Extradition Treaty: क्या प्रज्वल रेवन्ना को जर्मनी से भारत लाना आसान, जानें भगोड़े अपराधी विदेशी मेहमान कैसे बन जाते हैं?
Extradition Treaty: जेडीएस उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं. ऐसे में ये मुद्दा उठ रहा है कि अपराधी जुर्म के बाद अक्सर विदेशों में पनाह क्यों लेते हैं?
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Extradition Treaty: कर्नाटक में बीजेपी-जेडीएस गठबंधन के उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के कथित यौन उत्पीड़न के वीडियो को पेन ड्राइव के ज़रिये सार्वजनिक करने का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है. इस बीच जेडीएस पार्टी ने आरोपी प्रज्वल रेवन्ना को सस्पेंड कर दिया गया है. बता दें कि, आरोपी प्रज्वल रेवन्ना देश छोड़कर जर्मनी भाग गया है. मगर आपने कभी सोचा है कि आख़िर सारे अपराधी भागकर विदेश ही क्यों जाते हैं? उन्हें वापस देश कैसे लाया जा सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में जर्मनी एंबेसी ने कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया. जर्मन दूतावास के हेड जॉर्ज एन्जवेलर का कहना है कि उन्होंने न्यूज पेपर में इसके बारे में पढ़ा है, मगर, अभी तक इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है.इस बीच ये मुद्दा उठ रहा है कि अपराधी जुर्म के बाद अक्सर विदेशों में पनाह क्यों लेते हैं? क्या इसके बाद उन्हें पकड़ने के रास्ते घट जाते हैं?
भारत से अपराधी अक्सर विदेश ही क्यों भागते हैं?
अपराध करने के बाद देश छोड़कर भागना एक तरह से 'समय लेने' जैसा होता है. इस दौरान अपराधी अपने बच निकलने के कई रास्ते खोज लेते हैं. ऐसा कई बार देखा गया है कि पिछले साल खालिस्तानी आतंकी अमृतपाल के गायब होने पर भी अंदेशा जताया जा रहा था कि वो विदेश भाग गया है. मगर, वो बाद में देश में पकड़ा गया था. बता दें कि, ऐसे कई अपराधी है जो क्राइम करके विदेशी मेहमान बनकर उन देशों में रह रहे हैं. क्योंकि, भारत का कानून वहां पर लागू नहीं होता है.
कैसे पकड़ में आते हैं भगोड़े अपराधी?
बता दें कि, विदेश में बैठे अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए एक्स्ट्रा डिशन ट्री टी यानि कि प्रत्यर्पण संधि की जरूरत पड़ती है. प्रत्यर्पण का मतलब है वापस लौटाना. यदि आसान भाषा में समझें तो हमारे पास दूसरे की कोई चीज गलती से आ जाए, तो मांगने पर हमें उसे लौटाना होता है. इसे ही प्रत्यर्पण संधि कहते है. अपराधियों के मामले में अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर ये संधि दो सरकारों के बीच होती है. जिसमें यदि उनका कोई अपराधी दूसरे देश पहुंच जाए, तो उसे वापस लौटाया जाएगा. जैसे भारत से कोई अमेरिका चला जाए, या इसका उलट वे क्रिमिनल को अपने यहां पनाह न देकर वापस भेज दें.
कानूनी अड़चनों से मिलता है अपराधियों को फ़ायदा
ऐसा नहीं है कि जर्मनी और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है. मगर इसमें बहुत सी दिक्कते हैं. दरअसल, प्रत्यर्पण संधि दो देशों के बीच हुआ ऐसा समझौता है, जिसके मुताबिक, देश में अपराध करके दूसरे देश में छुपने वाले अपराधी को पकड़कर पहले देश को सौंप दिया जाता है. जर्मनी की सरकार ने भारत सरकार के साथ साल 2001 में प्रत्यर्पण संधि की थी.
ऐसे में बहुत सी कानूनी अड़चनें आती हैं. जर्मनी भाग जाने के बाद गिरफ़्तारी बेहद मुश्किल है. दूसरे देश का मामला होने के चलते नियम-कानून बहुत जटिल हैं. सरकार के स्तर से बातचीत होती है. फिर वहां की पुलिस से तालमेल बैठाना पड़ता है. तब तक अपराधी के वहां से भी भाग जाने की आशंका बनी रहती है. कानूनी प्रक्रिया के जटिल होने के कारण अपराधी फ़ायदे में रहते हैं. चूंकि, बड़े अपराधी या आतंकी हों तो मंत्रालय के स्तर से बातचीत की भी जाए, लेकिन छोटे-मोटे अपराधियों के लिए पूरी लंबी प्रक्रिया अपनाना उतना व्यवहारिक नहीं हो पाता.
प्रत्यर्पण संधि के तहत कब मिल सकती है नामंजूरी
1-यदि उस देश को लगे कि उसके देश में पनाह लिए आरोपी को राजनैतिक कारणों से परेशान किया जा रहा है, तो वो उसे वापस भेजने पर इंनकार कर सकती है.
2- प्रत्यर्पण संधि का आर्टिकल 5 कहता है कि देश किसी ऐसे आरोपी को भी लौटाने से मना कर सकता है जिसकी उम्र काफी कम हो.
3- यदि पनाह दे चुके देश को प्रयर्पण के लिए भेजी गई रिक्वेस्ट साफ न हो तो. तब भी वहां की सरकार आरोपी को भेजने से इनकार कर सकती है.
4- एक्सट्राडिशन का आर्टिकल 12 कहता है कि मांग लिखित होनी चाहिए. साथ ही राजनीतिक बातचीत के जरिए हो वरना उसपर कोई कार्रवाई नहीं होगी.
5- यदि आरोप पर लगे आरोप काफी गंभीर हैं तो वो देश तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे अपनी जेल में प्रोविजनल कस्टडी में रख सकते हैं.
6- भारत और जर्मनी के करार में एक परेशानी ये भी है कि जर्मनी में मौत की सजा खत्म हो चुकी, जबकि भारत में ये अब भी है. ऐसे में जर्मनी चाहे तो फांसी की सजा पाए दोषी को भी वापस भेजने पर मना कर सकता है.
7- इसके साथ ही दूसरा देश ह्यूमन राइट्स के उल्लंघन की बात कहकर दूसरा देश अपराधी को हमें लौटाने से मना कर सकता है.
भारत की किन-किन देशों के साथ है प्रत्यर्पण संधि?
Iगौरतलब है कि, भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत की 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, और रूस जैसे बड़े देश भी शामिल हैं. इसके साथ ही 12 हीं देशों के साथ हमारा एक्स्ट्रा डिशन अरेंजमेंट है. इन दोनों में मोटा फर्क वही है, जो लिखित और कहे हुए वादे में होता है.
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