नई दिल्ली: फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी की हेड (नीतिगत प्रमुख) अंखी दास ने कंपनी छोड़ दी है. फेसबुक ने इसकी जानकारी दी है. वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नफरत फैलाने वाली टिप्पणियों पर रोक लगाने के मामले में कथित तौर पर पक्षपात बरतने को लेकर विवादों में थीं.


नौ साल से अधिक समय से फेसबुक से जुड़ी थीं


फेसबुक के भारत में प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने ई-मेल के जरिये बयान में कहा, ‘‘अंखी दास ने फेसबुक में अपने पद से हटने का निर्णय किया है. उन्होंने जन सेवा में अपनी रुचि के अनुसार काम करने के लिए यह कदम उठाया है. अंखी हमारे उन पुराने कर्मचारियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत में कंपनी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभायी. वह पिछले नौ साल से अधिक समय से अपनी सेवा दे रही थीं.’’


अंखी दास पर लगे ये आरोप


अंखी दास पर ये आरोप लगे थे कि उन्होंने बीजेपी और दूसरे दक्षिण पंथी संगठनों के नफरत फैलाने वाले बयानों पर रोक लगाने से जुड़े नियमों को लागू करने का कथित रूप से विरोध किया था. उन पर ये भी आरोप लगे थे कि उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों के फेसबुक ग्रुप पर कई साल तक भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में संदेश पोस्ट किए. उन्होंने मामला प्रकाश में आने के करीब ढाई महीने बाद पद से इस्तीफा दिया है.


चालीस से अधिक मानवाधिकार संगठनों और इंटरनेट पर नजर रखने वाले संगठनों ने फेसबुक से अंखी दास को तब तक छुट्टी पर भेजने को कहा था, जब तक कंपनी अपने भारतीय परिचालन के ऑडिट का काम पूरा नहीं कर लेती. अंखी दास 2011 में फेसबुक से जुड़ी थी.


अजीत मोहन ने कहा, ‘‘वह पिछले दो साल से मेरी टीम का हिस्सा थी. उन्हें जो भूमिका दी गयी थी, उन्होंने शानदार योगदान दिया. हम उनकी सेवा के आभारी हैं और उन्हें भविष्य के लिये शुभकामनाएं देते हैं.’’


अंखी दास ने कहा कि उन्होंने फेसबुक से इस्तीफा देने का निर्णय किया है ताकि जन सेवा में अपनी व्यक्तिगत रूचि के अनुसार काम कर सके. फेसबुक ने उनके इस्तीफे को विवादास्पद मामले से नहीं जोड़ा है. लेकिन कहा है कि कंपनी में मंगलवार उनका आखिरी दिन था.


अंखी दास से हुए थे सवाल जवाब


इससे पहले 23 अक्टूबर को फेसबुक की पॉलिसी प्रमुख अंखी दास बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली डाटा सुरक्षा विधेयक 2019 पर संसद की संयुक्त समिति के सामने पेश हुई थीं. सूत्रों ने बताया कि समिति के सदस्यों ने उनसे दो घंटे तक कई तरह सवाल किए. बैठक के दौरान एक सदस्य ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनी को अपने विज्ञापनदाताओं के वाणिज्यिक फायदे के लिए या चुनावी मकसद से अपने उपभोक्ताओं के डाटा में सेंध नहीं लगाने देनी चाहिए.


सूत्रों ने बताया था कि सांसदों ने भारत से फेसबुक को होने वाली आमदनी और डाटा सुरक्षा के लिए राजस्व का कितना हिस्सा खर्च किया जाता है, इस बारे में जााना चाहा. उपयोक्ताओं के हिसाब से भारत फेसबुक का सबसे बड़े बाजार में शामिल है. उन्होंने बताया कि समिति ने यह भी जानना चाहा कि सोशल मीडिया कंपनी भारत में कितना कर अदा करती है. बैठक के दौरान उन आरोपों पर भी चिंता व्यक्त की गयी कि अमेरिका में सोशल मीडिया कंपनी के अधिकतर कर्मचारी देश के किसी खास राजनीतिक दल के प्रति झुकाव रखते है.


सोशल मीडिया साइट के कथित दुरुपयोग पर पिछले महीने फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजित मोहन कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के सामने पेश हुए थे.


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