नहीं रहे राम जेठमलानी: जिस प्रधानमंत्री की सरकार में मंत्री रहे बाद में उन्हीं के खिलाफ लड़ा चुनाव
मशहूर वकील राम जेठमलानी का 95 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पिछले 2 साल से सक्रिय वकालत से दूर राम जेठमलानी ने वकालत के क्षेत्र में एक नजीर पेश की है. उनका करियर 75 साल से अधिक का रहा है. इस दौरान उन्होंने कई चर्चित केस में नामी आरोपियों का कोर्ट में बचाव किया है.
नई दिल्ली: देश के सबसे महंगे वकील में शुमार राम जेठमलानी का आज 95 साल की उम्र में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े हस्तियों ने शोक जताया है. वकालत के साथ राजनीति में भी शानदार पारी खेलने वाले जेठमलानी ने करीब 78 साल तक वकालत की. उन्होंने सिर्फ दो साल पहले सक्रिय वकालत से खुद को अलग किया था.
अविभाजित भारत में हुआ था जन्म
बता दें कि राम जेठमलानी का जन्म 1923 में अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में हुआ था. बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी राम जेठमलानी ने मात्र 13 साल की उम्र में मैट्रिक परीक्षा पास कर ली थी. इतना ही नहीं जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में कराची के एससी शाहनी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली. मात्र 18 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश के सबसे महंगे वकील में शुमार जेठमलानी ने अपने कॅरियर की शुरुआत प्रोफेसर से की थी. जेठमलानी अपने पीछे 2 पत्नी और चार बच्चे छोड़ गए हैं.
राजनीति में भी खेली शानदार पारी
राम जेठमलानी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आपातकाल के बाद हुए चुनाव में की. इस दौरान वह बॉम्बे उत्तर-पश्चिम सीट से चुनाव लड़े और जीते. यहां बता दें कि यह चुनाव उन्होंने कनाडा में रहते हुए ही लड़ा था. इसके बाद 1980 में राम जेठमलानी फिर इसी सीट से चुनाव जीते, लेकिन 1985 के लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के सुनील दत्त से हार गए.
मशूहर वकील और राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी का लंबी बीमारी के बाद निधन
राम जेठमलानी साल 1988 में राज्यसभा के पहली बार सदस्य चुने गए. 1996 और 1999 में वह एनडीए की सरकार में देश के कानून मंत्री बने. इसके बाद तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल सोली सोराबजी से मतभेद होने के बाद उन्हें कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया. वह किस शैली की राजनीति करते थे इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वह जिस अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे उन्हीं के खिलाफ 2004 में वह लखनऊ से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे. हालांकि, तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जेठमलानी को जब बीजेपी से निष्कासित किया गया तो वह आरजेडी से राज्यसभा के सदस्य बन गए.
हमेशा धारा के विपरीत चलने वाले राम जेठमलानी ने ऐसे केस लिए जो एकबारगी कोई भी वकील लेना नहीं चाहेगा. लेकिन यही जेठमलानी की खासियत थी कि वह ऐसे केसों को प्राथमिकता से लेते थे और बड़े ही शानदार तरीके से कोर्ट में अपना पक्ष भी रखते थे. इन केसों को लेने पर जब भी उनसे सवाल किया जाता वह बड़े ही साफगोई से कहते कि एक वकील के तौर पर अपने क्लाइंट को बचाना उनका धर्म है.
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने साझा की यादें राम जेठमलानी के निधन पर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने एबीपी न्यूज़ से कहा, ''मेरे साथ उनका पुराना संबंध था, हमेशा वे घनिष्ठ मित्र की तरह रहे. बेहद खुले दिल के आदमी थे, अपनी बात प्रखर और निडर रूप से रखते थे. उनके और मेरे विचार भिन्न होते थे लेकिन मतभेद कभी मनभेद में नहीं बदले. मैं कई शाम उनके साथ बैठा. आखिरी बार मैं एक महीने पहले ही उनके घर गया था. मैंने उनसे स्वास्थ को लेकर चर्चा की थी. वे आखिरी समय तक राज्यसभा में रहे, मैं उनसे मजाक करता था कि आपने कोई पार्टी नहीं छोड़ी जिससे राज्यसभा ना आए हो. आज मुझे व्यक्तिगत क्षति हुई. वे संगीत के बड़े शौकीन थे, मेरी पत्नी गायिका हैं. एक कार्यक्रम में मेरी पत्नी ने दमादम मस्त कलंदर गाना गाया जिस पर उन्होंने करीब 500-600 लोगों के बीच में खुलकर डांस किया.''इन चर्चित केसों में आरोपियों की पैरवी की-
इंदिरा गांधी की हत्या के आरोपियों के वकील
राजीव गांधी की हत्या के आरोपियों के वकील
जेसिका लाल हत्याकांड में अभियुक्तों के वकील
चारा घोटाले में लालू यादव के वकील
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के वकील (आय से अधिक संपत्ति मामला)
टू-जी घोटाले में कनिमोई के वकील
सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के वकील
सेबी मामले में सुब्रत राय सहारा के वकील
जोधपुर बलात्कार मामले में आसाराम बापू के वकील
राम जेठमलानी ने बड़े-बड़े चर्चित केस में अभियुक्तों की तरफ से पैरवी की.
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