Explained: जानिए आम आदमी तक कैसे पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन, पूरी प्रक्रिया को कैसे अंजाम दिया जाएगा?
दवा को प्रोडक्शन प्लांट से एयरपोर्ट तक जिन गाड़ियों में ले जाया जा रहा है. वो भी बेहद खास हैं. इन गाड़ियों में -25 से 25 डिग्री तक तापमान मैनेज रहता है.कोरोना की दवा के रखरखवा से लेकर टीका लगावाने वाले हर शख्स का CoWin एप पर एक डिजिटल रिकॉर्ड भी रखा जाएगा. देश में 41 स्टोरेज प्वाइंट हैं.
Corona Vaccine: कोरोना वैक्सीन की पहली खेप तीन ट्रकों में तड़के 4.30 बजे के करीब पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट से रवाना हो गई है. वैक्सीन को महाराष्ट्र पुलिस की कड़ी सुरक्षा में रवाना किया गया है. सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट को 1.1 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है और ऑर्डर के 24 घंटे के भीतर ही सीरम इंस्टीट्यूट ने देश को कोरोना वैक्सीन की पहली खेप मुहैया करा दी है. अब ये वैक्सीन बहुत जल्द आम आदमी के लिए उपलब्ध होगी.
अलग-अलग चरणों में होगा टीकाकरण
ट्रकों से जरिए कोरोना की दवा देश के अलग-अलग राज्यों तक पहुंचेंगी. इन दवाइयों की रवानगी से पहले कल पीएम मोदी ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी और अपील की कि वो पहले जरूरी लोगों को टीका लेने दें फिर खुद टीका लगवाएं. ये टीकाकरण अलग-अलग चरणों में होगा.
पहला चरण
पहले चरण में फ्रंटलाइन कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी. इसमें हेल्थ वर्कर्स, सफाई कर्मचारी और सैन्य बलों से जुड़े लोगों को टीका लगाया जाएगा. पहले चरण में लगभग तीन करोड़ नागरिक शामिल होंगे.
दूसरा चरण
दूसरे चरण में 50 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति और दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों को टीका लगाया जाएगा. दूसरे चरण में टीका लगवाने वालों की संख्या लगभग 27 करोड़ होगी. पहले चरण में जो 3 करोड़ टीके लगेंगे, उनका खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी.
बेहद खास हैं वैक्सीन ले जाने वाली गाड़ियां
दवा को प्रोडक्शन प्लांट से एयरपोर्ट तक जिन गाड़ियों में ले जाया जा रहा है. वो भी बेहद खास हैं. इन गाड़ियों में -25 से 25 डिग्री तक तापमान मैनेज रहता है. दवा की सुरक्षा के लिहाज से पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दवा लेकर जाने वाली गाड़ियों की भी GPS से चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी. दूसरे राज्यों से भी कॉर्डिनेट कर रहे हैं और वह सेंट्रल सेल से निगरानी रखेंगे.
इस पूरी प्रक्रिया को कैसे अंजाम दिया जाएगा?
- सबसे पहले वैक्सीन के मैन्युफैक्चर इसका उत्पादन करते हैं.
- इसके बाद मैन्युफैक्चरर प्राइमरी वैक्सीन स्टोर यानि GMSD डिपो पहुंचती है.
- भारत में करनाल, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में 4 बड़े जीएमएसडी डिपो हैं.
- इन 4 जगहों पर वैक्सीन मैन्युफैक्चरर एयर ट्रांसपोर्ट के जरिए वैक्सीन की सप्लाई करते हैं.
- GMSD डिपो से राज्य वैक्सीन स्टोर तक पहुंचती है.
- देश में 41 स्टोरेज प्वाइंट हैं.
यहां से आगे पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की होती है. कोरोना की दवा के रखरखवा से लेकर टीका लगावाने वाले हर शख्स का CoWin एप पर एक डिजिटल रिकॉर्ड भी रखा जाएगा.
कितनी होगी कोविशिल्ड की कीमत?
देश में कोरोना के टीकाकरण का अभियान जितना पेंचीदा है, उतना ही महंगा भी हो सकता था. लेकिन वैज्ञानिकों की मेहनत और स्वदेशी तकनीक से बनी दवाओं ने देश को एक बड़े आर्थिक संकट से भी बचाया है. माना जा रहा था कि विदेशी दवा की कीमत हजारों में होगी. लेकिन देश में बनी कोविशिल्ड की कीमत 200 रुपये है. इसमें 10 रुपये का GST लगेगा. मतलब दवा का एक डोज 210 रुपये का होगा. हर शख्स को दो डोज लेने होंगे.
भारत, दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माता देशों में से एक है. टीकाकरण का अनुभव भी हमें सबसे ज्यादा है, इसलिए उम्मीद है कि वैक्सीनेशन में दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन इस मुहिम को डिरने करने वाले भी कई लोग हैं, इसलिए आज खुद पीएम मोदी ने राज्यों से अपील की कि वो अफवाहों को ना फैलने दें.
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