जांच की मांग कर रहा है शहीद दीपक मंडल का परिवार
दीपक के बड़े भाई ने बताया कि जब दीपक काफी छोटा था तो एक बार खजूर के पेड़ से गिर गया था. उस वक़्त हमें लगा कि हमने दीपक को खो दिया मगर वह कुछ दिनों में ही स्वस्थ्य हो गया था, इस बार भी हमें लगा था कि दीपक ठीक हो जायेगा, मगर ऐसा नहीं हुआ.
नई दिल्ली: बीएसएफ के शहीद जवान दीपक मंडल का पूरा परिवार उनकी मौत को महज़ हादसा मानने से साफ़ इंकार कर रहा है. शहीद दीपक मंडल के बड़े भाई दिलीप मंडल का आरोप है कि यह महज़ हादसा या गाय तस्करों की तरफ से कार से कुचले जाने का मामला नहीं बल्कि उन्हें संदेह है कि सुनियोजित तरीके से उनकी हत्या की गई है. परिवार का हर सदस्य सही तरीके से जांच की मांग कर रहा है.
शहीद दीपक मंडल का पार्थिव शरीर आज पश्चिम बंगाल के नदियां जिले के हिंगलगंज के तारकनगर गांव लाया गया. तिरंगे में लिपटा शहीद दीपक का पार्थिव शरीर जब ले जाया जा रहा था तब लोगों की आखों में आसूं था. बीएसएफ़ की तरफ से शहीद दीपक मंडल को गन सल्यूट के साथ सलामी दी गई.
एक महीने पहले ही दीपक अपने गांव गए थे. उनके बड़े भाई ने बताया कि वो उस वक्त थोड़े चिंतित दिख रहे थे. अपने दो बेटे दीपांशु मंडल (11 साल) और दीपांजन मंडल (5 साल) के भविष्य को संवारने को लेकर शहीद दीपक थोड़े परेशान थे.
बचपन के दिनों को याद करते हुए दीपक के भाई ने बताया कि साल उनकी मां बचपन में ही गुज़र गयी थीं. परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए पांच भाई और तीन बहनों को खुद ही अपना ख़्याल रखना पड़ता था. दीपक काफी मेहनती था. सुबह उठकर दो घंटे खेती करता था, उसके बाद कॉलेज जाता था. वापस आकर फिर काम में जुट जाता था.
दीपक के बड़े भाई ने बताया कि जब दीपक काफी छोटा था तो एक बार खजूर के पेड़ से गिर गया था. उस वक़्त हमें लगा कि हमने दीपक को खो दिया मगर वह कुछ दिनों में ही स्वस्थ्य हो गया था, इस बार भी हमें लगा था कि दीपक ठीक हो जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ. बीएसएफ ज्वाइन करने से पहले शहीद दीपक को आरपीएफ के अलावा और तीन नौकरियां मिली थी. मगर सारी नौकरियों को छोड़ उसने बीएसएफ ज्वाइन की.