंट होना चाहिए.
AIIMS में कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ पुनीत मिश्रा ने कहा, ‘देखे उन्होंने यह कहा है कि कमेटी सेटिंग में अगर कोई एसिंप्टोमेटिक है तो उसे टेस्टिंग की जरूरत नहीं है. मुझे लगता है यह बहुत सही गाइडलाइन है इस तरह का जो निर्णय है वह अगर पहले लिया रहता तो बहुत अच्छा होता. मैं ओमिक्रोन के परिपेक्ष में ही बात करूंगा. देखिए ओमिक्रोन वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है दूसरी चीज हमें यह मालूम है 80% लोगों में यह बहुत हल्का होगा जिनको थोड़ी बहुत गंभीरता होगी उन्हें हॉस्पिटलाइजेशन की या ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है. तो आप देखिए कम्युनिटी में जहां हर ट्रांसमिसिबिलिटी है ज्यादातर लोग एसएमटी में ठीक है कोई दिक्कत नहीं है आ रही है तो उनका टेस्ट करके हम क्या हासिल करना चाह रहे हैं. टेस्टिंग के पीछे कोई उद्देश्य होना चाहिए अगर आपने मान लीजिए किसी का टेस्ट किया और वह पॉजिटिव आता है तो हम इसे क्या चीज हासिल कर रहे हैं.’
जानकारों के मुताबिक ये फैसला सही है और इसे पूरे साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर लिया गया है. इस फैसले से टेस्टिंग में लगने वाले पैसे, किट, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की बचत होगी. जिन्हें जरूरत है उस पर फोकस कर इलाज हो पाएगा. इसके अलावा हेल्थ सेवाओं पर बोझ कम पड़ेगा.
IPHA अध्यक्ष डॉ संजय राय ने कहा, ‘इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हमारे हेल्थ सिस्टम पर ओवरलोड कम होगा जो खर्चे किट पर हो रहे थे वह कम होगा. हमारा ह्यूमन रिसोर्स बाकी प्रोग्राम में समय दे पाएगा और कोविड इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है. हेल्थ सिस्टम पर लोड कम पड़ेगा तो हम उस चीज को कहीं और इस्तेमाल कर पाएंगे उसी रिसोर्स को हम बैटर मैनेजमेंट में इस्तेमाल कर पाएंगे.’
जानकारों का ये भी तर्क है कि दुनिया के बाकी देशों में भी संक्रमण के लिए समय समय पर टेस्टिंग, क्लीनिकल मैनेजमेंट में एविडेंस के आधार पर ही फैसला लिया गया है. जैसे हाल में ओमिक्रोन को लेकर कहा गया कि 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है. अगर लक्षण नहीं तो कोई टेस्ट भी जरूरत नहीं है. अमेरिका के CDC ने भी ये बात कही है. इसलिए भारत में भी अगर संक्रमित है और कोई लक्षण नहीं है तो 7 दिन बाद कोई टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है.
किसे टेस्ट करवाना चाहिए और किसे नहीं
भारत मे कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए ICMR ने नए एडवाइजरी जारी की है जिसमें किसे टेस्ट करवाना चाहिए और किसे नहीं इस विस्तृत ब्यौरा है. ICMR की नई एडवाइजरी के मुताबिक, इन लोगों का टेस्ट किया जा सकता है.
समुदाय सेटिंग में
- सिम्प्टमैटिक यानी वो लोग जिनको खांसी, बुखार, गले में खराश, स्वाद और/या गंध चले जाना , सांस फूलना और/या साँस से सम्बन्धित अन्य लक्षण वाले व्यक्ति.
- प्रयोगशाला से पुष्ट मामलों के सम्पर्क में आए वो लोग जिनकी उम्र साथ साल से अधिक है या कोमोरबिडिटी वाले लोग जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, पुरानी फेफड़े या गुर्दे की बीमारी, दुर्दमता, मोटापा जैसी बीमारी हो
- विदेश यात्रा करने वाले व्यक्ति (अलग अलग देशों की आवश्यकताओं के अनुसार).
- भारतीय हवाई अड्डों/बंदरगाहों/ पोर्ट ऑफ एंट्री के बंदरगाहों पर पहुंचने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को दिशानिर्देश के मुताबिक़ टेस्ट कराना होगा
अस्पतालों में टेस्ट कराने के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं. इनके मुताबिक़ इलाज करने वाले डॉक्टर के विवेकानुसार परीक्षण किया जा सकता इन बातों का ख़्याल रखते हुए टेस्ट कराए जा सकते हैं
- किसी भी आपातकालीन प्रक्रिया जैसे सर्जरी और डेलिवेरी में टेस्ट के अभाव के देरी नहीं होनी चाहिए एक परीक्षण का.
- टेस्टिंग फ़सिलिटी के अभाव में मरीजों को अन्य सुविधाओं के लिए रेफर नहीं किया जाना चाहिए. सभी टेस्टिंग सुविधाओं के लिए नमूने एकत्र करने और स्थानांतरित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
- बिना लक्षण वाले मरीज़ जो सर्जिकल/गैर-सर्जिकल इनवेसिव प्रक्रियाओं से गुजर रहे हैं, या फिर प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाली प्रसव में/निकटवर्ती गर्भवती महिलाओं का परीक्षण तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि आवश्यक न हो या लक्षण ना दिखे.
- अस्पताल में भर्ती मरीज़ों का एक हफ़्ते में एक बार से ज़्यादा टेस्ट नहीं किया जाए
जिन लोगों को टेस्ट की आवश्यकता नहीं है
- कम्युनिटी सेटिंग में असिम्प्टोमैटिक व्यक्ति
- COVID-19 के कन्फर्म केस के संपर्क आया हुआ व्यक्ति, अगर कोमोरबीडीटी या ज्यादा उम्र में नही है तो.
- होम आइसोलेशन दिशा-निर्देशों के अनुसार डिस्चार्ज होने वाले मरीज
- संशोधित डिस्चार्ज नीति के अनुसार मरीजों को कोविड-19 सेंटर से डिसचार्ज मरीज को
- एक राज्य से दूसरे राज्य में घरेलू यात्रा करने वाले व्यक्ति
कुछ और महत्वपूर्ण बिंदु
- टेस्टिंग या तो RT-PCR, TrueNat, CBNAAT, CRISPR, RT-LAMP, रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्टिंग सिस्टम या रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) के माध्यम से की जा सकती है.
- एक पॉज़िटिव पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्ट यानी होम या सेल्फ-टेस्ट / रैपिड एंटीजेन टेस्ट और मॉलिक्यूलर टेस्ट को कन्फर्म माना जाएगा, किसी रिपीट टेस्ट की जरूरत नहीं होगी.
- प्वाइंट-ऑफ-केयर टेस्ट (होम या सेल्फ-टेस्ट / आरएटी) की व्याख्या annexure में दिए गए एल्गोरिथम के अनुसार की जानी चाहिए. लक्षणवाले व्यक्तियों, होम/सेल्फ-टेस्ट या आरएटी पर नेगेटिव टेस्ट आने पर आरटीपीसीआर टेस्ट करना चाहिए.
- COVID-19 के लिए टेस्ट किए गए सभी व्यक्तियों के टीकाकरण की स्थिति को RTPCR ऐप में सैंपल रेफरल फॉर्म (SRF) में दर्ज किया जाना चाहिए. क्योंकि ये जानकारी काफी महत्वपूर्ण है.
- जीनोम सीक्वेंसिंग निगरानी उद्देश्यों के लिए की जाती है और उपचार उद्देश्यों के लिए किए जाने की आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए, जीनोम सिक्वेंसिंग सिर्फ INSACOG (इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक सर्विलांस कंसोर्टियम) की सिफारिशों के अनुसार पॉजिटिव सैंपल में सबसेट का ही होगा.
- नए SARS-CoV-2 Omicron या वैरिएंट डिटेक्शन RTPCR assays को उन क्षेत्रों में उपयोग करने की सिफारिश की जाती है, जहां केस उभर रहे हो और त्वरित पता लगाने के लिए सीमित जीनोमिक निगरानी क्षमता वाले क्षेत्रों में उपयोग करने की सिफारिश की जाती है.
ICMR की होम टेस्टिंग एडवाइजरी यहां उपलब्ध है: https://www.icmr.gov.in/pdf/covid/kits/Advisory_Home_Test_kit_19052021_v1.pdf
सभी RT-PCR और RAT टेस्टिंग परिणाम ICMR पोर्टल पर अपलोड किए जाने चाहिए: https://cvstatus.icmr.gov.in.
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