फेसबुक विवाद: कांग्रेस ने मार्क जुकरबर्ग को लिखा पत्र, उच्च स्तरीय जांच की मांग की, बीजेपी ने किया पलटवार
फेसबुक ने सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर सांप्रदायिक भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने फेसबुक से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को पत्र भेजकर आग्रह किया कि इस पूरे मामले की फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. उधर, भारतीय जनता पार्टी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष को लगता है कि जो उनके लायक काम नहीं करता, वह आरएसएस और बीजेपी के दबाव में है.
पूरा विवाद अमेरिकी अखबार 'वाल स्ट्रीट जर्नल' की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ. इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जुकरबर्ग को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा गया है.
फेसबुक ने आरोपों पर दी सफाई
उधर, फेसबुक ने इस तरह के आरोपों के बीच सोमवार को सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है.
फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है. वेणुगोपाल ने फेसबुक के संस्थापक को लिखे पत्र में इस मामले का हवाला दिया और कहा कि इससे कांग्रेस को बहुत निराशा हुई है. उन्होंने जुकरबर्ग को सुझाव दिया, ''फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच आरंभ की जाए और एक या दो महीने के भीतर इसे पूरी कर जांच रिपोर्ट कंपनी के बोर्ड को सौंपी जाए. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक भी किया जाए.''
बीजेपी ने कांग्रेस पर किया पलटवार
वेणुगोपाल ने यह आग्रह भी किया कि जांच पूरी होने और रिपोर्ट सौंपे जाने तक फेसबुक की भारतीय शाखा के संचालन की जिम्मेदारी नयी टीम को सौपी जाए ताकि जांच की प्रक्रिया प्रभावित नहीं हो. पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा कि कुछ लोग समझते हैं, कि इस सार्वजनिक मंच पर उनका एकाधिकार होना चाहिए, भले ही उनका राजनितिक वजूद खत्म हो गया हो. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कोई मंच जनता का मंच है तो हर विचार के लोगों को वहां अपनी बात रखने का हक है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाए थे कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से ''फर्जी सूचना'' फैलाते हैं. प्रसाद ने कहा कि जो 'वॉल स्ट्रीट जनरल' में खबर छपी है वह विषय फेसबुक का है. उन्होंने कहा कि फेसबुक अपना तय करे, उनकी अपनी पॉलिसी है, उनका अपना सिस्टम है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के समर्थन में लिखे गए 700 से अधिक पोस्ट भी हटा दिए गए.
पक्षपात, झूठी ख़बरों और नफ़रत-भरी बातों को हम कठिन संघर्ष से हासिल हुए लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे।@WSJ ने खुलासा किया है कि फेसबुक इस तरह के झूठ और नफ़रत फैलाने का काम करती आयी है और उस पर सभी भारतीयों को सवाल उठाना चाहिए। pic.twitter.com/FecnAW90hH
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 18, 2020
उन्होंने कहा, ''अगर पब्लिक प्लेटफॉर्म है तो लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है. हर विचार के लोगों को वहां अपनी बात रखने का हक है. लेकिन एक कड़वी सच्चाई ये भी है जिसे हमें समझना चाहिए. कुछ लोग समझते हैं, कि पब्लिक प्लेटफार्म पर उनकी मोनोपोली होनी चाहिए, भले ही उनका राजनीतिक वजूद खत्म हो गया है.'' घृणा भरे भाषण संबंधी आरोपों के जवाब में प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उनके पूर्व के बयानों की याद दिलाई जिनमें सोनिया गांधी ने ''आर-पार की लड़ाई होगी'' कहा था जबकि राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था ''देश के लोग प्रधानमंत्री को डंडे मारेंगे''.
केंद्रीय मंत्री ने पूछा, ''यह घृणा भरे भाषण हैं या नहीं?'' उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यह समझते हैं जो उनके लायक काम नहीं करता, वह आरएसएस और बीजेपी के दबाव में है. उन्होंने कहा, ''इसके बारे में क्या कहा जाए, देश की जनता उसका जवाब देगी.''
बीजेपी विधायक राजा सिंह ने दी सफाई
उधर, तेलंगाना से बीजेपी के एकमात्र विधायक राजा सिंह ने सोशल मीडिया मंच पर सांप्रदायिक पोस्ट लिखने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह केवल राष्ट्रीय हित के लिए काम करते हैं. सिंह, नफरत भरे भाषण को लेकर फेसबुक की नीतियों पर उपजे विवाद के केंद्र में हैं. उन्होंने कहा कि उनका आधिकारिक फेसबुक पेज 2018 में 'हैक और ब्लॉक' हुआ था लेकिन इस मामले में उनके द्वारा पुलिस में की गई शिकायत पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
सिंह ने सोमवार को एक वीडियो जारी कर कहा, ''मुझे ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे मैं दुनिया का सबसे खतरनाक व्यक्ति हूं. जैसे सोशल मीडिया पर मेरे कहने के बाद कुछ होता है. मैं मीडिया को बताना चाहता हूं कि मैं राष्ट्रीय हित के लिए काम करता हूं. समाज में वैमनस्य फैलाने के लिए मैंने एक काम किया हो तो बताइये.'' सिंह ने दावा किया कि उनके नाम से देश में कई सोशल मीडिया खाते खुले हैं और उनके लिए उन सबको बंद कराना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि कोई उनके नाम से कुछ लिखता है या साझा करता है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं. सिंह ने कहा, ''मेरा आधिकारिक फेसबुक खाता 2018 में हैक और ब्लॉक हुआ था.''
छत्तीसगढ़ में फेसबुक की नीति निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज
छत्तीसगढ़ में रायपुर जिले की पुलिस ने एक स्थानीय चैनल के पत्रकार की शिकायत पर सोशल मीडिया फेसबुक की नीति निदेशक आंखी दास और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. रायपुर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने मंगलवार को बताया कि रायपुर स्थित एक समाचार चैनल के पत्रकार आवेश तिवारी की शिकायत पर कबीर नगर थाने की पुलिस ने आंखी दास, मुंगेली निवासी राम साहू और मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी विवेक सिन्हा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. यादव ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और जांच के बाद इस संबंध में कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले फेसबुक की अधिकारी आंखी दास ने दिल्ली पुलिस में शिकायत की थी कि उन्हें ऑनलाइन पोस्ट के माध्यम से धमकी दी जा रही है. दास ने शिकायत में रायपुर निवासी आवेश तिवारी पर भी आरोप लगाया था. इस बीच, शिवसेना ने कहा कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच पर नफरत फैलाने वालों और देश को तोड़ने की बातें करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वे किसी भी पार्टी से नाता रखते हों.
शिवसेना ने कहा कि फेसबुक जैसी कंपनियां केवल इसलिए नफरत फैलाने वाले किसी व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी से है. पार्टी ने सोशल मीडिया मंच से कारोबार के नियमों और नैतिकता का पालन करने को कहा. कांग्रेस और माकपा दोनों ने फेसबुक के खिलाफ आरोपों पर संयुक्त संसदीय कमेटी से जांच करवाने की मांग की है.
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