नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद नए नोट्स को मार्केट में आए अभी महज़ तीन महीने ही हुए हैं, लेकिन इस नई करेंसी के जाली नोट की स्मगलिंग भी अब बांग्लादेश सीमा से शुरू हो गई है. हालांकि ये नकली नोट्स अभी 'सैम्पल' के तौर पर भारत भेजे जा रहे हैं, लेकिन बीएसएफ ने इस स्मगलिंग को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है और सीमा पर तैनात जवानों की ट्रेनिंग के लिए आरबीआई से संपर्क साधा है.
नई करेंसी की एफआईसीएन यानि फेक इंडियन करेंसी नोट को लेकर बीएसएफ अधिकारियों ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कहा गया है कि ये नकली करेंसी बांग्लादेश में छप रही है. बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ की 'जी-ब्रांच' यानि खुफिया विभाग के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को राजधानी दिल्ली स्थित फोर्स-हेडक्वार्टर को भेजा है. इस रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासे किए गए हैं इसकी पूरी जानकारी एबीपी न्यूज के पास है.
दरअसल, हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल के मालदा इलाके में नेशनल एंवेस्टीगेशन एजेंसी एनआईए ने बीएसएफ की मदद से कुछ ऐसे तस्करों को पकड़ा है जिनके पास से 2000 की नई करेंसी के जाली नोट्स पकड़े गए थे. उसी आधार पर बीएसएफ ने ये रिपोर्ट तैयार की है. पश्चिम बंगाल का मालदा इलाका बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ इलाका है और काफी समय से नकली नोटों की तस्करी के लिए कुख्यात है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर बांग्लादेश से होते हुए नकली करेंसी की स्मगलिंग यहां बड़ी मात्रा में की जाती थी. उसके बाद ही ये नकली करेंसी देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजी जाती थी. इस नकली करेंसी का इस्तेमाल टेरर फंडिग और भारतीय अर्थव्यवस्था के पैरलल-इकोनोमी खड़ा करने के लिए किया जाता था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब नोटबंदी का ऐलान किया था तो नकली नोटों को एक बड़ी वजह बताया था. लेकिन नोटबंदी और नए नोट्स के मार्केट में आने के तीन महीने के भीतर ही बांग्लादेश में सक्रिय स्मगलर्स ने नए करेंसी के जाली नोट्स तैयार कर लिए हैं और इनके 'सैम्पल्स' को टेस्ट करने के लिए अपने 'कैरियर्स' के पास मालदा भेज दिए हैं. ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या वाकई ये नोट्स मार्केट में चलने लायक है. 8 फरवरी को एनआईए ने मालदा के एक ऐसे ही कैरियर, अजीजुर रहमान को गिरफ्तार किया था, जिसके पास से 2000 रुपये के करीब 40 नकली नोट जब्त किए गए थे. बीएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी 'सैम्पल' नोट्स थे.
इसके अलावा दो और कुरियर मालदा में गिरफ्तार किए गए जिनके पास से इसी तरह के नकली नोट्स पकड़े गए थे. जानकारी के मुताबिक, इस गोरखधंधे के खिलाड़ी यानि 'किंगपिन' बांग्लादेश से ऑपरेट करते हैं. एक लंबी चेन से होते हुए ये नकली नोट पश्चिम बंगाल के मालदा, कालियचक, फरक्का और मुर्शिदाबाद इलाकों में' कैरियर्स' तक पहुंचतें हैं और फिर 'कुरियर्स' के जरिए मार्केट में चलाए जाते है. लेकिन हाल में पकड़े गए इन मामलों में कोई बड़ी खेप यानि कंसाईनमेंट नहीं पकड़ी गई है. ये सभी सैंम्पल नोट्स हैं.
बीएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये नोट्स बांग्लादेश की किसी प्रिंटिग-प्रेस में छापे गए थे. ये धंधा बांग्लादेश में सक्रिय स्मगलर्स कर रहे हैं, जो भारतीय करेंसी के एक या दो नोटों के सीरियल नंबर लेकर उसी सीरियल के कुछ नोट छाप रहे हैं. लेकिन इन नोटों में नए करेंसी के सभी 27 सिक्योरिटी-फीचर्स नहीं है. यही वजह है कि ये नकली नोट्स आसानी से पकड़ में आ जाते हैं.
रिपोर्ट में लेकिन ये भी कहा गया है कि इसी को टेस्ट करने के इरादे से ये नकली करेंसी भारत भेजी गई है. आने वाले दिनों में ये स्मगलर्स इन नकली नोटों में कई और सिक्योरिटी फीचर्स इसमें जोड़ सकते हैं ताकि सुरक्षा एजेंसियों को इन नकली नोटों को पहचान ने में खासी दिक्कत हो.
बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ के एक आला-अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि ये नकली करेंसी किसी सरकारी मिंट यानि प्रिटिंग-प्रेस में नहीं छपी हुई है. इसलिए ये कहना कि नए करेंसी के नकली नोटों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का कितना हाथ है बेहद मुश्किल है. क्योंकि नए करेंसी नोट्स के लिए जो पेपर इस्तेमाल किया गया है वो जर्मनी का पेपर है और वॉटर-मार्क है.
इसलिए स्मगलर्स के लिए भी नई करेंसी के जाली नोट तैयार करना इतना आसान नहीं है. पुरानी करेंसी के जाली नोट्स अधिकतर पाकिस्तान में आईएसआई की निगरानी में सरकारी मिंट में छापे जाते थे. इसीलिए पुरानी करेंसी के नकली नोटों को पहचानना बेहद टेढ़ी खीर था. पाकिस्तान से फिर इस एफआईसीएन को बांग्लादेश भेजा जाता था और फिर वहां से बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ की आंख में धूल झोंकककर सीमावर्ती मालदा इत्यादि इलाकों से भारत के अलग-अलग हिस्सों में भेज दिया जाता था.
कोलकता स्थित बीएसएफ के मुख्य प्रवक्ता, डीआईजी आर. पी.एस. जसवाल ने एबीपी न्यूज को बताया कि यही वजह है कि बांग्लादेश सीमा पर तैनात जवानों को नए करेंसी के सिक्योरिटी फीचर्स को लेकर आरबीआई से ट्रेनिंग दिलाई जायेगी. इस बाबत हाल ही में आरबीआई के अधिकारियों से बीएसएफ की एक मीटिंग भी हुई थी. डीआईजी के मुताबिक, हालांकि सीनियर अधिकारियों को तो सिक्योरिटी फीचर्स के बारे में तो जानकारी है लेकिन ये सीमा पर तैनात जवानों को भी सिखाई जायेगी.