(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Razakars: कहानी उन रजाकारों की, जिन पर फिल्म बना बीजेपी KCR को सत्ता से उखाड़ फेंकने की बना रही रणनीति
Razakars Hyderabad: हैदराबाद के भारत में विलय के बाद मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. रजाकारों के मुखिया कासिम रिजवी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया.
Razakars Hyderabad Nizam Operation Polo: तेलंगाना में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले एक फिल्म की चर्चा जोरों पर है. इस फिल्म का नाम है 'रजाकार'. इस फिल्म के निर्माता भाजपा नेता गुडुर नारायण रेड्डी (Gudur Narayan Reddy) हैं. जो करीब चार दशकों तक कांग्रेस के नेता रहे और दो साल पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं.
वैसे, रजाकारों का नाम लेकर भाजपा लगातार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ टीआरएस नेता और तेलंगाना के सीएम केसीआर पर भी निशाना साधती रहती है. दरअसल, राज्य में केसीआर और ओवैसी के बीच की जुगलबंदी भाजपा के लिए सिरदर्द है. जिससे निपटने के लिए भाजपा ने रजाकारों पर फिल्म बनाकर सियासी माहौल बदलने की कोशिश की है.
जैसे विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स के जरिये इतिहास के एक पन्ने को फिर से सबके सामने लाया गया था. उसी तरह रजाकार के जरिये भाजपा ने तेलंगाना में केसीआर को सत्ता से उखाड़ फेंकने की रणनीति बनाई है. आइए जानते हैं आखिर कौन थे रजाकार? क्या था ऑपरेशन पोलो, जिसने हैदराबाद के नवाब के झुकने पर मजबूर कर दिया?
कौन थे रजाकार?
ब्रिटिश राज के दौरान हैदराबाद में नवाब बहादुर यार जंग ने मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एमआईएम नाम की एक पार्टी बनाई. बहादुर यार जंग ने ही रजाकारों की फौज बनाई. ये मुस्लिमों की एक मिलिशिया यानी आम लोगों की सेना थी. कहा जा सकता है कि ये फौज भी नवाब की सेना की ही तरह थी. बस इस पर पकड़ सीधे तौर पर नवाब की न होकर बहादुर यार जंग की थी.
बहादुर यार जंग के बाद रजाकारों की इस फौज की जिम्मेदारी कासिम रिजवी ने संभाल ली. रजाकारों का मूल उद्देश्य हैदराबाद को भारत से अलग पाकिस्तान की तरह ही एक इस्लामिक राज्य बनाना था. केएम मुंशी ने अपनी किताब 'द एंड ऑफ एन इरा' में लिखा है कि कासिम रिजवी कहते थे 'हम महमूद गजनवी की नस्ल के हैं. अगर हमने तय कर लिया तो हम लालकिले पर आसफजाही झंडा फहरा देंगे.'
जब निजाम ने हैदराबाद को घोषित कर दिया स्वतंत्र देश
भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के 550 से ज्यादा रियासतों को पाकिस्तान या भारत या आजाद रहने का विकल्प मिला था. ज्यादातर रियासतों का भारत में विलय हो गया था. भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद (जो उस समय प्रिंसली स्टेट थी) के निजाम मीर उस्मान अली खान से भी विलय को लेकर बातचीत की. जिसे ठुकरा कर हैदराबाद के निजाम ने अपनी रियासत को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, निजाम मीर उस्मान अली खान ने 3 जून, 1947 को ही फरमान जारी कर दिया था कि भारत के आजाद होने के बाद हैदराबाद भी आजाद मुल्क होगा. दरअसल, हैदराबाद के निजाम को रजाकारों के संगठन के मुखिया ने भरोसा दिलाया था कि वो भारतीय सेना का मुकाबला कर सकते हैं.
रजाकारों ने लोगों पर खूब जुल्म ढाए
इस्लामिक मुल्क बनाने के रजाकारों के सपने के बीच में जो कोई भी आता, वो अपने आप ही इनका दुश्मन हो जाता था. फिर वो कम्युनिस्ट हों या लिबरल मुस्लिम. हालांकि, इनके निशाने पर बहुसंख्यक हिंदू ही रहते थे. रजाकारों ने हैदराबाद के बहुसंख्यक लोगों पर जमकर जुल्म किए. द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2 सितंबर 1947 को वारंगल जिले के एक गांव में निजाम की सेना और रजाकारों ने 22 लोगों पर गोलियां बरसा कर उन्हें मार डाला था. रजाकारों पर भारत में विलय की मांग करने वालों की हत्याएं, बलात्कार करने जैसे गंभीर आरोप लगते हैं.
हैदराबाद में इकट्ठा किया जा रहा था गोला-बारूद
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के साथ स्टैंड स्टिल समझौता करने के बावजूद हैदराबाद के निजाम चोरी-छुपे रजाकारों को मजबूत करने में जुटे हुए थे. 1948 में निजाम ने एक आस्ट्रेलियाई पायलट से हैदराबाद को मशीन गन, ग्रेनेड्स, मोर्टार और विमानभेदी तोपों की सप्लाई करने का काम दिया. इतना ही नहीं, हैदराबाद की सीमा को समुद्र से जोड़ने के लिए निजाम ने पुर्तगाल से गोवा को खरीदने के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया था.
हैदराबाद को 'भारत के दिल का नासूर'
बीबीसी की एक रिपोर्ट में, हैदराबाद के सेंट एनीज कॉलेज में इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ. उमा जोजेफ ने कहा 'निजाम को लग रहा था कि हैदराबाद पकिस्तान का हिस्सा हो सकता है. जब पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान एक नहीं रह सके, तो हैदराबाद के साथ भी यही होना था. अगर हैदराबाद पकिस्तान में शामिल हो जाता, तो ये भारत के लिए हमेशा परेशानी का कारण बनता. इस लिए सरदार पटेल ने हैदराबाद को भारत के पेट में अल्सर बताया था.' बता दें कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद के खिलाफ फौजी कार्रवाई को जरूरी बताते थे.
ऑपरेशन पोलो की शुरुआत और ढेर हो गए रजाकार
13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने सरदार पटेल की ओर से आदेश मिलने पर ऑपरेशन पोलो को अंजाम दिया. हालांकि, इससे पहले हैदराबाद के निजाम को समझाने के दर्जनों प्रयास किए गए लेकिन, उन्हें ये मंजूर नहीं हुआ. भारतीय सेना और रजाकारों के बीच कुछ मोर्चों पर संघर्ष हुआ. ये सैन्य कार्रवाई पांच दिनों तक चली. जिसमें 1373 रजाकार और हैदराबाद स्टेट के 807 जवान भी मारे गए. ऑपरेशन पोलो में भारतीय सेना ने भी 66 जवान खोए. अंतत: हैदराबाद का भारत में विलय हो गया.
कासिम रिजवी हुआ गिरफ्तार, रिहा होने के बाद गया पाकिस्तान
हैदराबाद के भारत में विलय के बाद मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. रजाकारों के मुखिया कासिम रिजवी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कासिम रिजवी को करीब एक दशक तक जेल में रखने के बाद उसे रिहा कर दिया गया. हालांकि, रिहा करने की एक मात्र शर्त यही थी कि वह रिहाई के 48 घंटों में ही पाकिस्तान चला जाएगा. रिजवी को पाकिस्तान ने अपने यहां शरण दे दी थी.
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