महाराष्ट्र में तेजी से क्यों बढ़े कोरोना संक्रमण के मामले, विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
पूरे भारत में कोरोना वायरस के 5 हजार से ज्यादा मामले पहुंच गए हैं जबकि मृतकों की संख्या 166 हो गई है.भारत का सबसे प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है जहां तेजी से संक्रमण के मामले आने पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं.
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा दर्ज की गई है. अन्य सूबों के मुकाबले यहां बुधवार को 117 नए मामलों के साथ पीड़ितों की संख्या एक हजार के ऊपर पहुंच गई. आखिर यहां ऐसा क्या हुआ जिससे मरीजों की तादाद बढ़ती गई ?
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता और दोषपूर्ण व्यवस्था की पोल खुलती है. उनके मुताबिक मरीजों की पहचान के लिए कम टेस्टिंग और देर से स्क्रीनिंग की गई. 9 मार्च को महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया. दुबई से लौटे पुणे के जोड़े में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हुई. अगले दिन इनके संपर्क में आए तीन अन्य लोग पॉजिटिव पाए गए. सभी पांचों को पुणे के नायडू अस्पताल में भर्ती कराया गया. 11 मार्च को मुंबई के दो लोगों में कोरोना पॉजिटिव की पुष्ट हुई. ये दोनों पुणे निवासी जोड़े के सहयात्री थे. ये सभी पीड़ित 1 मार्च को दुबई की यात्रा से मुंबई लौटे 40 सदस्यों के जत्थे में शामिल थे. मुंबई एयरपोर्ट पर उनकी स्क्रीनिंग नहीं की गई. एयरपोर्ट स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक स्क्रीनिंग की शुरुआत 17 मार्च से हुई. महाराष्ट्र चैप्टर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अध्यक्ष अविनाश भोंडे ने स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सबसे बड़ी खामी बताई. महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ भरत पुरंदरे भी इसी से मिलती जुलती राय जाहिर करते हैं. उनके मुताबिक सरकार को विदेश से आनेवाले यात्रियों की जांच के लिए स्क्रीनिंग की व्यवस्था बहुत पहले शुरू कर देनी चाहिए थी.
डॉक्टरों के मुताबिक टेस्टिंग व्यवस्था के कारण भी संक्रमण तेजी से फैले. 43 वर्षीय कोविड-19 मरीज की कोई ट्रैवेल हिस्ट्री नहीं थी और ना ही संक्रमित मरीज के संपर्क में आने की कोई बात. 19 मार्च को उसमें बीमारी के लक्षण सामने आए. टेस्ट के लिए कस्तूरबा अस्पताल ने भारी जोखिम का मरीज नहीं मानते हुए जांच करने से इंकार कर दिया. 27 मार्च को निजी लैबोरेट्री में जांच होने पर संक्रमण की पुष्टि हुई. तब तक दोनों मां-बेटा कोरोना वायरस के मरीज बन चुके थे. गौरतलब है कि 11 करोड़ 50 लाख की आबादी वाले राज्य में बुधवार रात तक सिर्फ 27090 टेस्ट किए गए. इसका मतलब ये हुआ कि 4208 नागरिकों पर एक टेस्ट की सुविधा.
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