Fake Caste Certificate: पूजा खेडकर केस ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नई बहस छेड़ दी है. इसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. इस बीच एक ऐसा डेटा सामने आया है जो काफी हैरान करने वाला है. दरअसल, 2019 तक नौ साल तक चली एक आधिकारिक जांच में फर्जी जाति प्रमाण पत्र सरकारी नौकरियां हासिल करने की 1,084 शिकायतों का पता लगा है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के रिकॉर्ड से पता चलता है कि इन मामलों में से 92 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है.
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से प्राप्त रिकॉर्ड से इस बात का खुलासा हुआ है. सरकार के अधीन 93 मंत्रालयों और विभागों में से 59 के लिए आरटीआई रिकॉर्ड उपलब्ध कराए गए थे. ये आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में रेलवे ने 349 ऐसी शिकायतें दर्ज कीं, इसके बाद डाक विभाग (259), जहाजरानी मंत्रालय (202) और खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (138) ने शिकायतें दर्ज कीं. डीओपीटी के सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई मामले विभिन्न अदालतों में भी लंबित हैं.
संसदीय समिति की शिकाय के बाद डेटा किया गया कलेक्ट
जुलाई में पूजा खेडकर विवाद के बाद द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से दायर एक ऐप्लिकेशन पर आए जवाब से इसका खुलासा हुआ है. इस जवाब से पता चलता है कि डीओपीटी ने 2010 में तत्कालीन लोकसभा भाजपा सांसद रतिलाल कालिदास वर्मा की अध्यक्षता वाली एससी/एसटी के कल्याण पर तत्कालीन संसदीय समिति की सिफारिश के बाद ऐसी शिकायतों का डेटा एकत्र करना शुरू किया था. समिति ने तब सभी मंत्रालयों/विभागों, पीएसयू, बैंकों, स्वायत्त निकायों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सिफारिश की थी कि झूठे जाति प्रमाणपत्रों के मामलों की प्रगति और निपटान की निगरानी के उद्देश्य से नियमित रूप से जानकारी प्राप्त करते रहें, ताकि इनसे निपटने की प्लानिंग की जा सके.
DOPT समय-समय पर कार्रवाई के लिए जारी करता है निर्देश
रिकॉर्ड से पता चलता है कि इस तरह के डेटा की मांग करने वाला आखिरी कम्यूनिकेशन 16 मई, 2019 को जारी किया गया था. डीओपीटी ने 8 अगस्त, 2024 को अपने आरटीआई जवाब में कहा, “आज तक, इन विभागों में ऐसा कोई डेटा केंद्रीय रूप से बनाए नहीं रखा गया है. डीओपीटी ने जाति प्रमाण पत्र का समय पर सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं. जाति प्रमाण पत्र जारी करना और सत्यापित करना संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है.”
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