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Facebook ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, ये है मामला
फरवरी में हुए दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए सोशल मीडिया साइट फेसबुक के शीर्ष अधिकारियों को दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने पेश होने का नोटिस जारी किया था. अब फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट ने सुप्रीम कोर्ट में पेशी से बचने के लिए याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई बुधवार को करेगा.
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नई दिल्ली: फरवरी में हुए दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए सोशल मीडिया साइट फेसबुक के शीर्ष अधिकारियों को दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने पेश होने का नोटिस जारी किया था. अब फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट ने सुप्रीम कोर्ट में पेशी से बचने के लिए याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई बुधवार को करेगा.
दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को 23 सितंबर को समिति के समक्ष पेश होकर गवाही सुनिश्चित करने के लिये एक नया नोटिस जारी किया था. समिति द्वारा जारी बयान में चेतावनी दी गई थी कि पेशी के लिये जारी किये गए नोटिस की अवहेलना को समिति को “संवैधानिक रूप से प्रदत्त विशेषाधिकार का उल्लंघन” माना जाएगा. आम आदमी पार्टी (आप) विधायक राघव चड्ढा की अध्यक्षता वाली समिति की तरफ से सोशल मीडिया कंपनी को अंतिम चेतावनी जारी की गई है क्योंकि समिति की पिछली बैठक पर मोहन अपना बयान दर्ज करवाने के लिये नहीं पहुंचे थे.
चड्ढा ने कहा था कि समिति के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिये फेसबुक के शीर्ष अधिकारी का पेश नहीं होना दिल्ली विधानसभा के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी के लोगों की अवमानना है. उन्होंने जोर दिया कि फेसबुक को दिल्ली राज्य विधानसभा के तहत होने वाली कार्यवाहियों का निश्चित रूप से उसी तरह सम्मान करना चाहिए जैसा उन्होंने संसद की स्थायी समिति का किया था. बयान में कहा गया, “इस नोटिस के खंडन या अवहेलना के अब किसी भी कृत्य को विशेषाधिकार का इरादतन उल्लंघन माना जाएगा और फेसबुक इंडिया के खिलाफ विभिन्न कार्यवाहियों को शुरू करने योग्य होगा.”
विधानसभा समिति ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों को लेकर फेसबुक की कथित “सहभागिता” के आरोपों को संज्ञान में लिया था. विधानसभा समिति ने 'वॉल स्ट्रीट जनरल' की एक खबर के बाद यह कार्यवाही शुरू की है, जिसमें दावा किया गया था कि फेसबुक इंडिया के एक वरिष्ठ नीति निर्धारक ने कथित रूप से भड़काऊ पोस्ट साझा करने वाले तेलंगाना के भाजपा विधायक को स्थायी रूप से प्रतिबंधित करने में रुकावटें पैदा की थीं.
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