Election Fact Check: पश्चिम बंगाल में क्या आम चुनाव के दौरान आर्टिफीशियल अंगुलियों से की गई फर्जी वोटिंग? जानिए वायरल दावे का सच
Election Fact Check: सोशल मीडिया पर वायरल हुए फोटो में प्लास्टिक की कुछ अंगुलियां नजर आ रही थीं. दावा किया गया कि आम चुनाव के दौरान इन अंगुलियों के जरिए कई बार वोट डाले गए.
Election Fact Check: लोकसभा चुनाव 2024 के बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई है, जिसे लेकर दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल में रोहिंग्या मुसलमानों ने वोट डालने के लिए आर्टिफीशियल अंगुलियों का इस्तेमाल किया. अलग-अलग सोशल प्लेटफॉर्म्स पर इस फोटो को लेकर यूजर्स ने दावे किए कि इन आर्टिफीशियल अंगुलियों की मदद से वहां पर एक ही व्यक्ति ने कई बार वोट डाले.
तरुण दुबे (Tarun Dubey) नाम के यूजर की ओर से फेसबुक पर सोमवार (30 अप्रैल, 2024) को यह तस्वीर पोस्ट की गई, जिसमें प्लास्टिक की कुछ आर्टिफीशियल अंगुलियां नजर आ रही थीं. फोटो पर बांग्ला (बंगाली भाषा) में कुछ लिखा हुआ था, जबकि कैप्शन में यूजर ने लिखा था- बंगाल में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने के बाद भी फर्जी वोटिंग का जुगाड़ तो देखिए. अंगुली में लगी सियाही को छुपाने के लिए नकली अंगुली पहनकर दोबारा-तिबारा वोट देते हैं!
News Mobile की पड़ताल में सामने आया सच
फैक्ट चेकिंग वेबसाइट न्यूज मोबाइल की ओर से जब इस वायरल पोस्ट की पड़ताल की गई तब कहानी कुछ और ही सामने आई. वायरल तस्वीर की अमेरिकी सर्च इंजन गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च की गई तो एबीसी न्यूज का एक आर्टिकल मिला जो कि छह जून 2013 का था. उस रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर जापान की है. वहां पर युकाको फूकूशीमा नाम के डॉक्टर इस तरह की आर्टिफीशियल अंगुलियां उन लोगों के लिए बनाते हैं, जो दुर्घटना या फिर अन्य कारणों से उन्हें पूर्व में गंवा चुके हैं.
जापान की है तस्वीर, डॉक्टर ने बनाई थीं ये अंगुलियां
ऐसे में साफ होता है कि वायरल दावे का देश के हालिया आम चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. वायरल दावा गलत है. अंग्रेजी न्यूज चैनल एनडीटीवी से लेकर अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे मीडिया संस्थानों ने भी रिपोर्ट्स में इस वायरल तस्वीर को गलत बताया और साफ किया कि यह इस इलेक्शन के दौरान की नहीं है.
Disclaimer: This story was originally published by News Mobile and republished by ABP Live Hindi as part of the Shakti Collective.