फेसबुक और इंस्टाग्राम के यूजर्स अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए सीधे ओवरसाइट बोर्ड से अपील कर सकते हैं. इस बोर्ड को फेसबुक का सुप्रीम कोर्ट कहा जा रहा है. फेसबुक ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कंटेंट हटाने या न हटाने का बोर्ड का फैसला ही अंतिम होगा. फेसबुक का यह बोर्ड आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर तुरंत फैसला सुनाएगा. किस कंटेंट को हटाना है और किसे नहीं, इसका फैसला बोर्ड ही लेगा.


एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ओवरसाइट बोर्ड में दुनियाभर के कार्यकर्ता, नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रोफेसर और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं. बोर्ड के चार सह-अध्यक्ष हैं- डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री हेल थोरिंग-श्मिट, अमेरिका के पूर्व फेडरल सर्किट जज माइकल मैककोनेल, कोलंबिया लॉ स्कूल के प्रोफेसर जमाल ग्रीन और अमेरिकी मानवाधिकार आयोग के पूर्व विशेष दूत कैटालिना बोटेरो-मेरिनो. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के कुलपति सुधीर कृष्णस्वामी भी बोर्ड के सदस्य भी हैं.


फेसबुक मैनेजमेंट का कोई हस्तक्षेप नहीं
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने 'ओवरसाइट बोर्ड' के संचालन के लिए 130 मिलियन डॉलर का ट्रस्ट बनाया है और इसके सदस्य सीधे बोर्ड के साथ ही बातचीत करते हैं. फेसबुक मैनेजमेंट का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. हालांकि बोर्ड को सरकार की ओर से दिए किसी आदेश पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. कंपनी ने पहले ही कहा था कि वह इस तरह के अनुरोधों के लिए देश के कानूनों का पालन करती रहेगी.


बीते दिनों फेसबुक को कई तरह की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. लेकिन अब अपनी नीतियों को और पारदर्शी बनाने के लिए फेसबुक के इस कदम का कई लोगों ने स्वागत किया है.


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