नई दिल्ली: फेसबुक पर कंटेंट को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बीच फेसबुक ने सफाई दी है. फेसबुक इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन ने ब्लॉग लिखकर कहा कि उसका किसी पार्टी से कोई लेनादेना नहीं है और वह नेताओं द्वारा पोस्ट किए गए आपत्तिजनक कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने का काम जारी रखेगी.
ब्लॉग में उन्होंने कहा, ''पिछले कुछ दिनों में, हम पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया गया. हमने पक्षपाती होने के आरोपों को गंभीरता से लिया. यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम किसी भी रूप में घृणा और कट्टरता की निंदा करते हैं.''
उन्होंने कहा कि फेसबुक पारदर्शी प्लेटफॉर्म है और वह किसी पक्ष या विचारधारा का समर्थन नहीं करता है. फेसबुक हमेशा से एक खुला, पारदर्शी और गैर-पक्षपातपूर्ण मंच रहा है, जहां लोग खुद को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त कर सकते हैं.
अजीत मोहन ने लिखा, ''हम अपनी पॉलिसी वैश्विक स्तर पर लागू करते हैं. इसे किसी की राजनीतिक स्थिति, पार्टी संबद्धता या धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास की परवाह किये बिना लागू करते हैं.''
उन्होंने कहा, ''भारत में हमने पब्लिक फिगर (चर्चित चेहरे) द्वारा किए गए पोस्ट को हटाए हैं और आगे भी हटाते रहेंगे जो हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करते हैं.''
कैसे शुरू हुआ विवाद?
बता दें कि फेसबुक से जुड़ा पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से प्रकाशित खबर के बाद शुरू हुआ. इस खबर में कहा गया है कि फेसबुक के सीनियर भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में हस्तक्षेप किया था.
इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों खास कर कांग्रेस ने फेसबुक और बीजेपी पर तीखा प्रहार किया. राहुल गांधी ने ट्वीट कर फेसबुक और सत्तापक्ष को निशाने पर लिया.
विवाद बढ़ने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति ने फेसबुक के कथित दुरुपयोग के मुद्दे पर चर्चा के लिए आगामी 2 सितम्बर को अधिकारियों को तलब किया है.
2 सितंबर को होगी आईटी संबंधी स्थायी संसदीय समिति की बैठक, फेसबुक के अधिकारी रखेंगे अपनी बात