नई दिल्ली: फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को आज दिल्ली विधानसभा की शांति व सद्भाव समिति के सामने आज दोपहर 12 बजे पेश होना है. घृणा फैलाने वाली सामग्री के खिलाफ नियमों को लागू करने में जानबूझ कर निष्क्रियता बरतने के आरोप वाली शिकायतों का हवाला देते हुए उन्हें समन किया गया है.


समिति के मुताबिक, इससे कथित तौर पर दिल्ली में शांति भंग हुई थी. कमेटी में पेश हुए कई गवाहों ने दिल्ली दंगो के दौरान फेसबुक की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए थे. दिल्ली दंगो के मामलों पर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने पीस एंड हारमनी कमेटी गठित की थी.


क्या है मामला
दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति द्वारा यह समन हाल में वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर के प्रकाशन के बाद जारी किया गया है. खबर में दावा किया गया है कि फेसबुक के भारत में एक प्रमुख नीतिगत कार्यकारी ने तेलंगाना से बीजेपी के एक नेता पर स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाए जाने से रोकने के लिए आंतरिक संवाद में दखल दिया. बीजेपी नेता ने कथित तौर पर सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ पोस्ट शेयर की थी.


दिल्ली विधानसभा के उप सचिव ने 10 सितंबर को भेजे गए एक नोटिस में कहा था, “हम आपको (अजीत मोहन को) अपने समक्ष 15 सितंबर 2020 को दोपहर 12 बजे विधायक लाउंज-1, दिल्ली विधानसभा में तलब करते हैं. इसका उद्देश्य आपकी शपथपूर्ण गवाही दर्ज करना और समिति द्वारा की जा रही कार्यवाही में आपकी सहभागिता है.”


फेसबुक का क्या कहना है
फेसबुक ने पिछले महीने कहा था कि उसका सोशल मीडिया मंच ऐसे द्वेषपूर्ण बयानों और सामग्रियों का रोकता है जो हिंसा को भड़काती हैं और ऐसी नीतिया वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं बिना राजनीतिक जुड़ाव देखे. समिति ने अपने अध्यक्ष राघव चड्ढा के माध्यम से अब तक चार अत्यंत महत्वपूर्ण गवाहों की जांच की है, जिनमें प्रख्यात लेखक परांजॉय गुहा ठाकुर्ता व डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता निखिल पाहवा शामिल हैं.


समिति के मुताबिक, परांजॉय गुहा ने स्पष्ट रूप से बयान दिया कि फेसबुक प्लेटफॉर्म उतना नास्तिक और कंटेंट न्यूट्रल नहीं है, जितना कि वह होने का दावा करता है. साथ ही फेसबुक पर एक अपवित्र सांठगांठ का आरोप लगाया गया है. गवाहों की तरफ से ब्लैक लाइव्स मामले के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश में फेसबुक नीतियों के चयनात्मक कार्यान्वयन की प्रक्रिया पर समिति का ध्यान आकर्षित किया था.


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