Himachal Pradesh HC News: भगवान शिव और भगवान नंदी को लेकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक कमेंट करने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर 'लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए'. कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक पढ़े लिखे शख्स हैं और उन्हें दूसरे धर्म के लोगों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए.
आरोपी नदीम अख्तर एक डॉक्टर हैं. उनकी जमानत याचिका पर जस्टिस वीरेंद्र सिंह सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने कहा कि समाज में रहते हुए हर किसी को दूसरे धर्म के लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए.
कोर्ट ने कहा, समाज में जाएगा गलत संदेश
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर कोर्ट उन्हें जमानत की इजाजत दे देता है तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और दूसरे लोगों को भी इस तरह की टिप्पणी करने के लिए प्रेरित करेगा. उन्होंने कहा कि इससे दूसरे धर्मों के लोगों में नाराजगी बढ़ेगीऔर गुस्सा पैदा होगा, जो देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को खराब करेगा.
शिकायत में दावा, आरोपी करता रहा है ऐसे पोस्ट
आरोपी के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया कि वे अक्सर इस तरह के पोस्ट करते हैं, जिनमें भगवान शिव और हिंदू देवी-देवताओं के लिए अपमानजनक शब्दों का उपयोग किया गया है. इस शिकायत पर डॉक्टर अख्तर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295-A के तहत केस दर्ज किया गया और इसके बाद 153A और 505 (2) की धाराओं में भी मामला भी दर्ज हुआ.
पेश किए गए फेसबुक पोस्ट
कोर्ट के आदेश पर आरोपी के वे फेसबुक पोस्ट भी पेश किए गए, जिसमें भगवान शिव को लेकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. रिपोर्ट में कहा गया कि भगवान शिव को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद आरोपी ने गूगल सर्च में पोस्ट और कमेंट को डिलीट करने या उन्हें मोडिफाई करने के तरीके भी ढूंढे थे. शिकायत में कहा गया कि आरोपी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मकसद से ऐसा कर रहे थे.