Fake Currency Recovered In Purnia: पटना की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने मंगलवार (11 फरवरी, 2025) को भारतीय नकली करेंसी की (FICN) तस्करी के मामले में दो आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 7 साल की कैद और 8000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. ये मामला बिहार के पूर्णिया जिले का है, जिसमें बांग्लादेश और नेपाल के नागरिक भी शामिल थे.


सजा पाने वाले आरोपी मोहम्मद मुमताज और मोहम्मद बैतुल्लाह, दोनों बिहार के निवासी है. इन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 489B, 489C, 120B और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम [UA(P) Act] की धारा 16 और 18 के तहत दोषी पाया गया.


2000 और 500 नोट हुए बरामद


ये मामला 3 दिसंबर 2019 का है. बस स्टैंड, पूर्णिया से NIA ने 1,90,500 रुपये के नकली नोट बरामद किए थे. इन नकली नोटों में 2000 और 500 रुपये के नोट शामिल थे. मामला गंभीर था, क्योंकि ये भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के मकसद से किया जा रहा था.



  1. NIA की जांच में पता चला कि इस तस्करी में कुल 6 लोग शामिल थे.

  2. मोहम्मद मुमताज-  ये मुख्य डिलीवरी मैन था, जिसे नकली नोट सप्लाई करने का काम सौंपा गया था.

  3. बिल्टू महतो (नेपाल)-  नकली नोटों की तस्करी का मास्टरमाइंड.

  4. गोलाम मुर्तजा उर्फ सीटू- ये नकली नोटों की सप्लाई करने की कड़ी था, जिसने ये करेंसी मोहम्मद मुंशी (बांग्लादेश) से हासिल की थी.

  5. सादेक मियां- मुंशी का सहयोगी, जो नेपाल और बांग्लादेश के बीच नकली नोटों की डीलिंग में मदद करता था.

  6. NIA ने 2020 से 2021 के बीच चार्जशीट दायर की. लेकिन गोलाम मुर्तजा की हिरासत में मौत हो गई, जबकि बिल्टू महतो और मोहम्मद मुंशी अभी भी फरार है.


7 साल की सजा के साथ 8 हजार का जुर्माना


कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मोहम्मद मुमताज और मोहम्मद बैतुल्लाह को 7 साल की सजा सुनाई और उन पर 8000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. बाकी फरार आरोपियों पर भी मुकदमा जारी है. NIA लगातार इस गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश कर रही है.


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