नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में खतौली में कल कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए. इस रेल हादसे में मरने वालों की संख्या 23 पहुंच चुकी है. जबकि 97 से ज्यादा लोग घायल हैं और मुजफ्फरनगर, मेरठ और हरिद्वार के अस्पताल में भर्ती हैं. इस ट्रेन हादसे ने कई परिवारों को ऐसे जख्म दिए हैं जिसे भूलाना उनके लिए आसान नहीं होगा.


काफी भयानक था मंजर- घायल अनिल


दिल्ली के रहने वाले अनिल शर्मा पत्नी के साथ रुड़की अपनी ससुराल जा रहे थे तभी ये भयानक हादसा हो गया. हादसे में अनिल के पैर में काफी चोट आई हैं. अनिल के मुताबिक जब हादसा हुआ उसके बाद का मंजर काफी भयानक था. उन्होंने बताया, ‘’जब हादसा हुआ उसके बाद का मंजर काफी भयानक था. ट्रेन के डब्बे पलटे हुए थे. जिसे देख वह बुरी तरह से घबरा गए. कुछ समझ नहीं आ रहा था करें तो क्या करें. पैरों के घायल होने की वजह से चला नहीं जा रहा था.’’ बाद में किसी तरह लोगों ने अनिल को बाहर निकला.


 


परिवार ने खोया इकलौता बेटा


मुज़फ्फरनगर के पोस्टमार्टम हाउस में कई शव लाए गए हैं. यहां अपने रिश्तेदारों के शव को लेने आए लोग काफी गुस्से में हैं. इन्हीं लोगों मे से एक है सुमित के परिवार वाले. सुमित मेरठ के बैंक में में काम करते थे और सहारनपुर अपने घर जा रहे थे. परिवार के मुताबिक सुमित उनका इकलौता बेटा था. परिवार के लोग ही हादसे की जगह से सुमित के शव को अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन उन्हें नहीं पता चला कि सुमित की बॉडी कब पोस्टमार्टम हाउस में गयी. ये लोग प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं.



परिवार वाले कर रहे थे अपनों के शव की तलाश


रेल हादसे में मरने वाले प्रमोद के परिवार वाले प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि हादसे के बाद वो लगातार प्रमोद के शव की तलाश कर रहे थे, लेकिन कई घंटों के बाद उनका शव जिला अस्पताल में मिला. प्रमोद एक फार्मा कंपनी में काम करते थे. परिवार वाले प्रमोद के शव के मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई सही जवाब नहीं मिला.


गोद में उठाकर ट्रेन के डिब्बे से बाहर निकला- सतीश


सतीश कपड़े सीलने का काम करते हैं. सतीश ग्वालियर के रहने वाले हैं और उन्हें हरिद्वार जाना था. सतीश के मुताबिक, अचानक गाड़ी काफी तेज हुई और उसके बाद हादसा हो गया. हादसे के बाद उन्हें ये उम्मीद ही नहीं थी कि वो बचेंगे, लेकिन किसी तरह से एक लड़के ने उन्हें गोद में उठाकर ट्रेन के डिब्बे से बाहर निकला.



हादसे के बाद बेहोश हो गया परवीन


ट्रेन हादसे में घायल हुआ 14 साल का परवीन अस्पताल में भर्ती है. परवीन के परिवार के मुताबिक परवीन अकेला अपनी बहन के यहां से मुज्जफरनगर ट्रेन लौट रहा था, लेकिन हादसे के बाद परवीन बेहोश हो गया था. किसी ने परिवार को फ़ोन किया जिसके बाद वो अस्पताल पहुंचे.


बेटा मिल गया लेकिन बेटी लापता- अंगूरी देवी


गवालियर की रहने वाली अंगूरी देवी के बेटे की तबियत ठीक नहीं है, जिसके चलते वो हरिद्वार नहाने के लिए अपने बेटे और रिस्तेदारो के साथ जा रही थी. बेटा तो उनके साथ है, लेकिन बहन और बाकी लोगों की कोई जानकारी नहीं है. अंगूरी के पैर में चोट आई है. उनका कहना है गड़गड़ाहट की आवाज आई और अचानक गाड़ी पलट गई.



मानो दूसरी जिंदगी मिली हो- रमेश


रमेश ट्रक मिस्त्री है और ग्वालियर के रहने वाले है. रमेश अपनी पत्नी, बेटे, बहु ओर 2 पोती के साथ हरिद्वार नहाने जा रहे थे कि रास्ते मे अचानक खड़खड़ की आवाज आई और परिवार ट्रेन के डिब्बे में फंस गया किसी तरह डिब्बे से बाहर निकले. पत्नी और अन्य लोग अस्पताल में एडमिट है इनका कहना है कि मौत के मुंह से बच कर निकले हैं. मानो दूसरी जिंदगी मिली हो.