Explained: ओमिक्रोन को लेकर क्यों चिंतित हैं वैज्ञानिक, कैसे आया ये दुनिया के सामने, जानें नए वेरिएंट पर पूरी पड़ताल
Omicron India: कोरोना वायरस के अब तक जितने वैरिएंट आए, उनमें ओमिक्रोन सबसे ज्यादा तेजी से फैलता है और कोरोना से उबर चुके लोगों को दोबारा भी चपेट में ले सकता है.
Omicron India: कोरोना वायरस के सबसे खतरनाक वैरिएंट ओमिक्रान ने भारत में दस्तक दे दी है. देश में दो लोग ओमिक्रोन से संक्रमित पाए गए हैं. चिंता की बात ये है कि जिस डेल्टा वैरिएंट ने दूसरी लहर में हजारों लोगों की जान ली थी, ये वायरस उससे भी कई गुना ज्यादा खतरनाक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने इस नए कोरोना वेरिएंट को ‘बेहद तेजी से फैलने वाला चिंताजनक वेरिएंट’ करार दिया है. WHO की सलाहकार समिति ने दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सामने आए कोरोना वायरस के नए प्रकार (Corona variant B.1.1.529) को ‘Omicron’ का नाम दिया था. जानिए ओमिक्रोन को लेकर क्यों चिंतित हैं वैज्ञानिक और कैसे ये दुनिया के सामने आया.
ओमिक्रोन को लेकर क्यों चिंतित हैं वैज्ञानिक?
दरअसल अब तक जितने वैरिएंट आए, उनमें ओमिक्रोन सबसे ज्यादा तेजी से फैलता है और कोरोना से उबर चुके लोगों को दोबारा भी चपेट में ले सकता है. इस वेरिएंट पर वैक्सीन के कितना असर होगा, अब तक इसकी जांच जारी है. ये वेरिएंट कितना गंभीर हो सकता है, इसकी भी पुख्ता जानकारी अब तक नहीं मिली है. इसके तेजी से फैलने के वजह से दुनिया में कोहराम मचा है, क्योंकि आशंका ये है कि अगर एक बार ये फैलना शुरू हुआ तो किसी भी देश की स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा सकती है. इन्हीं सब बातों से वैज्ञानिक चिंतित हैं.
कैसे दुनिया के सामने आया ओमिक्रोन?
वायरस के एक नए प्रकार ओमिक्रोन के आने की चिंताजनक हालिया रिपोर्टों ने वैश्विक स्तर पर खतरे की घंटी बजा दी है. दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों के प्रभावशाली वायरस अनुक्रमण प्रयासों द्वारा खोजे गए, ओमिक्रोन में अकेले स्पाइक प्रोटीन में अविश्वसनीय 32 परिवर्तन होते हैं. इसमें उत्परिवर्तन शामिल हैं जो संचरण को बढ़ा सकते हैं और प्रतिरक्षा से बच सकते हैं. इसलिए एक जोखिम है कि ओमिक्रोन तेजी से फैल सकता है और वर्तमान टीकों की प्रभावशीलता को कम (लेकिन समाप्त नहीं) कर सकता है. कुछ लोगों का अनुमान है कि दक्षिणी अफ्रीका में कम समग्र टीकाकरण कवरेज और वैश्विक स्तर पर कोविड टीकों की आपूर्ति में असमानताएं ओमिक्रोन के उद्भव के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं.
जब वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रेषित होते हैं, तो कुछ नए प्रकार की कोशिकाओं में प्रवेश करने या दूसरों की तुलना में खुद को डुप्लिकेट करने में बेहतर होते हैं. इन मामलों में, बेहतर वेरिएंट के प्रमुख वायरस बनने और अपने जैसे और वायरस बनने की ज्यादा संभावना होती है. महामारी के दौरान ऐसा कई बार हुआ है. मूल सार्स-कोव-2 वायरस जो 2019 में वुहान से उभरा था, उसे बाद में डी614जी नामक एक नये संस्करण से बदल दिया गया, उसके बाद अल्फा वैरिएंट और डेल्टा वैरिएंट सामने आया. हर बार जब कोई व्यक्ति सार्स-कोव-2 से संक्रमित होता है, तो इस बात की संभावना होती है कि वायरस ज्यादा उपयुक्त प्रकार उत्पन्न कर सकता है, जो तब दूसरों में फैल सकता है.
ओमिक्रोन वैरिएंट की पूरी पड़ताल
- 27 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में 3220 नए केस आए और 8 मौत हुई.
- अगले दिन 2858 नए केस रिपोर्ट हुए और 6 मौत हुई.
- 29 नवंबर को नए केस की संख्या 2273 थी, लेकिन मौत का आंकड़े बढ़कर 25 हो गया.
- और फिर 30 नवंबर को नए मरीजों की संख्या 4373 पहुंच गई और 21 मौत हुई.
- परसों यानी 1 दिसंबर को नए मरीजों की संख्या 8,561 हो गई और 28 मौत रिपोर्ट हुई.
ओमिक्रोन के लक्षणों को पहचानें
- ओमिक्रोन से पीड़ित मरीजों में गले में खराश में सबसे ज्यादा देखने को मिली है.
- इसके साथ ही वायरस के इस वेरिएंट से पीड़ित लोगों को बहुत ज्यादा थकान महसूस होने लगती है.
- हांलाकि कोरोना के दूसरे वेरिएंट की तरह इस वेरिएंट से पीड़ित लोगों की स्वाद और सूंघने की शक्ति नहीं जाती
- और ऑक्सीजन लेवल भी इसमें बहुत ज्यादा नहीं गिरता.
- ओमिक्रोन के फैलने की रफ्तार का अंदाजा आप दक्षिण अफ्रीका के कोरोना के डेटा से लगा सकते हैं, हम आपको सिर्फ सचेत करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के पिछले 5 दिनों का कोरोना का ग्राफ दिखा रहे हैं.
ओमिक्रोन के खतरे से निपटने के लिए भारत सरकार ने गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिसका पालन जरूरी है. इसमें ज्यादा वही बाते हैं जो हम जानते हैं, फिर भी आपको एक बार फिर याद दिला देते हैं.
- सबसे जरूरी है कि अगर वैक्सीन नहीं लगवाई तो फौरन लगवाएं.
- अगर एक डोज लग चुकी है कि तो तुरंत दूसरी डोज लगवाएं.
- मास्क पर खास ध्यान दें.
- सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करें.
- साथ ही थोड़ी थोड़ी देर में हाथ धोते रहें या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
ओमिक्रोन काफी तेजी से फैलता है, लेकिन अब तक की स्टडी से ये जरूर पता चला है कि इसके लक्षण ज्यादा खतरनाक नहीं है और मरीज जल्द ठीक हो जाता है, इसके बावजूद इसे लेकर लापरवाही खतरनाक हो सकती है.