नई दिल्ली: दिल्ली के आदर्श नगर में हजारों जिंदगियों से खिलवाड़ का एक मामला सामने आया है. सराय पीपल थला इलाके में फर्जी मेडिकल पैथ लैब चल रही थी जो बगैर सैंपल जांच के रिपोर्ट तैयार करती थी. यूनिकेयर पैथ सॉल्यूशन नाम की इस लैब पर फिलहाल ताला लटका है. पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. एक छोटे से कमरे में चल रही लैब में करीब 25 हजार फर्जी रिपोर्ट मिली हैं. एक अखबार के मुताबिक, देशभर की 98 लैब यूनिकेयर पैथ सॉल्यूशन को सैंपल जांच के लिए भेजती थीं.


तैयार फार्मेट में नाम बदल कर देते थे रिपोर्ट


यूनिकेयर कुछ फॉर्मेट बनाकर रखता था जिसमें बगैर सैंपल जांच के सिर्फ नाम पता बदलकर रिपोर्ट तैयार कर देता था. इस मामले में पुलिस ने धोखाधड़ी और लोगों की हेल्थ से खिलवाड़ से जुड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. साथ ही दो भाईयों संजय यादव और अजय यादव को गिरफ्तार किया है. पुलिस उपायुक्त असलम खान ने कहा, ''हमने लैब के मालिक अजय यादव और टेक्‍नीशियन संजय यादव को गुरुवार को गिरफ्तार किया. मास्टरमाइंड राजेश कुमार फरार है. सभी आरोपी उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं.'' उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी अजय वाराणसी में दस साल तक पैथोलॉजी लैब में काम कर चुका है. इस वजह से वह इसके बारे में अच्छी तरह से जानता था.


एक छोटे से कमरे से चल रहा था लैब


जिस जगह लैब चल रही है वो जगह 8000 रुपये महीने के किराए पर संजय और अजय ने कुलवंत कौर से किराये पर 2 साल पहले ली थी. कुलवंत भी इसी इलाके में रहती हैं. कुलवंत के मुताबिक संजय के नाम पर रेंट एग्रीमेंट बना था. कुलवंत ने बताया कि एक लड़का और और एक फीमेल स्टाफ वहां हर दिन आते थे. जब पुलिस कुलवंत के घर पहुंची तब उन्हें इस बात का पता चला कि लैब के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है. लैब के नीचे ही 12 साल से मोबाइल शॉप चला रहे अमर ने बताया कि 5 से 6 महीने पहले लैब के बारे में पता चला. पिछले 15 दिन से लैब बंद हैं.


कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
17 अप्रैल को पुलिस को पीसीआर कॉल मिला. फोन पर बताया गया कि संजय को सीबीआई अधिकारी होने का दावा करने वाले एक आदमी ने अगवा कर लिया है. पुलिस अधिकारी ने कहा, ''जब हमलोग लैब का मुआयना करने पहुंचे तो. लैब को लेकर आशंका हुई. एक छोटा कमरा था जिसमें जांच के जरूरी सामान भी नहीं था. कोई सैंपल भी लैब में नहीं था. यहां तक की ब्लड ग्रुप जांचने के लिए भी कोई सामान नहीं था.''



पुलिस उपायुक्त असलम खान ने कहा कि जब संजय से लैब के डॉक्टर के बारे में पूछा गया तो उसने उचित जवाब नहीं दिये. पुलिस जांच के दौरान चार डॉक्टरों के डिजिटल सिग्नेचर मिले. जब सभी चार डॉक्टर के बारे में जानकारी के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और दिल्ली मेडिकल काउंसिल से संपर्क किया गया तो उनके पास कोई सूचना नहीं थी.


वहीं अजय ने पुलिस पूछताछ में बताया कि लैब राजेश नाम के शख्स का है और वह काफी लंबे समय से लैब में काम कर रहा था. वहीं संजय यादव को अगवा करने वाले शख्स का नाम आनंद है. उसने संजय को कर्ज दिया थे. बाद में जब संजय ने बकाया वापस करने की बात कही तो आनंद ने संजय को छोड़ दिया. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.


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