Bankruptcy: ब्रिटेन की एक अदालत ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया है. इससे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में भारतीय बैंकों के समूह के लिये बंद पड़ी एयरलाइन किंगफिशर के ऊपर बकाए कर्ज की वसूली को लेकर वैश्विक स्तर पर उनकी सम्पत्तियों की जब्ती की कार्रवाई कराने का रास्ता साफ हो गया है. जानिए देश में दिवालियापन को लेकर क्या कानून है और दिवालिया घोषित होने के बाद क्या होता है.
दिवालिया होने का मतलब-
किसी भी व्यक्ति को दिवालिया तभी माना जाता है, जब कानूनी तौर पर उसे दिवालिया घोषित किया जाता है. जैसे विजय माल्या के केस में हुआ है. अगर किसी व्यक्ति पर किसी और का कर्ज चढ़ा है और वह बिगड़ती वित्तीय स्थिति के कारण कर्ज चुकाने में असमर्थ है तो वह दिवालिया होने के लिए कोर्ट में आवदेन कर सकता है. विजय माल्या ने खुद को दिवालिया घोषित किए जाने की अर्जी दी थी.
खुद को दिवालिया घोषित करना
दिवालियापन एक वित्तीय स्थिति होती है. जब कोई शख्स या कंपनी अपने उधार और देनदारियों को चुकाने या वापस भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो वह खुद को दिवालिया घोषित कर सकती है. देश के कानून के मुताबिक, अगर कोई शख्स 500 रुपए का उधार भी नहीं लौटा सकता तो आप उसके खिलाफ कोर्ट में दिवालियापन का मामला दर्ज करा सकते हैं. हालांकि इसकी प्रक्रिया बहुत पेचीदा होती है.
दिवालिया घोषित होने के बाद क्या होता है
अगर दिवालिया घोषित होने वाली की कोई संपत्ति है तो अदालत की तरफ से नियुक्त अधिकारी उसकी बिक्री करेगा. इसके बाद बिक्री से मिली रकम को ऋणदाताओं के बीच बांटा जाएगा. बड़ी बात यह है कि दिवालिया घोषित होने के बाद कर्ज देने वाली संस्था या व्यक्ति दिवालिया व्यक्ति को बकाया चुकाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.
अगर फिर भी पैसा बच जाता है तो?
अगर दिवालिया शख्स पर पहले का कोई आयकर बकाया है तो उसका भुगतान ऋणदाताओं के भुगतान के बाद बची रकम से ही होगा. सभी भुगतान होने के बाद अगर पैसा बचता है तो उसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार को बांटा जाता है.
2016 में हुई दिवालियापन बोर्ड की स्थापना
देश में दिवालियापन के मामलों से संबंधित भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड की स्थापना 1 अक्टूबर 2016 को की गई थी. यह एक नियामक निकाय है, जिसे दिवाला मामलों को पंजीकृत करने और उनका पर्यवेक्षण करने की शक्ति प्रदान है.