नई दिल्ली: दक्षिण भारत में गंगा कही जाने वाली कावेरी नदी कर्नाटक और उत्तरी तमिलनाडु में बहने वाली नदी है. गोदावरी और कृष्णा नदी के बाद दक्षिण भारत की यह तीसरी सबसे बड़ी नदी है. इस नदी की लंबाई लगभग 772 कीलोमीटर है. सिमसा, हिमावती और भवानी इसकी उपनदियां हैं.


कावेरी नदी कर्नाटक के कुर्ग से निकलती है. दक्षिण भारत के कई इलाकों को सींचती हुई ये नदी बंगाल की खाड़ी से होते हुए समंदर में जा मिलती है. तमिलनाडु के चिदंबरम नाम की जगह पर कावेरी समंदर में मिलती है. इस दौरान कावेरी कुल 772 कीलोमीटर का सफर कर चुकी होती है.


पुरातन मान्यताओं में कहा जाता है कि कावेरी के पानी में सोने के कण मिले हुए हैं. तमिल में भी कावेरी को पोन्नी यानी सोना कहा जाता है. कहा जाता है कि कुर्ग के तलैकावेरी में हर साल सावन में कावेरी की विदाई का उत्सव मनाया जाता है. कावेरी जहां जहां से गुजरती है वहां हरियाली आती है. कावेरी जहां जहां से बहती है वहां गन्ने और धान की फसलें खूब होती हैं.


772 कीलोमीटर की यात्रा में कावेरी नदी के कई सारे रूप दिखाई देते हैं. कावेरी कहीं पर पतली दिखाई देती है तो कहीं अपना रौद्र रूप दिखाती है. कई प्रकार की भौगोलिक स्थितियों से गुजरते हुए कावेरी करीब 50 छोटी नदियों को अपनी आंचल में समेटते हुए आगे बढ़ती है. कहा जाता है कि सिर्फ ढाई फुट के तालाब से विशाल, विहंगम कावेरी का उदगम हुआ है. कुर्ग के सहा पर्वत पहाड़ के एक छोटे से हिस्से में वो तालाब है जहां से कावेरी का जन्म हुआ है.


कावेरी में कनका, हेमावती और लक्ष्मणतीर्थ नदियां मिलती हैं. कर्नाटक के भागमंडलम में कनका नदी से मिलने के बाद कावेरी नदी का विशाल स्वरूप दिखाई देता है. कर्नाटक से निकलकर कावेरी सेलम और कोयम्बटूर जिलों से तमिलनाडु में मिलती है. सीमा पर शिवसमुद्रम में होगेनगल वाटर फाल है जिसे कन्नड़ में धुएं का प्रपात कहते हैं. यह मैसूर नगर से क़रीब 56 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में कावेरी के दोआब में बसा है. यहां पर कावेरी इतनी तेजी से चट्टानों पर गिरती है कि उसके छिंटे धुएं की तरह आसमान में फैल जाते हैं. यहां पर कावेरी का जल विशाल झील की तरह दिखाई देता है. इसलिए इसे होगेनगल कहा जाता है.


कर्नाटक में सिंचाई के लिए कावेरी पर बने हुए बांधों में सबसे बड़ा कण्णम्बाड़ी का बांध है. इस बांध के कारण जो विशाल जलाशय बना है, उसी को ‘कृष्णराज सागर’ कहते हैं. यह मैसूर नगर से थोड़ी ही दूरी पर बना है. केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक कावेरी नदी में सालाना 21 दशमलव 36 क्यूबिक किलोमीटर पानी उपलब्ध रहता है.