नई दिल्ली: फेसबुक की साउथ-सेंट्रल पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल यूनिट में कई लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. अंखी को ऑनलाइन पोस्ट और कंटेंट के जरिए कथित तौर पर जान से मारने की धमकी मिली है. दास फेसबुक में पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं. उनका आरोप है कि एक विशेष राजनीतिक दल के साथ मिलकर कई लोगों ने डब्ल्यूएसजे में छपे एक आर्टिकल के बाद उन्हें टारगेट करना शुरू कर दिया. दास ने उन पर यौन रूप से भी भद्दी टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और उन्हें बदनाम करने के लिए यह किया जा रहा है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त को एक लेख प्रकाशित होने के बाद अंखी दास सुर्खियों में आई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि फेसबुक ने भारत में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सत्तारूढ़ बीजेपी का पक्ष लिया है.
कौन हैं अंखी दास ?
अंखी दास मूलरूप से पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं. कोलकाता यूनिवर्सिटी के लोरेटो कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन और पॉलिटिकल साइंस से मास्टर्स की डिग्री ली. दास अक्टूबर 2011 से फेसबुक से जुड़ी हैं. फेसबुक से पहले माइक्रोसॉफ्ट की भारत में पब्लिक पॉलिसी हेड थीं. साल 2004 में दास माइक्रोसॉफ्ट से जुड़ी थी. यहां करीब सात साल सार्वजनिक नीति, कानूनी और कॉर्पोरेट मामलों के निदेशक के तौर पर काम किया. इस क्षेत्र में उन्हें लगभग 16 साल का अनुभव हैं.
अंखी दास फेसबुक में काम करने के अलावा कॉलम भी लिखती हैं. उनका नाम कुछ अंग्रेजी अखबार और अमरीकी वेबसाइट के कॉलमनिस्ट लेखकों की लिस्ट में है.
फेसबुक और अंखी पर क्या लग रहे हैं आरोप?
दरअसल, एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फेसबुक ने बीजेपी नेताओं के नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया. रिपोर्ट में तेलंगाना से बीजेपी विधायक टी राजा सिंह की एक पोस्ट का भी हवाला दिया गया, जिसमें कथित रूप से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की वकालत की गई थी. ये भी दावा किया गया कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अंखी दास ने फेसबुक पर बीजेपी से जुड़ी कुछ जानकारी को डिलीट कर दिया.
हालांकि फेसबुक ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा, "हम हिंसा को उकसाने वाले हेट स्पीच और कंटेंट को प्रतिबंधित करते हैं. हम यह देखे बिना इन नीतियों को दुनियाभर में लागू करते हैं कि किसी की क्या राजनीतिक हैसियत है या वो किस दल से जुड़ा है. हम निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए नियमों को और धारदार बना रहे हैं. साथ ही हम अपनी प्रक्रियाओं की नियमित रूप से ऑडिंटिंग भी करते रहते हैं."
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