फेसबुक विवाद: BJP सांसद ने पत्र लिखकर शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय समिति से हटाने की मांग की
फेसबुक विवाद के बीच BJP सांसद निशिकांत दुबे ने पत्र लिखकर शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय समिति से हटाने की मांग की है.
नई दिल्ली: फेसबुक विवाद के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय स्थाई समिति के चेयरमैन पद से हटाने की मांग उठी है.
कमेटी के सदस्य और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर शशि थरूर पर संसदीय नियम-कायदों के उल्लंघन और कमेटी की गरिमा से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है.
दुबे ने आरोप लगाया कि शशि थरूर स्टैंडिंग कमेटी ऑन इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी के चेयरमैन के दायित्व निभाने में फेल साबित हुए हैं. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखे पत्र में कहा है, आईटी मामलों की संसद की स्थाई समिति के प्रमुख की हैसियत से शशि थरूर ने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चक्कर में पहली बार विवाद नहीं खड़ा किया है.
उन्होंने कहा कि वह संसदीय संस्थाओं का दुरुपयोग कर मेरी पार्टी(बीजेपी) को निशाना बनाते हैं. जब से शशि थरूर कमेटी के चेयरमैन बने हैं, वह अनप्रोफेशनल तरीके से संचालन कर रहे हैं. अफवाह फैलाकर वह मेरी पार्टी को बदनाम करने की कोशिश कर राजनीतिक हित साध रहे हैं.
बीजेपी सांसद ने कुल चार उदाहरण देते हुए थरूर पर कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया. कहा गया है कि पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के मसले पर उन्होंने कमेटी में चर्चा किए बगैर सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए थे. वहीं 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगाने के दौरान भी शशि थरूर ने ट्विटर पर नाराजगी जताई थी.
इसके अलावा कई मौकों पर कमेटी के चेयरमैन के तौर पर दायित्वों के निर्वहन में शशि थरूर फेल हुए हैं. बीजेपी सांसद ने लोकसभा सांसद ओम बिरला से संबंधित नियमों का प्रयोग करते हुए शशि थरूर को कमेटी के चेयरमैन पद से हटाने की मांग की है.
दरअसल, एक विदेशी अखबार की रिपोर्ट में बीते दिनों फेसबुक पर बीजेपी को लेकर नरम रुख अपनाने की बात कही गई थी जिस पर शशि थरूर ने स्टैंडिंग कमेटी ऑन आईटी की ओर से इस मसले पर फेसबुक से सफाई मांगने की बात कही थी.
इस पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि समिति के सभी सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद ही शशि थरूर फैसला ले सकते हैं. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि ये मुद्दे संसदीय समिति के नियमों के मुताबिक उठाए जा सकते हैं.