प्रख्यात तबला वादक पंडित शुभंकर बनर्जी का कोलकता शहर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित थे और पिछले दो महीने से उनका उपचार चल रहा था. वह 54 वर्ष के थे. बनर्जी के निधन की सूचना उनके परिवार के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को दी. उन्होंने बताया कि बनर्जी का बुधवार को निधन हो गया.
उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है. उनके पुत्र एवं तबला वादक आर्चिक ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘लॉस्ट (खो दिया).’’ पंडित तेजेंद्र नारायण मजूमदार, पंडित पूरबयान चटर्जी, उस्ताद राशिद खान और पंडित बिक्रम घोष जैसे कई शास्त्रीय संगीतकार संगीत अनुसंधान अकादमी से बनर्जी की अंतिम यात्रा में बृहस्पतिवार को शामिल होंगे. बनर्जी की पार्थिव देह को अकादमी में रखा गया है.
बनर्जी ने पंडित रविशंकर और उस्ताद अमजद अली खान से लेकर पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित शिव कुमार शर्मा जैसे कई दिग्गज शास्त्रीय संगीतकारों के साथ जुगलबंदी की थी. बनर्जी को 20 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह कई माह से चिकित्सकीय ऑक्सीजन के सहारे सांस ले रहे थे. दिग्गज तबला वादक जाकिर हुसैन ने बुधवार रात ट्वीट किया, ‘‘मुझे उनकी याद आएगी, तबला जगत को उनकी कमी खलेगी, भारतीय संगीत को उनकी कमी खलेगी. ईश्वर शुभंकर भाई की आत्मा को शांति प्रदान करें.
’’ बनर्जी को पश्चिम बंगाल सरकार ने संगीत सम्मान और संगीत महासम्मान से नवाजा था. उन्होंने इस साल आयोजित डोवर लेन संगीत सम्मेलन में उस समय प्रस्तुति दी थी, जब संगीत कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति थी. उन्होंने अपनी मां की याद में एक शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम भी आयोजित किया था. गायक-संगीतकार काजलरेखा के घर पैदा हुए मुखर्जी ने तीन साल की आयु से बनारस घराने के पंडित माणिक दास से प्रशिक्षण लेना आरंभ कर दिया था. इसके बाद उन्होंने 25 साल तक फरुखाबाद घराने के पंडित स्वप्न शिवा से संगीत सीखा.