रक्षा क्षेत्र में देसी उत्पादों को बढ़ावा देने के सरकार के फैसले का विशेषज्ञों ने किया स्वागत, कहा- देश बनेगा आत्मनिर्भर
रक्षा निर्माण में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की जाएगी.सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री को शेयर मार्केट में लिस्टेड करने का भी एलान किया है.
नई दिल्ली: भारतीय सेना का कायाकल्प होने वाला है. सेना की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा ऐलान किया है. ये ऐलान भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनाएगा. निर्मला सीतारमण शनिवार को जब आत्मनिर्भर भारत पैकेज की चौथी क़िस्त के बारे में बताने आईं तो उन्होंने रक्षा क्षेत्र में देश को स्वाबलंबी बनाने के लिए चार बड़े एलान किए. वित्त मंत्री के फैसले का पूर्व रक्षा अधिकारियों ने स्वागत किया है. रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इससे देश आत्मनिर्भर बनेगा.
पहला एलान
रक्षा निर्माण में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की जाएगी
रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ने से कई फायदे होंगे. दुनिया की बड़ी हथियार कंपनियां ना सिर्फ भारत में निवेश के लिए आकर्षित होंगी बल्कि इनके साथ आधुनिक तकनीक भी भारत आएगा. यही नहीं लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, बीएई सिस्टम्स, रेथियॉन और नॉर्थरोप ग्रुमैन जैसी कंपनिया अगर मेक इन इंडिया के तहत भारत में अपने हथियार बनाती हैं तो विश्व बाजार में एक बड़े हथियार निर्यातक के तौर पर भारत भी अपनी जगह बना सकता है. आपको बता दें कि निर्यात के मामले में विश्व बाजार में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ शून्य दशमलव दो फीसदी है जबकि हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हथियार आयातक देश हैं.
सेना के खर्च सरकार को कम करने के लिए सरकार की तरफ से जो दूसरा बड़ा एलान किया गया है वो है....
'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा दिया जाएगा. जिन हथियारों की ज़रूरत है वो बाहर से मंगाए जाएंगे और उन हथियारों को नोटिफ़ाई किया जाएगा जिन्हें भारत में ही बनाया जा सकता है. साथ ही हथियारों के आयातित पुर्ज़ों को भारत में बनाने की व्यवस्था की जाएगी.
भारत की सेना अपने बजट का बहुत बड़ा हिस्सा हथियारों के खरीद पर खर्च करती है. चाहे लड़ाकू विमान हो, जंगी जहाज हों, पनडुब्बी हों या टैंक और तोप. हर चीज विदेशों से खरीदी जाती है. या यूं कहें कि सेना की पूरी इंवेंटरी ही विदेश हथियारों पर आश्रित है तो ये गलत नहीं होगा. इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है और ये कुल आयात का 12 फीसदी हथियार खरीदता है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2018 में भारत ने एक खरब 16 अरब 85 करोड़ 5 लाख 80 हजार रुपये खर्च किए.
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर सरकार देश में ही बने हथियारों को खरीदने का फैसला करती है तो इससे ना सिर्फ डॉलर बचेगा बल्कि हथियारों के मामले में अमेरिका, रूस, इजरायल जैसे देशों पर हमारी निर्भरता भी खत्म हो जाएगी और नए रोजगार पैदा होंगे सो अलग.
इसके अलावा सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री को शेयर मार्केट में लिस्टेड करने का भी एलान किया है. भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के इन फैसलों का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी स्वागत किया है. मेक इन इंडिया के जरिए भारतीय रक्षा उत्पादन क्षमताओं की वास्तविक क्षमता उजागर होगी. रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार की घोषणाएं गेम चेंजर साबित होंगी.
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