राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इजीस्पिट (EzySpit) की लॉन्चिंग की गयी, जिसका उद्देश्य स्वच्छ भारत की मुहिम को आगे बढ़ाना है. इस स्टार्टअप का मकसद सार्वजनिक जगहों पर थूकने की बढ़ती समस्या पर अंकुश लगाना है. शुरुआती दौर में यह इनोवेशन दिल्ली एनसीआर समेत बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा और पश्चिम बंगाल के मार्केट में उतारा जाएगा. 24 महिलाओं की टीम इस विशेष इनोवेशन की मैन्युफैक्चरिंग संभाल रही हैं. कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी समेत कई लोग शामिल हुए. सुनील शेट्टी इज़ीस्पिट के ब्रांड एम्बेसडर भी हैं.
इस मौके पर फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी ने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि 100 फीसदी सुविधाजनक संभव और टिकाऊ प्रोडक्ट बनाने के लिये निर्माताओं को बधाई. आशा करता हूं कि इससे समाज में एक क्रांति आएगी.
इस कॉन्सेप्ट की फाउंडर महिला रीतू मल्होत्रा ने बताया कि कैसे खुले में थूकने की आदत बहुत ख़राब होती है और इसके दाग धब्बों को साफ़ करना अपने आप में एक चुनौती है. अगर हम किसी भी सार्वजनिक स्थान पर थूकते हैं तो उसके कण 27 फ़ीट तक हवा में फैल सकते हैं. यह कीटाणु सभी उम्र के लोगों के लिये घातक है, जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाए भी शामिल हैं. यही नहीं देश में टीबी जैसी बीमारी को फैलाने में भी इन्हीं थूक से उत्पन्न कीटाणुओं का अहम योगदान है. वैश्र्विक महामारी कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी सार्वजनिक स्थानों में थूकना मना किया गया था ताकि वायरस के फैलाव को रोका जा सके. भारत में डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत 2005 से सार्वजनिक स्थान में थूकने पर चालान है और इसकी राशि 200 से 5000 रुपये तक है. फिर भी सार्वजनिक स्थानों पर थूकना भारत में आम बात है.
रीतू ने इस मौके पर यह भी बताया कि भारतीय रेल हर साल थूकने के कारण बने दाग धब्बे और निशानों को साफ़ करने के लिये 1200 करोड़ रुपये और साथ में ढेर सारा पानी ख़र्च करती है. रेलवे स्टेशन के अलावा बस स्टैंड, हॉस्पिटल, बाज़ारों और कई अन्य सार्वजनिक स्थानों में भी थूक के धब्बे देखने को मिलते हैं. जिस तरह अनेक सार्वजनिक स्थानों में शौचालय, कूडा दान आदि की उचित व्यवस्था है, उसी प्रकार थूकने की भी कोई उचित व्यवस्था होनी जरूरी है ताकि लोग किसी भी स्थान पर थूक न सकें और संक्रमण न फैले.