लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कर्नाटक के सियासी गलियारों में 'ऑपरेशन पंजा' की गूंज सुनाई देने लगी है. कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस बीजेपी और जेडीएस को तोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. कुछ सियासी जानकार इसे 2019 के ऑपरेशन लोटस का बदला भी बता रहे हैं.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी ऑपरेशन पंजा के तहत 3 से 4 फेज में बीजेपी-जेडीएस विधायकों को तोड़ने की रणनीति है. समाचार एजेंसी आईएएनएस ने कर्नाटक कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से बताया कि जल्द ही विपक्ष के 15 विधायकों को पार्टी में शामिल कराया जा सकता है.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक विधायकों से पहले ही संपर्क किया जा चुका है और उनके पदों के बारे में आगे की बातचीत की जा रही है. बात फाइनल होते ही विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा लिया जाएगा.
ऑपरेशन पंजा की अटकलों पर बीजेपी की भी प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस बोम्मई ने दावा किया है कि बीजेपी के एक भी विधायक कांग्रेस में नहीं जाएंगे.
कांग्रेस का ऑपरेशन पंजा क्या है?
कर्नाटक के सियासी गलियारों में ऑपरेशन लोटस की तर्ज पर ऑपरेशन पंजा चलाए जाने की चर्चा है. इसके तहत कांग्रेस बीजेपी और जेडीएस के उन विधायकों को तोड़ने की रणनीति बना रही है, जो कभी कांग्रेस में ही थे.
इसके अलावा कांग्रेस की नजर ओल्ड मैसूर, बेलगावी, बीदर और तटीय कर्नाटक से आने वाले बीजेपी के कद्दावर नेताओं पर है. कांग्रेस इन नेताओं को साथ जोड़कर 2024 में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की रणनीति तैयार कर रही है.
कर्नाटक में कांग्रेस ने 2024 में 20 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है. वर्तमान में पार्टी के पास सिर्फ एक सीट है.
ऑपरेशन 'पंजा' की अटकलें क्यों?
1. डिप्टी सीएम शिवकुमार का सियासी बयान- कर्नाटक के डिप्टी सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के एक सियासी बयान ने ऑपरेशन पंजा के अटकलों को और अधिक बल दिया. शिवकुमार से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या वे विधायकों की घर वापसी करा रहे हैं, तो उनका जवाब था- राजनीति में सब कुछ संभव है.
शिवकुमार के मुताबिक कांग्रेस कर्नाटक के उन इलाकों पर ज्यादा फोकस कर रही है, जहां 2023 के चुनाव में उसका वोट प्रतिशत काफी कम था. शिवकुमार ने बताया कि पार्टी वोट प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है. हमारा लक्ष्य लोकसभा में अधिक सीटें जीतने का है.
2. बीजेपी की मीटिंग में नहीं पहुंचे 2 विधायक- सियासी गलियारों में ऑपरेशन पंजा की चर्चा के बाद बीजेपी ने आनन-फानन में एक मीटिंग बुलाई. यह बैठक पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के घर बुलाई गई. मीटिंग में बीजेपी के 2 विधायक नहीं पहुंचे.
विधायक एसटी सोमशेखर और शिवराम हेब्बार बैठक से नदारद रहे. स्थानीय अखबार डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक मीटिंग के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि कुछ विधायक बीजेपी छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन हम उनसे लगातार संपर्क में हैं.
येदियुरप्पा ने कहा कि जल्द ही हम सभी नाराज विधायकों को मना लेंगे.
3. बैठक से गायब विधायक ने शिवकुमार को बताया गुरु- येदियुरप्पा के घर पर हुई बीजेपी की बैठक से गायब रहने वाले विधायक सोमशेखर ने डीके शिवकुमार को अपना राजनीतिक गुरू बताया. सोमशेखर के बयान के बाद ऑपरेशन पंजा की अटकलें और तेज हो गई.
अपने समर्थकों से बात करते हुए सोमशेखर ने कहा- मैं जहां हूं, वहां खुश नहीं हूं. रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमशेखर बीजेपी हाईकमान से नाराज हैं. उनका आरोप है कि क्षेत्र में उनके खिलाफ काम करने वाले नेताओं पर पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
2019 में ऑपरेशन लोटस में सोमशेखर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बाद में उन्हें बीजेपी ने कर्नाटक सरकार में मंत्री बनवाया था.
4. JDS में भी नाराजगी की खबर- कर्नाटक की क्षेत्रीय पार्टी जनता दल सेक्युलर में भी नाराजगी की खबर है. जेडीएस के 10-12 विधायकों के कांग्रेस के संपर्क में होने की बात कही जा रही है. पार्टी की कोशिश 2 तिहाई विधायकों को एक साथ लाने की है.
जेडीएस के वर्तमान में 19 विधायक है और अगर 14 विधायक एक साथ आ जाते हैं, तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा नहीं देना पड़ेगा.
दरअसल, जेडीएस का एक धड़ा बीजेपी को लेकर पार्टी के रूख से नाराज है. कर्नाटक के कृषि मंत्री एन चालुवरायस्वामी ने भी जेडीएस के विधायकों के जल्द बीजेपी में शामिल होन की बात कही है. चालुवरायस्वामी ने कहा कि जो विधायक हमारे संपर्क में हैं, उन्हें जल्द ही आप सामने देखेंगे.
कर्नाटक में ऑपरेशन पंजा क्यों?
बीजेपी के गढ़ बेंगलुरु और बेलगावी-बीदर पर नजर
2023 के चुनाव में कांग्रेस कर्नाटक के कई इलाकों में एकतरफा जीती, लेकिन बेंगलुरु, बीदर और बेलगावी में पार्टी बीजेपी से पिछड़ गई. बेंगलुरु (शहर) के 28 में से सिर्फ 12 सीटें जीत पाई.
इसी तरह बीदर की 6 में 2 और बेलगावी की 11 में 7 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई. कांग्रेस इन्हीं इलाकों से आने वाले बीजेपी नेताओं को साध रही है. खासकर बेंगलुरु से आने वाले नेताओं पर.
बेंगलुरु में लोकसभा की 4 सीटें हैं और पिछले चुनाव में सिर्फ बेंगलुरु (ग्रामीण) सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी.
कांग्रेस को उम्मीद है कि ऑपरेशन पंजा के जरिए बीदर, बेलगावी और बेंगलुरु का सियासी गणित मजबूत हो जाएगा, जिससे 2024 के चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी जा सकती है.
जेडीएस के वोट बैंक पर ही नजर, इसे शिफ्ट कराने की तैयारी
जेडीएस भले इस बार किंगमेकर की भूमिका में नहीं है, लेकिन उसका नंबर गेम कांग्रेस की चिंता बढ़ाने के लिए काफी है. 2023 के चुनाव में जेडीएस को 13 प्रतिशत वोट मिला था और पार्टी के 19 विधायक जीते थे.
135 सीट जीतकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस को 42 प्रतिशत वोट मिला. इसी तरह 66 सीटें जीतने वाली बीजेपी को 36 प्रतिशत वोट मिले. कर्नाटक में चुनाव के बाद से ही बीजेपी और जेडीएस गठबंधन की चर्चा चल रही है.
दोनों का गठबंधन अगर होता है, तो वोट प्रतिशत 50 के करीब पहुंच जाएगा. कांग्रेस इसी को रोकने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी की कोशिश पूरे वोट बैंक को शिफ्ट कराने की है. इसके लिए जेडीएस में बड़ी टूट जरूरी है.
चुनाव से पहले नैरेटिव सेट करने की तैयारी
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन पंजा लोकसभा चुनाव तक चलेगा. कांग्रेस की रणनीति बीजेपी और जेडीएस में भगदड़ की स्थिति पैदा करने की है. पार्टी इसके जरिए यह बताने की कोशिश में है कि बीजेपी-जेडीएस अपना घर नहीं संभाल पा रही है.
जानकारों के मुताबिक नैरेटिव सेट कर कांग्रेस बीजेपी पर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेना चाह रही है. चुनाव में इसका बड़ा असर होता है. वैसे भी कांग्रेस कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष नहीं चुने जाने के मुद्दे को लगातार उठा रही है.
मई में चुनाव परिणाम आने के बाद से ही बीजेपी अब तक कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाई है.