रेलवे पास के लिए डॉक्टर बनाने लगा लोगों का फर्जी ID कार्ड, पुलिस के हत्थे चढ़ा
कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों में ज्यादा न फैले, इसलिए सामान्य नागरिकों को मुंबई लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति अब तक नहीं दी गई है. मार्च में लॉकडाउन के बाद से ही मुंबई में लोकल ट्रेन पूरी तरह से बंद कर दी गई थी.
मुंबई: मुंबई साइबर पुलिस ने एक 35 साल के न्यूरोथेरिपिस्ट को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार आरोपी का नाम शिव आजाद मिश्रा है. इस आरोपी ने अपना 15 लाख रुपये का कर्जा चुकाने के लिए गलत राह चुन ली और लोगों को हेल्थ वर्कर होने का फर्जी आईडी कार्ड बनाकर देने लगा. इन फर्जी आईडी कार्ड का इस्तेमाल लोग मुंबई लोकल ट्रेन में यात्रा करने का पास बनाने के लिए करते थे.
दरअसल, कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों में ज्यादा न फैले, इसलिए सामान्य नागरिकों को मुंबई लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति अब तक नहीं दी गई है. मार्च में लॉकडाउन के बाद से ही मुंबई में लोकल ट्रेन पूरी तरह से बंद कर दी गई थी, जिसके बाद जून महीने में रेल फिर से शुरू हुई लेकिन सिर्फ डॉक्टर, हेल्थ वर्कर, बीएमसी कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी को ही इसमें सफर करने की इजाजत थी. मुंबई में एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करने के लिए लोकल ट्रेन से सरल रास्ता और दूसरा नहीं है. ऐसे में कई लोगों ने फर्जी आईडी कार्ड बनाकर रेलवे में यात्रा करने की कोशिश भी की, जिसके बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
फेसबुक पर देखा पोस्ट
साइबर पुलिस के एसीपी नितिन जाधव ने बताया कि उनकी सोशल मीडिया सर्विलांस टीम ने फेसबुक पर एक पोस्ट देखा. इस पोस्ट में लिखा था, 'अगर किसी को रेलवे पास चाहिए तो वो संपर्क करें.' जिसके बाद साइबर पुलिस ने फर्जी ग्राहक बनकर उस नंबर से संपर्क किया और आरोपी ने 2000 रुपये के एवज में एक मेडिकल स्टाफ होने का फर्जी आईडी कार्ड बनाकर दे दिया. पुलिस ने आरोपी को आईडी कार्ड की डिलीवरी देने के लिए कुर्ला बुलाया, जहां पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
15 लाख रुपये का कर्ज
शुरुआती जांच में पता चला कि मिश्रा का क्लिनिक लॉकडाउन के बाद से ही नहीं चल रहा था. वहीं उस पर 15 लाख रुपये का कर्ज था. मिश्रा को ये बात पता थी कि मुंबई की लोकल ट्रेन में उन्हें ही यात्रा करने की अनुमति है जो लोग हेल्थ वर्कर्स हों या फिर डॉक्टर. ऐसे में उसने सरकार की लगाई इस पाबंदी को एक अवसर के रूप में बदल दिया और अपने कर्ज को चुकाने के लिए लोगों को डॉक्टर होने का या फिर डॉक्टर के पास काम करने वाला हेल्थ वर्कर होने का फर्जी आईडी कार्ड बनाकर देने लगा. उसके फर्जी आईडी कार्ड के सहारे कई लोगों को रेलवे का पास भी मिल गया.
पुलिस कर रही जांच
आरोपी एक कार्ड के एवज में एक व्यक्ति से 2000 से 3000 रुपये लेता था. इस शख्स ने अब तक कई लोगों को फर्जी आईडी कार्ड बनाकर दिया है. इसके अलावा ये डॉक्टर लोगों को ऑफर भी देता था कि अगर किसी ने इसके पास कोई ग्राहक भेजा है तो वो उस शख्स को कमीशन के तौर पर 200 से 250 रुपये देता था. मुंबई पुलिस ने इसके पास से 6 कंप्यूटर, प्रिंटर और दो मोबाइल फोन जब्त किए हैं. पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है और पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इसने अब तक कितने लोगों को इसी तरह से आईडी कार्ड बनाकर दिया है.
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