Explained: तिहाड़ का फांसीघर तैयार, जानें- निर्भया के दोषियों को फांसी देने में क्या-क्या कानूनी अड़चनें हैं
बताया जा रहा है कि जेल प्रशासन ने आज चारों दोषियों का मेडिकल चेकअप कराया है. चारों दोषियों में से तीन दोषी जेल नंबर दो में बंद हैं, जबकि एक दोषी जेल नंबर चार में है. इनमें से किसी को भी अभी तक फांसी घर के पास बनी कालकोठरी में नहीं भेजा गया है.
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. सड़क से लेकर संसद तक इस केस को लेकर हंगामा हुआ. 16 दिसंबर 2012 को छह गुनहगारों ने देश की बेटी निर्भया के साथ जो किया, वह रुह कंपा देने वाला था. चार दिन बाद इस मामले को गुजरे सात साल पूरे हो जाएंगे. लेकिन अभी भी निर्भया को न्याय का इंतजार है. निर्भया के चार दोषियों की फांसी कानूनी जाल में उलझ गई है. पूरे देश निर्भया के गुनहगारों की फांसी का इंतजार कर रहा है. जानें निर्भया के दोषियों को फांसी देने में क्या-क्या कानूनी अड़चनें हैं.
‘कानून’ नहीं होने दे रहा दोषियों को फांसी?
दरअसल तिहाड़ जेल में निर्भया के तीन आरोपियों ने अलग-अलग जगह पर अपनी कानूनी याचिकाएं दायर की हुई है. इनमें पवन शर्मा ने अपनी उम्र को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. वहीं एक आरोपी विनय शर्मा ने पहले तो राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की, लेकिन बाद में उसने दया याचिका वापस लेने की मांग की. तीसरे आरोपी अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटिशन दाखिल किया है, जिस पर 17 दिसंबर को सुनवाई होगी. दिलचस्प बात यह है कि अभी चौथे आरोपी की तरफ से कोई दया याचिका नहीं लगाई गई है. यानी कानून से मिले अधिकारों का इस्तेमाल करके आरोपी खुद को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं.
अगर दोषी कानूनी लड़ाई हार गए तो क्या होगा?
अगर सभी चार दोषी सभी अदालतों से कानूनी लड़ाई हार जाते हैं तो उसके बाद इन दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का अधिकार होग. राष्ट्रपति के यहां से यदि दया याचिका खारिज होती है तो उसके बाद तिहाड़ जेल अदलात से ब्लैक वारंट जारी करने की अपील करेगा. लेकिन बड़ी बात यह है कि अदालत के ब्लैक वारंट जारी करने के बाद भी दोषियों के पास 14 दिन का समय बचा रहेगा, क्योंकि नए कानून के मुताबिक आरोपियों को ब्लैक वारंट जारी होने के 14 दिन तक फांसी नहीं दी जा सकती.
दोषियों के लिए तैयार है तिहाड़ का फांसीघर
तमाम कानूनी अड़चनों के बावजूद तिहाड़ जेल का प्रशासन दोषियों को फांसी देने की तैयारियों में जुटा हुआ है. बताया जा रहा है कि जेल प्रशासन ने जेल नंबर तीन में स्थित फांसीघर की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है. दिलचस्प बात यह है कि एक अंधविश्वास के कारण जेल कर्मी फांसी के तख्ते से कई बार लकड़ी का छोटा टुकड़ा तोड़कर ले जाते हैं. इसलिए सूत्र बता रहे हैं कि अब फांसीघर में नए तख्ते लगेंगे.
तख्तों की मरम्मत का काम जारी
फांसी घर में अभी तक केवल एक तख्ता है, लेकिन अब दो तख्ते भी लगाए जा सकते हैं. फांसी देने वाले लीवर और तख्तों के बीच की मरम्मत का काम भी जारी है. इस बीच तिहाड़ जेल प्रशासन ने कई राज्यों की जेलों को जल्लाद उपलब्ध कराने के लिए भी पत्र लिखा है. तिहाड जेल के एक आला अधिकारी ने कहा कि अगर जल्लाद नहीं मिला तो जेल प्रशासन ही दोषियों को फांसी देगा.
अधिकारी ने कहा कि संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु के मामले में भी जेल में जल्लाद उपलब्ध नहीं था उसे भी जेल अधिकारियों ने ही फांसी दी थी. तिहाड़ में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी होगी. इससे पहले रंगा-बिल्ला को ही सामूहिक फांसी हुई थी.
आज हुआ निर्भया के चारों गुनहगारों का मेडिकल चेकअप
बताया जा रहा है कि जेल प्रशासन ने आज चारों दोषियों का मेडिकल चेकअप कराया है. चारों दोषियों में से तीन दोषी जेल नंबर दो में बंद हैं, जबकि एक दोषी जेल नंबर चार में है. इनमें से किसी को भी अभी तक फांसी घर के पास बनी कालकोठरी में नहीं भेजा गया है. बड़ी बात यह है कि दोषियों पर सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी निगाह रखी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, एक दोषी ने रात को नींद ना आने की शिकायत की थी.
दोषियों की सुरक्षा में तमिलनाडु स्पेशल पुलिस के जवान और हर आरोपी के लिए एक अलग से जेलकर्मी भी तैनात किया गया है. जेल सूत्रों के मुताबिक, फांसी की खबर चर्चा में आने के बाद से चारों परेशान हैं और कोर्ट में क्या हो रहा है इस बाबत जानने की कोशिश करते रहते हैं.
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