महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार (23 नवंबर, 2024) को नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी. इस बीच एक वायरल पोस्ट ने हलचल मचा दी है. यह पोस्ट पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर वायरल हो रहा है. इसमें एक न्यूजपेपर की कटिंग के जरिए दावा किया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने 1992 के दंगों में शामिल होने के लिए मुसलमानों से माफी मांगी है.


वायरल पोस्ट में न्यूजपेपर की जो कटिंग इस्तेमाल की गई है, उसमें लिखा है- '1992 के दंगों में शामिल होना गलती थी, माफ करो- उद्धव ठाकरे. मुस्लिम नेताओं के साथ हुई बैठक में उद्धव ठाकरे की माफी.' वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि उद्धव ठाकरे ने मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, आरिफ शेख और फारुख शाह समेत कई मुस्लिम नेताओं के सामने माफी मांगी है. वायरल पेपर कटिंग को राष्ट्रीय उजाला न्यूजपेपर के नाम से शेयर किया जा रहा है और लेखक के लिए प्रणव डोगरा का नाम लिखा है.


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रवादी देव कुमार नामदेव (धर्म योद्धा) नाम के एक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर किया और लिखा, '1992 के दंगों में शामिल होना गलती, माफ करो- उद्धव ठाकरे. मुस्लिम वोट के लिए कितना गिरोगे? बाला साहब ठाकरे की आत्मा रो रही होगी.' 




मनोज सिंह नाम के एक और यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर किया है. उन्होंने लिखा, 'और कितना गिरेंगे ये लोग. कल तक जो शेखी बघार रहे थे कि 1992 दंगों से मुंबई को शिवसेना ने बचाया, उसी दंगे के लिए आज उद्धव ठाकरे मुस्लिम समाज से माफी मांगते हुए दिख रहे हैं.' अमिताभ चौधरी नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा, 'उद्धव ठाकरे ने 1992 में अयोध्या कारसेवा में उनकी पार्टी के शामिल होने के लिए माफी मांगी है. उन्होंने कारसेवा को मुस्लिमों के खिलाफ दंगा बताया है. बाल ठाकरे कहीं रो रहे होंगे क्योंकि उनके बेटे ने उनके नाम और विरासत को सबसे बड़ी क्षति पहुंचाई है.' वायरल पोस्ट का मराठी वर्जन भी सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.




क्या उद्धव ठाकरे ने सच में माफी मांगी है? इसका सच जानने के लिए हमने गूगल पर अलग-अलग कीवर्ड्स से सर्च किया, लेकिन ऐसा कोई न्यूज आर्टिकल नहीं मिला, जिसमें इस दावा की पुष्टि की गई हो. अगर उद्धव ठाकरे ने माफी मांगी होती तो लोकल और नेशनल मीडिया में भी इसको जरूर कवर किया जाता. 


यह पोस्ट राष्ट्रीय उजाला के नाम से शेयर किया जा रहा है इसलिए हमने दैनिक राष्ट्रीय उजाला के आर्टिकल्स की भी पड़ताल की, लेकिन ऐसा कोई आर्टिकल नहीं मिला. हालांकि, 21 नवंबर को राष्ट्रीय उजाला का फेसबुक पर एक स्पष्टीकरण जरूर मिला है, जिसमें दावा किया गया कि न्यूजपेपर के नाम पर शेयर किया जा रहा वायरल पोस्ट फेक है. साथ ही यह भी साफ किया कि प्रणव डोगरा उनके न्यूजपेपर के लिए काम नहीं करते हैं.


राष्ट्रीय उजाला की प्रिंटर, पब्लिशर और मालिक ज्योति नारायण ने भी साफ किया कि उनका और उनके न्यूजपेपर का इस फेक आर्टिकल से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कंटेंट पूरी तरह से आधारहीन है और मकसद राष्ट्रीय उजाला की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को धूमिल करते हुए जनता को गुमराह करना है.


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