Chhattisgarh Blast: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में हुए स्पेशल ब्लास्ट फैक्ट्री में विस्फोट के लगभग 55 घंटे से ज्यादा वक्त बीत चुका है. ऐसे में कंपनी में काम करने वाले मजदूर और चश्मदीद ने ABP News के कैमरे पर अपनी बात रखी. स्पेशल ब्लास्ट फैक्ट्री के कर्मचारी लक्ष्मीकांत निर्मलकर ने बताया कि जिस दिन इस फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ वो दूसरी यूनिट में था. ब्लास्ट इतना भयानक था कि आसमान से मानो पत्थर बरस रहे थे कुछ पत्थर मुझे भी लगे.
लक्ष्मीकांत ने आगे बताया की फैक्ट्री में किसी तरह से कोई सेफ्टी का उपयोग नही किया जाता और ना ही हेलमेट ना ही सेफ्टी शूज दिए जाते थे, ना ही फायर सूट दिया जाता था. इस बारूद फैक्ट्री में किसी तरह का फायर स्टेशन नहीं था. इतना ही नहीं कंपनी में मजदूरी बहुत कम दिया जाता है, पिछले 17 सालों से लक्ष्मीकांत इस कंपनी में काम कर रहा है, लेकिन वेतन 9 हजार ही दिया जाता है. वही फैक्ट्री के द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा भी कम है.
फैक्ट्री की स्थिति ने खड़े किए सवाल
मजदूर लक्ष्मीकांत से बात करने के बाद हम एक बार फिर बारूद फैक्ट्री के अंदर दाखिल हुए. जैसे ही फैक्ट्री के अंदर एबीपी न्यूज़ की टीम पहुंची तो देखा कि कंपनी में विस्फोटक बारूद को लोडिंग किया जा रहा है. जैसा की कंपनी प्रबंधन पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि स्टॉक लिमिट से 10 गुना ज्यादा बारूद अलग-अलग यूनिट में रखा गया था और जब पूरे मामले की न्यायिक जांच की बात कह दी गई है तो आखिर क्यों यथा स्थिति नहीं बनाई जा रही. क्यों कंपनी प्रबंधन के लोगों को छूट दी जा रही है कि वह इन बारूद को कंपनी से बाहर जाने दें, यह कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. हमने जब कंपनी प्रबंधन के लोगों से बात की तो वह भागते नजर आए. वहीं मजदूर जो लोडिंग अनलोडिंग का काम कर रहे हैं, उन लोगों ने भी हेलमेट या किसी तरह का सेफ्टी शूज नहीं पहना हुआ है.
फैक्ट्री से निकलता है जहरीला पानी
वहीं, इस बारूद फैक्ट्री से केमिकल युक्त जहरीला पानी निकलता है जो स्थानीय लोगों के लिए जहर बन चुका है. कंपनी में जहरीले पानी का नाला बना हुआ है. इस जहरीले पानी से आसपास का पूरा पानी केमिकल युक्त जहरीला हो चुका है, जो पीने योग्य भी नहीं है, जिसे पीने के बाद कई तरह की गंभीर बीमारियां हो जाती हैं. इसकी भी शिकायत आसपास के लोगों ने कई बार प्रशासन से की, लेकिन प्रशासन ने इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की.
प्रशासन और प्रबंधन की मिली भगत से चल रही थी फैक्ट्री
लगातार तस्वीरें देखने के बाद साफ समझ में आता है कि नियम कानून को ताक में रखकर इस फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा था. प्रशासन और प्रबंधन की मिली भगत से यह बारूद फैक्ट्री चल रही थी. शायद इसीलिए इतनी बड़ी बारूद फैक्ट्री जिसमें स्टॉक से ज्यादा लिमिट में बारूद रखा गया था. वहां सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही थी. किसी भी यूनिट के पास कोई फायर सिस्टम नहीं रखा गया था. यहां फायर ब्रिगेड की गाड़ियां होनी चाहिए थी. साथ ही फायर स्टेशन खुद का होना चाहिए था, लेकिन इस पूरी फैक्ट्री में यह तमाम चीज भी नदारत दिखी.
वहीं, सवाल यह भी उठता है की पूरी फैक्ट्री कैंपस में सिर्फ एक जर्जर पानी की टंकी है, जबकि यहां पर हर एक यूनिट के पास एक बड़ी पानी की टंकी होनी चाहिए. लिमिट से ज्यादा बारूद का स्टॉक रखा गया था. वही जब पूरे मामले पर अब न्यायिक जांच की बात कही जा रही है तो आखिर कंपनी के अंदर यूनिटों में छेड़खानी क्यों की जा रही है, यथावत क्यों नही रखा जा रहा है.
बारूद के एक्स्ट्रा स्टॉक को हटाया जा रहा
यहां से बारूद के एक्स्ट्रा स्टॉक को हटाया जा रहा है. जिसके कारण स्थानीय मजदूरों के परिजनों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है ये लोग प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप भी लगा रहे हैं. बात यह भी सामने आ रही है कि प्रशासन बिना किसी पुख्ता जांच के एनओसी जारी करता रहा और नियम कानून को ताक में रख कर प्रशासन और प्रबंधन की मिली भगत से बारूद फैक्ट्री चलती रही.
पिछले साल लगा था फैक्ट्री पर ताला
पिछले वर्ष 2023 में इस फैक्ट्री को 10 दिनों के लिए बंद किया गया था, लेकिन उसके बाद फिर से इसे आखिर कैसे चालू कर दिया गया. बारूद फैक्ट्री में ब्लास्ट के बाद 9 लोगों की मौत हो गई, लेकिन घटना के तीसरे दिन भी अभी तक किसी भी तरह की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई ना ही कंपनी प्रबंधन और डायरेक्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और मुआवजे के नाम पर महज 5 लाख फैक्ट्री देगा.
मजदूरों को नहीं दी जाती कोई ट्रेनिंग
इस बारूद फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को किसी भी तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी ना ही उन्हें सुरक्षा प्रयोग के बारे में बताया जाता था 12-12 घंटे मजदूरों से काम कराया जाता था. साथ ही बारुद की फैक्ट्री में काम करने वालों का लाइफ इंश्योरेंस भी नहीं था और जिन लोगों को काम का एक्सपीरियंस नहीं था उनको हर महीने का 7 से 9 हजार रुपए दिया जाता था.
सरकार ने दिया पांच लाख का मुआवजा
सरकार ने 5 लाख मुआवजा दे दिया है, लेकिन प्रबंधन की तरफ से मृतकों के परिवार के लोगों को 5 लाख मुआवजा की बात कही गई है. खुद तहसीलदार इसका चेक लेकर पहुंच रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से अभी किसी को चेक नहीं दिया गया है. क्या प्रशासन और प्रबंधन मिली भगत में कोई खेल कर रहा है. क्या कंपनी का चेक लेकर तहसीलदार पीड़ितों के घर पहुंच रहे हैं क्या यही नियम है.
विधायक दीपेश साहू ने दिया आश्वासन
वहीं, घटना के बाद बेमेतरा विधायक दीपेश साहू धरना स्थल पर पहुंचे, जहां लोगों से बातचीत की. विधायक कह रहे हैं कि जल्द ही सरकार से बातचीत कर मुआवजे की राशि बढ़ाई जाएगी और कलेक्टर जन प्रतिनिधि अमृत मजदूरों के परिजनों के साथ बैठकर उचित मुहावरे की राशि दिलाई जाएगी. कंपनी से और जल्द ही फैक्ट्री मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाएगी.
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