सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए 'खतरा' बताया गया है. चौंकानेवाला खुलासा आवाज नामी ग्रुप की तरफ से किए गए शोध में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल महामारी से संबंधित स्वास्थ्य की गलत जानकारी फेसबुक पर 3.8 बिलियन बार देखी गई.
फेसबुक का ताजा प्रकरण क्या है?
हेट स्पीच प्रकरण के बाद फेसबुक एक और नए विवादों में फंस गया है. इस बार स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी फैलाने को बढ़ावा देने का आरोप है. ग्रुप ने 16 फीसद गलत सूचना के अध्ययन के बाद चेतावनी का लेबल लगाया. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में कोरोना से संबंधित फर्जी सूचना का फैलाव ऊंचाई पर पहुंच गया. इस दौरान 460 मिलियन लोगों ने देखा. इसके पीछे फेसबुक के एल्गोरिथ्म को बड़ा कारण बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एल्गोरिथ्म फेसबुक के 2.7 बिलियन यूजर में कई को स्वास्थ्य संबंधी गलत सूचना फैलाने वाले नेटवर्क पर भेजता रहा है. आवाज के कैंपन डायरेक्टर फादी कुरान ने कहा, "मार्क जुकरबर्ग ने महामारी के दौरान भरोसेमंद सूचना मुहैया कराने का वादा किया था. लेकिन उनका एल्गोरिथ्म उनके प्रयासों को धक्का पहुंचा रहा है.
गलत जानकारी पर कंपनी ने दी सफाई
गलत जानकारी से महामारी की स्थिति और भयावह हो जाएगी." आवाज की रिपोर्ट पर फेसबुक ने अपना पक्ष रखा है. उसने कहा है कि रिपोर्ट में भले ही स्वास्थ्य के प्रति खतरे के आंकड़े दिखाए गए हैं लेकिन झूठी जानकारी को रोकने के लिए उनके किए उपायों का पूरा विवरण नहीं है. फैक्ट चेकर्स के वैश्विक नेटवर्क ने अप्रैल से जून तक 98 मिलियन गलत जानकारियों पर चेतावनी लेबल लगाए और सात मिलियन सामग्री को हटाया. उसने ये भी बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों के संसाधनों से जुड़े रहने के लिए दो बिलियन लोगों को निर्देशित किया है. जब कोई कोविड -19 के बारे में लिंक साझा करने की कोशिश करता है, तो उसे भरोसेमंद स्वास्थ्य जानकारी के साथ जोड़ने के लिए एक पॉप-अप दिखाया जाता है.
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