नई दिल्ली: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और उनकी नज़्म 'हम देखेंगे' इन दिनों खूब चर्चा में है. एक तरफ जहां CAA और NRC का विरोध कर रहे लोग इस नज़्म की पंक्तियों को गुनगुना रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ इसकी कुछ पंक्तियों को लेकर विरोध भी हो रहा है. उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित आईआईटी के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के प्रति समर्थन व्यक्त करने वाले समूह द्वारा इस नज़्म को गाने पर आपत्ति जताई गई. जिसके बाद क्या फ़ैज़ की यह नज़्म 'हिंदू विरोधी' है या नहीं इसकी एक समिति जांच कर रही है.


इसी बीच अब इस नज़्म का भोजपुरी संस्करण 'हमहू देखब...खूब वायरल हो गया है. इसे राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी अपने ट्विटर अकॉउंट पर शेयर किया है.


मनोज झा ने ट्वीट किया कि फैज की कविता 'हम देखेंगे...' अब भोजपुरी में आ गया है. अब लोग क्या करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा है कि फैज पर सवाल खड़ा करेंगे... फैज से मुहब्बत करनेवाले लोग लाखों-करोड़ों सवाल लेकर खड़े हो जायेंगे.... अभी तो ये महज शुरुआत है.





फैज़ की नज़्म यहां पढ़ें


हम देखेंगे
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिस का वादा है
जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिरां


रूई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकूमों के पांव-तले
जब धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम के सर-ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी


जब अर्ज़-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएंगे
हम अहल-ए-सफ़ा मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे


सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख़्त गिराए जाएंगे


बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो ग़ाएब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र भी है नाज़िर भी
उट्ठेगा अनल-हक़ का नारा


जो मैं भी हूं और तुम भी हो
और राज करेगी ख़ल्क़-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो


इस नज़्म की पंक्ति 'बस नाम रहेगा अल्लाह का' पर विवाद हो रहा है.