Anil Deshmukh Extortion Case: दिल्ली की निचली अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को सीबीआई की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर क्लीन चिट देने वाली रिपोर्ट लीक होने में उनकी भूमिका की जांच करने का एजेंसी को निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में सीबीआई (CBI) के आरोप-पत्र में भले ही देशमुख को आरोपी न बनाया गया हो लेकिन वह बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकते हैं क्योंकि प्रारंभिक जांच की सामग्री लीक होने से सबसे ज़्यादा फायदा उन्हें ही होता दिख रहा है.


कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “ऐसा लगता है कि सीबीआई ने गाड़ी खींचने वाले इंजन/घोड़े को छोड़ दिया है, जिससे केवल गाड़ी में यात्रा करने वालों पर ही आरोप लगाया जा रहा है. हालांकि इंजन या घोड़े द्वारा खींचे बिना गाड़ी की सवारी या साजिश संभव नहीं होती. साफ तौर पर कई सबूतों होने के बावजूद, ऐसा लगता है कि सबसे अच्छी तरह से ज्ञात कारणों को जानते हुए भी, सीबीआई ने केवल जरियों को आरोपी बनाया है जबकि डोर थामने वाले दिमाग या मास्टर माइंड व्यक्ति को छोड़ दिया है.


चार हफ्ते के अंदर देना होगा रिपोर्ट


इसलिए सीबीआई को निर्देश दिया जाता है कि इस मामले में अनिल देशमुख की भूमिका की पूरी तत्परता के साथ और सावधानीपूर्वक एक समयबद्ध तरीके से जांच की जाए.” कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को 4 हफ्ते के अंदर "बिना किसी विफलता के" स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री देशमुख के खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों की जांच चल रही है.